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Showing posts from 2017

खलनायक तो बहुत है जननायक बस एक

#खलनायक_तो_बहुत_है_जननायक_बस_एक काफी दिन से डॉ साहब की पोस्ट लिखने छोड़ दिया क्योंकि कुछ बातों से मन किरकिरा हो गया था!लेकिन कल की घटना के पश्चात कई लिखना चाहा ओर लिखा भी लेकिन पोस्ट नही किया! अंत मे जाकर दिल माना ही नही ओर लिखने पर मजबूर कर ही दिया! "खलनायक तो बहुत है, जननायक बस एक उनका राजस्थान में करें हम मिलकर अभिषेक ! सत्य अहिंसा क्रांति का ,जो देता सन्देश वही किरोड़ी लाल है,जो सबके मन में शेष । सुनता जनता की फरियाद 24*7 है, रहता हर दम जो जनता के बीच है । लाखो युवाओ का जो सरताज है, बड़े बुजुर्गों का जो जानता हमराज है । आंधी जनता की है फैली चारो ओर सिर्फ किरोड़ी लाल का गाँव गाँव में शोर । देख नही सकता जनता को दुखी वो लाल है, जान की परवाह किये बिना चलता वो किरोड़ी लाल है! आते दिन भर लोग लेकर फरियाद है, बिना सोचे समझे लगता उनके साथ है, करें फैसला आज हम अब करें बड़ी तैयारी लाल को राजस्थान में अब बैठाने की बारी । खलनायक तो बहुत है जननायक बस एक #पहचान_एक_जन_सेवक_की :- #डॉ_किरोड़ी_लाल

परीत का बदला भाग-3

परीत का बदला,भाग-3 घोडल्या का शरीर अपने काबू में नही आ रहा था लग रहा था जैसे उसके ऊपर किसी आत्मा ने अपना कब्जा पा लिया हो जिसकी बजह से वह अपना नियंत्रण खो रहा हो! उसके शरीर की कपकपी लगातार बढ़ती ही जा रही जा रही थी!वह अपना आपा खो रहा था! ग्रामीण निवासी भक्त जन भोमिया बाबा के जय कार लगा रहे थे! शिवल्या पटेल भोमिया बाबा को शांति से आने का आग्रह करने लगे थे!शिवल्या पटेल ही भोमिया बाबा के आने पर लोगो की समस्या को बाबा को बताते थे और बाबा के द्वारा बताई गई बातों को दुखिया(पीड़ित) व्यक्ति को समझाते थे! शिवल्या पटेल ने थोड़े तेज स्वर ने कहा" पटेल थ्यारी काई समस्या है बाबा के सामने रख बाबा थ्यारी समस्या कु जड़ सु खत्म कर देगो!" इसी बीच मे भोमिया बाबा ने धीमे स्वर बदली हुई आवाज में कहा "आज किस्या याद कर लियो कुन पे विपदा आ गयी मैं तो छोटा सा देव हु!" गांव के सभी छोटे एवम बड़े लोग बाबा से उम्मीद लगाए बैठे थे उनकी उम्मीद भी जायज थी! शिवल्या पटेल ने बाबा को मानते हुए विनती स्वरूप में कहा" बाबा थ्यारा हाथ बहुत लंबा आप चाहे वो कर सकते है हम तो आपके सामने कीड़े मकोड़े है...

मीणा शायरी

ना डरते है हम #तलवारो से, ना डरते है हम #कटारो से, ना डरे है हम कभी #सैकड़ो और #हजारो से, हम मीणा वो योद्धा है, #दुश्मन भी कांपे जिसकी #ललकारो से, #हस्ती अब अपनी हर #कीमत पर #सवारेंगे, #वाद...

