Skip to main content

वो कॉलेज वाला प्यार....भाग-5(अंतिम भाग)

रात को खाने के बाद दोनों बालकनी में खड़े हो गए मगर खामोश, इस बार जैसे दोनों को ही एक अजनबीपन का एहसास हो रहा था राजेश नहीं समझ पा रहा था की वो उसे कैसे समझाए न ही अनुष्का ये बात समझ पा रही थी | दोनों जान चुके थे की दूरियां तो आ गयी हैं मगर इन दूरियों का जिम्मेवार कौन है वो या अनुष्का , मगर राजेश अभी भी अनुष्का को दिलोजान से चाहता था वो चाहता था की अनुष्का वापिस अपने शहर आ जाये लेकिन वो उसे मजबूर नहीं करना चाहता था |
अचानक फिर से घंटी बजी, राजेश की शून्यता टूटी मगर इस बार घंटी फ़ोन की थी ,घंटी लगातार बज रही थी और उसकी गूंज कमरे में पसरी ख़ामोशी और राजेश के दिल में बसी ख़ामोशी दोनों में खलल डाल रही थी , उसने चाय का गिलास टेबल पर रखा और रिसीवर उठाया और भरी आवाज में कहा "हेलो" दूसरी तरफ आवाज किसी औरत की थी कुछ जानी पहचानी ,दूसरी तरफ से फिर आवाज आई "हेलो, हेलो, कौन? राजेश, मैं रश्मि बोल रही हूँ " थोड़ा विस्मय भरे अंदाज में राजेश ने कहा "अरे बुआ आप, आप कैसी हैं?" रश्मि की आवाज फिर आई " मैं अच्छी हूँ बहुत दिन हो गए थे तुमसे बात किये आजकल कॉलेज भी नहीं आ रहे हो, किसी ने बताया तुमने छुट्टी ले रखी है इसलिए सोचा फ़ोन कर के पूछ लूं कहीं तबियत खराब तो नहीं ?"
राजेश हंसने लगा "नहीं बुआ ऐसी कोई बात नहीं मैं ठीक हूँ " रश्मि कुछ कहना चाह रही थी मगर हिम्मत नहीं हो रही थी बस इतना ही कहा " राजेश मैं तुम्हें और तुम्हारे हालातों को समझ सकती हूँ बस दुःख तो इस बात का है कि कुछ कर नहीं सकती जो भी हुआ बेहद बुरा हुआ " राजेश कुछ सकते में आ गया वो शायद इस बात के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं था और आगे कुछ सुनना नहीं चाहता था रश्मि की बात काट कर बस इतना ही कहा "बुआ जी आप मेरी चिंता न कीजिये अभी कुछ काम है मैं आपसे बाद में बात करता हूँ" और रिसीवर रख दिया |
रिसीवर के रखते ही राजेश ज्यादा परेशान हुआ उसने बड़ी अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी पर हाथ फेरा और धड़ाम से पलंग पर आ गिरा और फिर वहीं सब बातें सोचने लगा, कैसे ये सब हो गया ये तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि अनुष्का इतनी बेरुखी से उसे ठुकरा कर चली जाएगी आखिर उसके प्यार में क्या कमी रह गयी थी ? अनुष्का अब एक प्रोफेसर बन चुकी थी क्या यही वजह थी ? या राजेश का कलर्क होना अब उसे अखरने लगा था आखिर अनुष्का ने ऐसा क्यों किया ? ये सब सवाल एक बड़ी पहेली बन गए थे राजेश के लिए | वो झट से उठा और टेबल पर पड़ी डायरी के बीच रखे उस अनुष्का के खत को अपने कांपते हाथों से निकाला और इन सारे सवालों के जवाब ढूंढने के लिए एक बार फिर पढ़ने लगा वो जानता था कि जब से उसे अनुष्का का खत उसे मिला है वो कितनी बार उसे पढ़ चुका है ..
करीब एक महीना पहले उस दिन राजेश कॉलेज से लौटा ही था कि लैटरबॉक्स में खत मिला , ना जाने किसका था समझ नहीं पा रहा था वो अंदर आकर आराम कुर्सी पर बैठ गया थोड़ा सुस्ताने लगा फिर उस खत को खोला तो सबसे ऊपर अपना नाम पढ़ा, फिर ..क्या था धीरे धीरे उसे उसकी जिंदगी उससे दूर जाती दिखी ,जैसे जैसे वो उस खत को पढ़ रहा था उसे सब कुछ ख़त्म होता दिखाई दे रहा था...
"प्रिय राजेश
मैं इस खत को लिखने के लिए बहुत मजबूर हूं मैं जानती हूं इसे पढ़ कर तुम्हें बेहद दुःख होगा मुझे इसके लिए माफ़ कर देना मगर मुझे ये लिखना बेहद जरुरी लग रहा है , समय रहते ही मैं आपको सारी बातें कहना चाहती हूं मैं नहीं चाहती कि बाद में हम दोनों को कोई पछतावा महसूस हो | राजेश हमारी शादी को सात साल हो गए और एक दूसरे को समझने के लिए ये काफी होते हैं , मैं जानती हूं आप मुझे अच्छे से समझते हैं इसलिए इस खत में लिखी मेरी हर बात को आप समझोगे, मैं क्या सोचती हूं उसको भी | राजेश जब आप से मेरी शादी हुई तब मैं बेहद छोटी थी सिर्फ अठारह बरस की,उस वक्त मैं कितनी अल्हड और नादान थी आज मुझे लगता है , मैं उस वक्त नहीं जानती थी कि जिंदगी क्या है ,जीना किसे कहते हैं, मैं उस वक्त पढ़ना चाहती थी आगे बढ़ना चाहती थी कि अचानक से आप मेरी जिंदगी में आ गए, आप मुझसे प्यार करते थे इसलिए मुझे भी आप से प्यार हो गया ,मगर मेरा वो प्यार शायद मेरा बचपना था आप ही सोचिये उस उम्र में तो शायद कोई भी लड़की बहक जाये क्यों कि वो उम्र ही ऐसी होती है |
आज मैं परिपक्व अवस्था में हूं जीवन के बारे में खुद के बारे में सोच सकती हूं, मैं अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीना चाहती हूं जिंदगी को नए आयाम देना चाहती हूं,जीवन में अपने लक्षय को प्राप्त करना चाहती हूं ,इस लिए मैं ज्यादा ना लिखते हुए यही बात स्पष्ट कहना चाहती हूं कि मैं आपसे अलग होना चाहती हूं और कानूनी तौर पर आपसे तलाक लेना चाहती हूं | ये मेरी निजी राय है और इच्छा भी, आशा है आप मेरे इस फैसले का सम्मान करोगे और मुझे समझेंगे | आप अपने जीवन में हमेशा खुश रहिये इन्हीं शुभकामनाओं के साथ!
अनुष्का"
दोनों के कानूनी तौर पर अलग हो जाने के तक़रीबन साल भर बाद खबर आई कि अनुष्का ने शहर के एक जाने माने उद्योगपति राजकुमार उर्फ राजू से शादी कर ली और हमेशा के लिए अमेरिका चली गयी ,लेकिन राजेश का कोई पता नहीं था उसको लेकर भी कई तरह की बातें सामने आई ,कोई कहता कि मानसिक संतुलन खो बैठा है ...
कोई कहता कि वो अपने गावं वापिस चला गया |
-------------------------------------------------------------------
मेरी कहानी का अंतिम पड़ाव यही तक था उम्मीद है आपको पसंद आई होगी!
कहानी में गलतिया राह गयी हो तो क्षमा करें और मार्गदर्शन देने का कष्ट करें!

