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Showing posts from 2021

बचपन की दिवाली

बचपन की दिवाली दिवाली एकमात्र ऐसा त्यौहार होगा जिसे आने के महीने भर पहले से तैयारी में लग जाते हैं। घर की साफ-सफाई, रंग–रोगन, तरह तरह मिठाई जिसमे मुख्य रूप से मावा की मिठाइयां सच में एक अलग ही उत्साह होता है| पर आज कितना भी बड़े हो जाए लेकिन बचपन की वो दिवाली नहीं भूली जा सकती | लेकिन ये सब अब नही देखने को मिलता  जब दिवाली आने की सबसे ज्यादा खुशी होती थी क्यूंकि स्कूल की महीने भर की छुट्टियां | पर साथ मे भगवान से प्रार्थना दिवाली का ढेर होमवर्क नहीं मिल जाए और अगर कोई टीचर ढेर सारा होमवर्क दे देता तो वह किसी विलेन से कम नहीं लगता मन ही मन ढेरो गालियां तो दे ही देते थे । छुट्टियां आते ही थैला किस कोने में पड़ा होता यह तो पता ही नहीं चलता ?? छुट्टियों का अपना अलग ही मजा होता था सारे दिन दोस्तो के साथ घूमना,खेलना कूदना और मस्ती करना दिन तो पता ही नही चलता कब निकल गया और जब जीजी (मम्मी ) भाई (पापा) साफ सफाई की कह दे तो मानो जीव ही निकल गया हो दिवाली का सबसे बोरिंग पार्ट साफ सफाई करना ही लगता है। शाम के टाइम जब भाई पटाखे लेकर आता तो महाभारत हो जाती मुझे ये नहीं चाहिए सुतली बॉम्ब ही चाहि...

फेसबुकी संस्कारी

फेसबुक के संस्कारी एक दो दिन पहले जब से पुलिस वालों वीडियो वायरल हुआ तब से प्रबुद्धजीवियो की टोली ने जन्म लिया है उन्हें लगता है इससे युवा बिगड़ रहे है और अपने फोकट के ज्ञान की फेसबुक गंगा बहा दी है जैसे वीडियो फेसबुक जीवियों जे बनाई हो । दरअसल इस युग में मुख्यतः संस्कारी 3 प्रकार के पाए जाते है। 👉 शुध्द संस्कारी 👉 मॉडर्न संस्कारी 👉 फेसबुक संस्कारी आपको लग रहा होगा जैसे ये कोई टाइम पास कर रहा है इससे ज्यादा भी केटेगरी हो सकती है हा बिल्कुल हो सकती है क्योंकि हर प्रकार की प्रजाति जो पाई जाती है। कल से इनके प्रवचन ऐसे लग रहे है जैसे मानो सनी लियोन और राखी सांवत का मिक्सर करके एक घोल बनाया मिया खलीफा और वही मिया खलीफा आज संस्कारो पर प्रवचन दे रही हो 😄😄😄 चलिए संस्कारियो की थोड़ी सी हकीकत जान लेते है ये वही संस्कारी है जो रात भर फ़ोन में दुनियाभर की पोर्न साइट खोलकर अपनी आत्मा की तृप्ति करते है और व्हाट्सएप पर ढेरो एडल्ट ग्रुप से जुड़े होते है । जब भी कोई वीडियो वायरल होती है तो ये मैसेंजर में वीडियो ना मांग कर सीधे व्हाट्सएप पर सम्पर्क करते है ताकि इनकी प्रायवेसी का ख्याल रह सके...

मीणा हिन्दू या आदिवासी

काफी दिन से हिन्दू और आदिवासी की लड़ाई चल रही है.... दरअसल ये कोई लड़ाई नही है लेकिन इसे एक मुद्दा बनाया जा रहा है बात बात पर लोग तंज कसने लगे है कि तुम #हिन्दू हो या #आदिवासी हो । सुनने में अजीब लगेगा लेकिन एक ही जात ( मीणा ) दो भागों में वर्गीकृत हो रही है आधे लोग हिन्दू मीणा बने हुए है तो वही आधे लोग आदिवासी बने हुए है।  जबकि सुप्रीम कोर्ट हमे आदिवासी मानता है और हमे आदिवासी का दर्जा दिया हुआ है हमारे ऊपर #हिन्दू_विवाह_अधिनियम लागू नही होता है वही दूसरी और हम कही न कही हिन्दू रीति रिवाजों के बहुत करीब है। देखा जाए तो आदिवासी आज से ही नही आदि काल से ही झाड़ - फूक, टोटकों पर विस्वास करते आये है देवता भराने से लेकर भूत जिंदो की कहानियां भी आदिवासियों से ही जुड़ी हुई है । इन सब के साक्ष्य भी पुरातत्व विभाग के पास उपलब्ध है। आदिवासियों का हिन्दू करण हुए ज्यादा समय नही हुआ इसे हिन्दू करण कह लीजिए या फिर होड़ कह लीजिए बात वही आकर रुकती है।                                  आज जन्मदिन,सालगिरह और रिशेप्शन होने...