अधूरी प्रेम कहानी-भाग-4

कविता बुक लेने अंदर गयी,मैं उसके पीछे पीछे ही अंदर तक पहुच गया! कविता बुक ढूंढ रही थी!मेरी तरफ उसने एक पल भी नही देखा,उसका ये बेरुखापन मुझे अंदर ही अंदर खाये जा रहा था! मैं बस उसे देखा ही जा रहा था वो किताब ढूढ़ने में व्यस्त थी! अब मेरे सब्र का बांध टूट चुका था,मैने कविता का हाथ पकड़ लिया जिसका उसने विरोध नही किया लेकिन मेरी तरफ से नजर हटा ली! "यार कविता मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही है मुझसे बात क्यो नही कर रही हो मुझे तेरा इस तरह का व्यवहार बिल्कुल रास नही आ रहा है" मैंने अपने रुन्दे हुए गले से अपनी बात कह दी! कविता ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नही दी और अपने काम मे व्यस्त रही! आखिर कब तक अपना सब्र रख पाता! मैंने कविता का हाथ पकड़ लिया इतने में ही अंकल ने आवाज लगा दी "बेटा कितनी देर लगाओगी हमे चलना भी है जल्दी आओ"! मेरी तरफ मुड़ते हुए कविता ने अलमारी में रखी गिफ्ट जो मैंने उसे पहली मुलाकात पर दी वो अपने बैग में रख ली ओर एक डायरी मुझे थमा दी! मैं डायरी खोलने ही वाला था कि मेरे हाथ कविता ने रोक लिए ये कहते हुए की"इस डायरी को तुम्हे जब भी टाइम मिले अकेले म...

अधूरी प्रेम कहानी -भाग-3

उसके पिता उसके लिए लड़का ढूंढ रहे थे,वो अक्सर बताया कहती थी कि "पिताजी सरकारी नोकरी वाला लड़का ढूंढ कर मेरी शादी करने वाले है तुम आकर मेरे घरवालो से बात करो"! ऐसा कहते कहते रोने लग जाया करती थी! प्यार तो मैं भी बहुत करता था उससे लेकिन उसके ओर मेरे घरवालो से बात करने की हिम्मत मेरी नही हो रही थी! आखिर किस तरह से बात करू ये समझ नही पा रहा था एक उसे खोने का डर ऊपर से घरवालो से बात करने का डर मुझे अपने आप मे कमजोर बनाये जा रहा था! खाली बैठे दिमाग मे हर वक्त यही चलता रहता कि किस तरह बात करु घरवालो से,कैसे राजी करू ओर नही माने तो मेरा क्या होगा"! शाम का समय था मैं अपने कमरे में सो रहा था,मन्द गति से ठंडी ठंडी हवाएं नींद से खड़े होने नही दे रही थी! मन मेरा भी नही था खड़ा होने मुझे तो बस नींद में कविता ही नजर आ रही थी! अचानक मेरी नींद को खदेड़ते हुए मोबाइल की घण्टी बजी! देखा तो कविता का ही कॉल आ रहा था,कविता का कॉल देखकर नींद कहा गायब हो गयी पता ही नही चला! हेलो!कविता कैसी हो......... कविता फ़ोन पर रो रही थी कुछ बोल नही पा रही थी! "क्या हुआ कविता तुम रोई तो तुम्हे मेर...

परीत का बदला भाग-2

शनिवार का दिन था,शाम के समय सभी लोग भोमिया के थान(स्थान) पर इकट्ठा हो गए थे!इकट्ठा क्यो ना हो खौफ जो था भोमिया का लोगो के मन मे! कहा जाता है कि भोमिया बाबा के थान पर घर मे से एक व्यक्ति का आना आवश्यक है! लोगो के दिल और दिमाग मे भोमिया बाबा के प्रति अटूट प्रेम और श्रद्धा देखने को मिल रही थी! अजीब सी खुशी लोगो के मन को ओर प्रफुल्लित कर रही थी वो खुशी थी कि आज उन्हें भोमिया बाबा की झलक देखने को मिल पाएगी! रामु काका भी अपने परिवार के साथ बाबा के थान पर आ गए! काका को आज उम्मीद थी कि सारी समस्या खत्म हो जाएगी! काका आज अटवाई(8 पूआ) ओर खीर का प्रसाद के साथ गोठिया द्वारा बताई गई सभी सामग्री बड़े ढंग से सजाकर दोड़ली(टोकरी) में लाल कपड़े से ढक कर लाये थे! थान पर सभी भक्त घेरा बनाकर बैठे हुए थे बाकी आम जन नीचे बैठी थी! थान एक बड़े से नीम के पेड़ के नीचे था जो लोगो को धूप से भी बचाता था! ऐसा भी कहा जाता है इस नीम के पेड़ के पत्ते आमजन के लिए तोड़ना भी मना है यदि ऐसा किया जाता है तो भोमिया बाबा नाराज हो जाता है!माना जाता है कि भोमिया बाबा इसी में निवास करते है! जैसे जैसे शाम ढल रही थी वैसे वैसे ...

