Monday, March 20, 2017

वो कॉलेज वाला प्यार....भाग-2

अनुष्का कुछ परेशान होकर कभी इधर कभी उधर तो कभी फर्श को देख रही थी, राजेश को कुछ अच्छा नहीं लगा उसने पूछा "क्या आप पानी लेंगी" अनुष्का ने नजरें उठाये बिना जवाब दिया "नहीं शुक्रिया" इस बार राजेश ने अपने पढाई को किनारे रख उससे बात करने की कोशिश की एक विश्वास भरे अंदाज में पूछा "रश्मी जी आपकी क्या लगती हैं?" अपने सवाल को फिर से दोहराया "मेरा मतलब है कि आपकी रिश्तेदार हैं या.." तभी अनुष्का ने जवाब दिया "जी वो मेरी बुआ हैं" इस बार राजेश सिर्फ जी कह कर मुस्कुराया, आगे की बात करने के लिए कोई सिरा नहीं मिल रहा था, राजेश जानता था की वो अब उस कमसिन यौवना से उसका नाम पूछना चाहता है मगर कैसे ? अगर गलती से भी बुरा मान गयी तो ये बहुत ही बुरा होगा खासकर उसके दिल के साथ, ये सोचकर उसने चुपी साध ली!किताब के पन्ने पलटने लगा और अपनी किताब को पढ़ने का नाटक करने लगा!
अनुष्का भी उसकी पहली नजर को पहचान गयी थी मगर जान कर अनजान बन गयी |
करीब पंद्रह मिनट गुजर गए यूँ ही चुपचाप बैठे दोनों को, अचानक एक हाथ अनुष्का के कंधे पर आ लगा और आवाज आई "अनु तू", ये आवाज अनुष्का की बुआ की थी ,अनुष्का अचानक से खड़ी हुई "ओह्ह बुआ तुम भी न.. पता है कितनी देर हो गयी तुम्हारा इन्तजार करते करते, कहां चली गयी थी ? |" रश्मी हंस पड़ी और कहने लगी "अरे यहीं थी बाहर, मुझे क्या पता तू आज कॉलेज आएगी सुबह को तूने कुछ कहा नहीं जब मैं घर से निकली, चल उधर आ जा" और अनुष्का को अपनी सीट की तरफ आने का इशारा किया |
फिर अचानक से रश्मी पलटी जैसे अपनी भूल का एहसास हुआ हो और राजेश की तरफ देख कर कहा "राजेश ये मेरी भांजी अनुष्का है और अनुष्का ये राजेश  हैं मेरी क्लास के होशियार लड़को में से एक है!
"राजेश आज आपने कल पढ़ाया वो याद नहीं किया क्या " राजेश अचानक किये इस सवाल से कुछ हड़बड़ा गया फिर सहज होकर मुस्कुराया और अनुष्का की तरफ "हेलो कहा "और सवाल के जवाब में बस इतना कहा "जी नहीं, जी अभी कर लूंगा" अनुष्का को राजेश की इस हालत पर हसीं आ गयी मगर हसीं नहीं हल्का सा मुस्कराई और अपनी बुआ के पीछे चल दी |
राजेश को उसकी मुस्कराहट ने अब होश में न रखा था उसके चेहरे पर अकस्मात् एक शर्मीलापन उभर आया जिसे राजेश ने छुपाने का भरसक प्रयास किया मगर कामयाब न हो सका मगर उसे अपने सवाल का जवाब मिल गया था जिसके लिए वो बेसब्र था, मन ही मन सोचा अनुष्का, तो मैडम का नाम अनुष्का है, उसने फिर एक हलकी सी नजर रश्मी जी की सीट की तरफ डाली तो पाया बुआ भांजी बातों में व्यस्त हो चुकी हैं ,अनुष्का दूर से भी उतनी ही खूबसूरत लग रही ही जितनी की पास से | अब राजेश को भूख जोरों की लग रही थी इसलिए सारी किताबे एक तरफ़ समेट कर अब राजेश खाने के लिए केन्टीन जाने का रुख किया |
राजेश पर एक नया खुमार सा चढ़ा हुआ था वो समझ नहीं पा रहा था ये महज आकर्षण भर है या पहली नजर में होने वाला प्यार ,समोसे खाते वक्त भी यहीं सोचता रहा और मन ही मन हर्षित हो रहा था आखिर जो जिंदगी में आज तक न हुआ वो हो ही गया ,हो न हो यक़ीनन अनुष्का भी इस बात को जान चुकी है सोचकर मंद मंद मुस्करा दिया | जब तक राजेश वापिस अपने स्थान पर पहुंचा तब तक अनुष्का जा चुकी थी ,खाली कुर्सी देखते ही मन बोझिल हो गया और मन कोसते हुए अपने जगह बैठ गया | इस पहली मुलाकात ने राजेश और अनुष्का के प्यार की नीवं रख दी थी |