हक मांगना किसान की गलती

क्या गलती है इस किसान की  यही की ये हक मांग रहा था ??  अब गूंगी बहरी सरकार से हक मांगना भी गुनाह हो गया है मंदिर के लिए चंदा मांग लेता तो इसे न्यूज़ में दिखा दिखा कर फेमस कर देते। इसकी गलती है इसने अपने बच्चों को पालने के लिए लड़ाई लड़ रहा है इसकी गलती है कि ये घर परिवार को छोड़ कर सरकार से लड़ रहा है इसे जमीन में एक मंदिर बना देना चाहिए और भूखी नंगी जात को उसमे पुजारी रख देना चाहिए तब तो ये महान हुआ अन्यथा किसान बनेगा तो लोग किसानों को ऐसे ही मारते रहेंगे ।                         सरकार किसानों का मान सम्मान बढ़ाने की बात करती है वो मान सम्मान लट्ठ देना ही तो है ये मान सम्मान कम है क्या जो आज एक किसान को खुनो से लतपथ कर दिया जबकि उसकी गलती ये थी कि वो अपने बाल बच्चों को पालने के लिए तानाशाही सरकार से अपना हक मांग रहा है। अब कोई नेता इसके साथ नही लगेगा क्योकि नेताओ को डर है टिकट कट जाएगा पार्टी सीडी वायरल कर देगी या फिर अपना मंत्री पद चला जायेगा ।                      ...

सामान का बहिष्कार करो

एक समय हमारा देश सोने की चिड़िया कहा जाने लगा था  । हमारे देश के अवसरवादी लोग बहुत बड़े देश भक्त होने का ढोंग किया करते है। एक बार उस देश पर किसी पड़ोसी देश ने हमला कर देता है । हमारे देश के लोगो के द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट डालना शुरू कर दिया जाता है कि पड़ोसी देश के समान (चाइना का माल )का बहिष्कार करो। उन लोगो को काफी ज्यादा लाइक आ गए पोस्ट पर और फॉलोवर भी बढ़ गए। लेकिन जब हालात सामान्य हो गए तब वो ही लोग दूसरे देश की चीजें बाजार से सस्ते में खरीदने लग गए। नोट-यह घटना पूरी तरह से काल्पनिक है। इसका किसी सत्यता से सम्बन्ध मिलता है तो इसे संयोग मात्र माना जायेगा । © जयसिंह नारेङा

सोशल मीडिया

आजकल सोशल मीडिया का दौर है! चैटिंग तो जोरों शोरों पर रहती है आज के दौर में सब मोह माया के चक्कर में फंसे हुए हैं |  बाबू सोना से चैटिंग करने का टाइम है पर अगर माँ बाप कुछ काम की बोल दे तो पढ़ाई का बहाना / नोकरी का बहाना या अन्य किसी काम का बहाना बना लेंगे आजकल सबसे ज्यादा प्रतिस्पर्धा तो सोशल मीडिया पर देखने को मिलती है .. फोटो पोस्ट करते ही चेक करने लगते हैं अरे उन फलाने का लाइक कमेंट नहीं आया! आज से मै भी इनकी पोस्ट पर लाइक कमेंट नही करूँगा! कहीं स्टेट्स देखने की प्रतिस्पर्धा तो कहीं वो पहले मैसेज नहीं करते हैं तो मैं क्यों करूँ! वाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल साइड पर ही अगले व्यक्ति की निजी जिंदगी का आकलन कर लेते हैं .. अगर कोई व्यक्ति थोड़ा रोमांटिक स्टेटस लगा दे तो प्यार का चक्कर है, अगर गम भरे लगा दे तो भैय्या पक्का छोरी छोड़ गयी है  आजकल लाइक कमेंट की भी होड हो चुकी है  आगे फ्लाना ढीकाना , etc ....                                      कोई किसी के वाट्सऐप स्टेटस से उ...