परीत का बदला-भाग-1

रामगढ़ गांव डूंगर(पहाड़) की तलहटी में बसा हुआ है! ये छोटा सा गांव अपनी अलग पहचान लिए हुए था! गांव तीन ओर से डूंगर से घिरा हुआ था जो उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा था! डूंगर से गांव को देखने पर कश्मीर की वादिया भी फीकी पड़ती नजर आती थी! वैशाख का महीना था गर्मी अपनी आग बरसा रही थी, गांव के अंदर बिजली की कोई खास व्यवस्था नही थी इसलिए लोग पेड़ो के नीचे ही गर्मी से बचाव करते थे! रामु काका हुक्का कस ले रहे थे,आज उनका मन बिचलित हो रहा था!हुक्के की आग हल्की हल्की सुलग रही थी वे अपने बिचलित मन को हुक्के के कस के साथ पीना चाह रहे थे! आज उनकी उनकी बैचनी भी जायज थी अपने छोटे बेटे को काफी डॉक्टरों ओर वैध के पास इलाज के लिए ले जाने के बावजूद भी कोई आराम नही मिल पा रहा था! रामु काका के 3 बेटे थे! 1 बेटे ही शादी कर दी थी जिसके एक पुत्री थी! काका ओर छोटे भाई उस पुत्री को बहुत प्यार करते थे! प्यार तो स्वाभाविक ही थी क्योंकि उनके परिवार का सबसे छोटी सदस्य थी! शाम का समय हो चुका था लोगो की चहल पहल ज्यादा हो गयी थी! कुछ लोग बेटे सोनू को देखने आते और उसका हाल चाल पूछने के साथ कहते "किसी अच्छ...

अधूरी प्रेम कहानी - भाग-2

रात को जब सब सो गए तब मैंने वो पर्चा निकाला | "जय, तुम तो जानते हीं को मैं तुम्हे कितना प्यार करती हूँ | तुम्हारे सामने आते हीं मेरी धड़कने बढ़ जाती हैं | तुम सब जानकार भी क्यों अनजान बने रहते हो ? मैं लाख तुम्हे दिल से निकालने की कोशिश करती हूँ फिर भी बार बार मेरा मन तुम्हारी तरफ खिंच जाता है | शायद मैं तुम्हारे काबिल नहीं इसीलिए तुम हमेशा रुखा रुखा बर्ताव करते हो |ठीक है तुम्हारी यही मर्ज़ी तो यही सही | अब ये तड़पन हीं मेरा नसीब है | तुम्हारी तुम जानते हो |" मैंने उसके ख़त को सैकड़ो बार पढ़ा और हर बार मुझे कोई घटना याद आ जाती कि कैसे प्यार से मेरी तरफ देखी थी या बात करने की कोशिश की थी और हर बार उसे मायूसी झेलनी पड़ी थी |एक दिन उसके पिताजी अपने भाई के साथ काम से बहार गए हुए थे | कविता की माँ ने बड़े संकोच से आकर कहा " देखो न कविता की आज अंतिम परीक्षा है और ऑटो की हड़ताल हो गयी है | क्या तुम उसे कॉलेज छोड़ दोगे ?" "हाँ हाँ क्यों नहीं |चाचीजी आप चिंता मत कीजिये | मैं उसे ले भी आऊंगा | मैंने अपनी मोटरसाईकिल निकाली और उसे लेकर कॉलेज के तरफ चल पड़ा | पुरे रा...

वो कॉलेज वाला प्यार....भाग-5(अंतिम भाग)