सिगरेट पूरी तरह बुझ चुकी थी और अतीत का वो सुनहरा पन्ना धुआं बन के हवा में उड़ गया था, राजेश एक लम्बी सांस भरते हुए वापिस कमरे में आ कर टांगे लटका कर पलंग पर बैठ गया |अख़बार को खोला मगर पढ़ने का मन नहीं किया फिर एक तरफ फैंक दिया आधे मन से रसोई की तरफ गया एक नजर डालने पर ऐसा लग रहा था की बरसों से यहां खाना नहीं बना है रसोई घर, रसोई घर न हो कर एक स्टोर बन गया था ,सारा सामान बिखरा पड़ा था कोई भी चीज़ अपनी जगह पर नहीं थी उसे याद आ रहा था कि खाना बनाते वक्त अनुष्का हमेशा कोई ना कोई गीत गुनगुनाया करती थी जो कि राजेश को बेहद पसंद था, फिर ... फ्रिज से पानी की बोतल निकाली और वापिस कमरे में आ गया | राजेश सोचने लगा एक लम्हे में अचानक सब कुछ कैसे बदल जाता है हमारी जिंदगी पर एक एक लम्हे का कर्ज रह जाता है |
वो लम्हा कितना खास था, उसका कर्ज वो कभी भूल भी नहीं पायेगा जब राजेश के लिए अनुष्का उसकी जिंदगी बन कर उसकी दुनिया में हमेशा के लिए आ गयी थी, ऐसा लगा था कि सारी कायनात ने उसके लिए खुशियां समेट दी और दामन में भर दी हों ,अपने प्यार को पाना मतलब, जिंदगी को पाना था |
राजेश और अनुष्का अक्सर कॉलेज में ही मिला करते थे!अनुष्का बुआ से मिलने के बहाने कॉलेज में आती थी !उनकी ये मुलाकाते प्यार में तबदील हो गयी इस बात की भनक बुआ को लग चुकी थी!
राजेश ओर अनुष्का के इस सच्चे प्यार को उसकी बुआ ने हरी झंडी दे दी थी हालांकि रश्मी नहीं चाहती थी की अनुष्का अभी शादी करे क्यों कि वो बहुत छोटी भी थी और पढ़ने में अच्छी भी थी, लेकिन राजेश के प्यार के आगे उसकी एक ना चली |
राजेश एक सुलझा हुआ इंसान था बेहद नेक प्रवृति का ,शायद वो अनुष्का के लिए उपयुक्त भी था अगर वो अनुष्का को प्यार करता है तो उसे हर हाल में खुश भी रखेगा यही सोच कर रश्मी ने विवाह के लिए हामी भर दी थी | अनुष्का की मां की कुछ साल पहले बीमारी के चलते मृत्यु हो गयी थी जिसके कारण ये जिम्मेवारी अनुष्का के पिता ने रश्मी के कन्धों पर डाल दी थी | रश्मी अविवाहित थी इसलिए अनुष्का को अपनी बच्ची समझ कर प्यार करती थी और दोनों बुआ भांजी न हो कर अच्छी सहेलियां भी थी |

कहानियों का सफर जारी रहेगा.......
शेष भाग अगली क़िस्त में ......

आपको मेरी कहानी का भाग-1 और भाग-2 कैसा लगा
अपने विचार अवश्य बताये

-:लेखक:-
जयसिंह नारेड़ा

No comments:

Post a Comment

मीना गीत संस्कृति छलावा या व्यापार

#मीणा_गीत_संस्कृति_छलावा_या_व्यापार दरअसल आजकल मीना गीत को संस्कृति का नाम दिया जाने लगा है इसी संस्कृति को गीतों का व्यापार भी कहा जा सकता ...