-:लेखक:-
जायसिंह नारेड़ा

Comments

Popular posts from this blog

मीणा शायरी

ना डरते है हम #तलवारो से, ना डरते है हम #कटारो से, ना डरे है हम कभी #सैकड़ो और #हजारो से, हम मीणा वो योद्धा है, #दुश्मन भी कांपे जिसकी #ललकारो से, #हस्ती अब अपनी हर #कीमत पर #सवारेंगे, #वाद...

एक मच्छर,साला एक मच्छर,आदमी को हिजड़ा बना देता है!-जयसिंह नारेड़ा

एक मच्छर , साला एक मच्छर , आदमी को हिज ड़ा बना देता है ! ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ एक खटमल पूरी रात को अपाहिज कर देता है. सुबह घर से निकलो, भीड़ का हिस्सा बनो. शाम को घर जाओ, दारू पिओ, बच्चे पैदा करो और सुब...

नारेड़ा गोत्र या गांव टोड़ी खोहरा का इतिहास

नारेड़ा गोत्र या गांव टोड़ी खोहर्रा(अजितखेड़ा) का इतिहास ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ बड़े बुजुर्गो के अनुसार टोड़ी खोहर्रा के लोग कुम्भलगढ़ में रहते रहते थे ये वही के निवासी थे! इनका गोत्र सिसोदिया था और मीनाओ का बहुत बड़ा शासन हुआ करता था! राजा का नाम मुझे याद नही है किसी कारणवस दुश्मन राजा ने अज्ञात समय(बिना सुचना) के रात में आक्रमण कर दिया! ये उस युद्ध को तो जीत गए लेकिन आदमी बहुत कम रह गए उस राजा ने दूसरा आक्रमण किया तो इनके पास उसकी सेना से मुकाबला करने लायक बल या सेना नही थी और हार झेलनी पड़ी! इन्होंने उस राजा की गुलामी नही करने का फैसला किया और कुम्भलगढ़ को छोड़ कर सांगानेर(जयपुर) में आ बसे और यही अपना जीवन यापन करने लगे यंहा के राजा ने इनको राज पाट के महत्व पूर्ण काम सोपे इनको इनसे कर भी नही लिया जाता था राजा सारे महत्वपूर्ण काम इन मीनाओ की सलाह से ही करता था नए राजा भारमल मीनाओ को बिलकुल भी पसन्द नही करता था और उन पर अत्याचार करता रहता था! एक बार दीवाली के आस-पास जब मीणा पित्रों को पानी दे रहे थे तब उन निहत्तो पर अचानक वार कर दिया! जिसमे बहुत लोग मारे गए भारमल ने अपनी बेटी अकबर को द...