रात को खाने के बाद दोनों बालकनी में खड़े हो गए मगर खामोश, इस बार जैसे दोनों को ही एक अजनबीपन का एहसास हो रहा था राजेश नहीं समझ पा रहा था की वो उसे कैसे समझाए न ही अनुष्का ये बात समझ पा रही थी | दोनों जान चुके थे की दूरियां तो आ गयी हैं मगर इन दूरियों का जिम्मेवार कौन है वो या अनुष्का , मगर राजेश अभी भी अनुष्का को दिलोजान से चाहता था वो चाहता था की अनुष्का वापिस अपने शहर आ जाये लेकिन वो उसे मजबूर नहीं करना चाहता था | अचानक फिर से घंटी बजी, राजेश की शून्यता टूटी मगर इस बार घंटी फ़ोन की थी ,घंटी लगातार बज रही थी और उसकी गूंज कमरे में पसरी ख़ामोशी और राजेश के दिल में बसी ख़ामोशी दोनों में खलल डाल रही थी , उसने चाय का गिलास टेबल पर रखा और रिसीवर उठाया और भरी आवाज में कहा "हेलो" दूसरी तरफ आवाज किसी औरत की थी कुछ जानी पहचानी ,दूसरी तरफ से फिर आवाज आई "हेलो, हेलो, कौन? राजेश, मैं रश्मि बोल रही हूँ " थोड़ा विस्मय भरे अंदाज में राजेश ने कहा "अरे बुआ आप, आप कैसी हैं?" रश्मि की आवाज फिर आई " मैं अच्छी हूँ बहुत दिन हो गए थे तुमसे बात किये आजकल कॉलेज भी नहीं आ र...

अंधविश्वास में जकड़ा समाज

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि हमारा समाज धार्मिक ठोंग पाखंड और अंधविश्वास की बेड़ियों में लोभी और गुमराह मुल्लाओं , पंडितों ,भगवानो द्वारा जकड़ा हुआ समाज है | अधिकतर तो जाहिल इनका शिकार होते हैं लेकिन मैंने धर्म और आस्था के नाम पे बड़े बड़े पढ़े लिखे लोगो को इसका शिकार होते देखा है |चमत्कारी बाबाओं और भगवानो द्वारा महिलाओं के शोषण की बातें हमेशा से सामने में आती रही हैं और धन तो इनके पास  दान का इतना आता है कि जिसे यह खुद भी नहीं गिन सकते | इसके दोषी केवल यह बाबा ,मुल्ला या  भगवान् नहीं बल्कि हमारा यह भटका हुआ  समाज है जो किरदार की जगह चमत्कारों से भगवान् को पहचानने की गलती किया करता है|  शायद हम आज यह ही नहीं पहचान पा रहे हैं की हमारा अल्लाह, भगवान् या ईश्वर कौन है ? हर वो ताकात जिससे हम डर जायें या हर वो चमत्कार जो हमारी समझ में ना आये उसे भगवान् या खुदा अथवा देवी-देवता बना लेने की गलती ही हमें गुमराह करती है | कल का चमत्कार हकीकत में आज का विज्ञान है यह बात हर पढ़े लिखे को समझनी चाहिए | इस्लाम ओर हिन्दू धर्म ने इसी लिए बार बार समझया की अल्लाह ओर भगवान ...

वो कॉलेज वाला प्यार.....भाग-4

साल दर साल फिर बीतते गए और पढाई का सिलसिला आगे चलता रहा ,एम.फिल करने के दौरान अनुष्का को एक प्राइवेट कॉलेज में नौकरी मिल गयी ,अनुष्का के पंखों को तो जैसे नयी उड़ान मिल गयी थी | बेहद खुश थी अनुष्का इस नौकरी के मिलने से मगर एक छोटी सी परेशानी थी वो ये की उसका कॉलेज दूसरे शहर में था | इस परेशानी का हल भी राजेश ने ही निकाला ,उसने अनुष्का से कहा कि वो वहां जाना चाहे तो जा सकती है अगर नौकरी नहीं भी करना चाहती है तो वो भी ठीक है ,मगर अनुष्का जाना चाहती थी वो हरगिज़ भी इस नौकरी को ठुकराना नहीं चाहती थी, इसलिए जाने का निश्चय किया, मगर अकेले रहने में उसे थोड़ा डर लग रहा था इसलिए राजेश ने ढांढस बंधाया कि वो हर शनिवार उसके पास आ जाया करेगा सप्ताह में दो दिन वो साथ बिताएंगे फिर अनुष्का नौकरी के लिए दूसरे शहर चली गयी | यही वो मोड़ था जहां से राजेश और अनुष्का के रास्ते अलग अलग होने शुरू हुए ,एक कहावत भी है कि नजरों से दूर तो दिल से दूर वो यहां चरितार्थ होती दिख रही थी | राजेश तो अपने काम में व्यस्त हो गया मगर अनुष्का के लिए हर बात नयी थी नयी नौकरी, नया कॉलेज नए दोस्त और सबसे ज्यादा उसके नए सपने ,...

वो कॉलेज वाला प्यार.......भाग-3

दोनों का प्रेम विवाह था इसलिए राजेश अनुष्का बेहद खुश भी थे ,दोनों प्यार में इस कदर डूबे रहते कि साल कब बीत गया पता न चला | राजेश ने धीरे धीरे ये भी नोटिस किया कि अनुष्का को किताबें पढ़ने का बेहद शौक है उसने अनुष्का को खाली वक्त में हमेशा उस टेबल के इर्द गिर्द पाया जहां राजेशअक्सर कुछ न कुछ पढ़ने बैठता था | एक दिन राजेश से रहा नहीं गया और कहा "अनु तुम अपनी आगे की पढाई क्यों नहीं कर लेती" बात को बदल कर फिर ज़रा जोर दिया और कहा "मेरा मतलब है तुम्हें किताबें पढ़ने का शौक है और वैसे भी यही समय होता है पढ़ने का, तुम ग्रेजुएशन कर लो |"राजेश की बात सुन कर खुश तो हुई मगर थोड़े हैरानी भरे अंदाज में अनुष्का ने राजेश की तरफ देखा और कहा "अब अब तो शादी भी हो गयी क्या करूंगी आगे पढ़ कर और हंसते हंसते कहने लगी तुम नहा लो में नाश्ता बनाती हूँ " और रसोई में चली गयी | मगर राजेश के मन में कुछ और था वो नहीं चाहता था की अनुष्का इस चूल्हे चौके के बीच रह कर अपनी जिंदगी यूं ही खराब कर दे ,उसे याद है उसने अनुष्का की बुआ को कहा था कि अनुष्का आगे अपनी पढ़ाई पूरी करेगी वो उसमें अनु...

वो कॉलेज वाला प्यार....भाग-2

अनुष्का कुछ परेशान होकर कभी इधर कभी उधर तो कभी फर्श को देख रही थी, राजेश को कुछ अच्छा नहीं लगा उसने पूछा "क्या आप पानी लेंगी" अनुष्का ने नजरें उठाये बिना जवाब दिया "नहीं शुक्रि...

वो कॉलेज वाला प्यार........भाग-1

---------~~वो कॉलेज वाला प्यार........भाग-1~~------- -------------------------------------------------------------------------- सुबह के नौ बज रहे थे राजेश का आज फिर कॉलेज जाने का मन नहीं था, इसलिए फ़ोन कर दोस्तों को मना कर दिया मगर ऐसा कब तक चलने वाला था, चेहरे पर एक अजीब ख़ामोशी पसरी थी और पलंग पर लेटे लेटे बड़ी देर से उस पंखे को लगातार देखे जा रहा था, देख तो पंखे को रहा था पर मन कहीं और था |  ज़रा सा ध्यान हटा तो पानी पीने के लिए टेबल पर रखी बोतल की तरफ हाथ बढ़ाया परन्तु बोतल रात भर में खाली हो चुकी थी | नजर टेबल की तरफ फिर गयी, प्लेट बुझी हुई सिगरेटों से भर गयी थी कुछ एक तो टेबल पर भी गिर गयी थी! वो जानता था उसने पिछली कुछ रातें किस तरह गुजारी है तभी एक तेज आवाज हुई खिड़की के शीशे से किसी चीज़ के टकराने की ,अखबार वाले ने उस कमरे में फैली ख़ामोशी को तोड़ दिया था ! राजेश अचानक उठ बैठा और डिब्बी में पड़ी एक आखिरी सिगरेट निकाली और बड़े ही अनमने भाव से उठकर कमरे से सटी बालकनी का दरवाजा खोला | जून के महीने में गर्मी अपने चरम सीमा पर थी तेज धुप में राजेश की आँखे एक दम बन्द हो गयी ,अखब...

:-मेरी चुनिंदा शायरियां-:

जमाने से नही तन्हाई से डरता हूँ प्यार से नही रुसवाई से डरता हूँ मिलने की उमंग तो बहुत होती है, लेकिन मिलने के बाद भी तेरी जुदाई से डरता हूँ! दिल का रिश्ता है हमारा दिल के कोने म...