सोशल मीडिया और हम

सोशल मीडिया और हम आज का दौर युवाशक्ति का दौर है। भारत में इस समय 65 प्रतिशत के करीब युवा हैं। इन युवाओं को बड़ी  ही सक्रियता से जोड़ने का काम सोशल मीडिया कर रहा है। युवा वर्ग में सोशल नेटवर्किंग साइट्स का क्रेज दिन-पर-दिन बढ़ता जा रहा है। युवाओं के  उसी क्रेज़ के कारण आज सोशल नेटवर्किंग दुनिया भर मैं इंटरनेट पर होने वाली नंबर वन गतिविधि बन गया है। एक परिभाषा के अनुसार, 'सोशल  मीडिया को परस्पर संवाद का वेब आधारित एक ऐसा अत्यधिक गतिशील मंच कहा जा सकता है जिसके माध्यम से लोग संवाद करते हैं, आपसी  जानकारियों का आदान-प्रदान करते हैं और उपयोगकर्ता जनित सामग्री को सामग्री सृजन की सहयोगात्मक प्रक्रिया के एक अंश के रूप में संशोधित  करते हैं।' सोशल नेटवर्किंग साइट्स युवाओं की जिंदगी का एक अहम अंग बन गया है। यह सही है कि इसके माध्यम से लोग अपनी बात बिना  किसी रोक-टोक के देश और दुनिया के हर कोने तक पहुँचा सकते हैं, परन्तु इससे अपराधों में भी वृद्धि हुई है। रोज नए नए दादा इस सोश्ल साइट पर जन्म ले रहे है ऐसे रोज लाइव आकर धमकिया देना तो आम प्रवती हो गयी है ! खैर दादाओ के ...

गलतफहमी

#गलतफहमी शब्द सुनने जितना आसान लगता है ये असल मे उतना ही उलझा हुआ है किसी बात को लेकर हुए मतभेद से उपझे ख्यालो को मनभेद के रूप में जन्म दे देता है।                                             अक्सर लोग मानते हैं कि फला व्यक्ति से मेरी नहीं बन सकती क्यूंकि उसकी सोच-विचारधारा मुझसे बिलकुल भिन्न है । वैचारिक सम्बन्ध अलग चीज़ हैं और व्यक्तिगत सम्बन्ध अलग । वैचारिक रूप से तो कर्ण और दुर्योधन भी एकदम विपरीत थे किन्तु फिर भी आज तक दोनों की मित्रता की मिशाल दी जाती हैं।  बहुधा मतभेद से हम अज्ञान के कारण मनभेद उत्पन्न कर बैठते है यह मनभेद वास्तव में स्वार्थ का पर्याय है और इसका उदय भी अज्ञान के कारण होता है। आवश्यकता इस बात कि है कि हम हर परिस्थिति और कर्म को अलग दृष्टीकोण से भी सोच कर देखें, शायद यहीं से आपको अच्छे-ख़राब का असल भेद ज्ञात होगा। मगर किसी भी हाल में मतभेद के कारणों को मनभेद तक ना आने दें,अन्यथा आपकी तमाम क्रियाशीलता एक स्वार्थ, जलन और हीन भावना का रूप ले बैठेगी और आपक...

व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी

नमस्कार फेसबूक के विद्वानो   !  आप सभी शोधार्थियों,ज्ञानार्थियों, मनोरंजनार्थियों को। व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी  के प्रधान कार्यालय फेसबूक  में आपका हार्दिक स्वागत है ?  इस यूनिवर्सिटी  में प्रवेश करने का सीधा सा फ़ण्डा है।  कुछ प्रमुख शर्तें जो हैं- -  1-आपके पास एक स्मार्ट फ़ोन हो। 2- आप फेसबुक,व्हाट्सऐप, इंस्ट्राग्राम,ट्विटर आदि-आदि के खाताधारक हों। 3- आपके मोबाइल में इंटर नेट पैक हो। 4- इसके लिए बर्बाद करने के लिए आपके पास भरपूर वक्‍त हो। यदि आप उपरोक्त शर्तों को पूरा करते हैं तो व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी आपको पूरा यकीन दिलाता है कि विविध विषयों और मुद्दो के व्याखाता  (जिनकी बैध डिग्री की कोई गारण्टी नहीं है) आपको ऐसा-ऐसा ज्ञान बांटेंगे की अच्छे-अच्छों के दिमाग की बत्ती गुल हो जाएगी। व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी के इस ज्ञान से और कुछ हो न हो आपका समय अवश्य व्यतीत हो जाएगा । व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी यहाँ प्रकाशित ज्ञान की न तो पुष्टि करता है न ही समर्थन करता है।                        ...

राजेश पायलट ने किरोड़ी लाल को हराया

राजेश पायलट ने किरोड़ी लाल को हराया चुनाव का मैदान भी कुश्ती के दंगल की तरह होता है दांव पेंच तो दोनों ही लगाते है लेकिन एक की कुश्ती ने हार होती है।  ठीक उसी प्रकार चुनाव में भी यही हाल होता है #राजेश_पायलट गुर्जर ही नही सर्व समाज के चहेते नेता थे और वे कांग्रेस जैसी दिग्गज पार्टी के नेता थे । वो समय ही कांग्रेस का था उस समय बीजेपी को वोट कोई नही देता था यहाँ तक कि बीजेपी का टिकट भी कोई लाना नही चाहता था ऐसा तो बहुत बार हुआ था जब बीजेपी को कोई टिकट लेने वाला नही मिला । राजस्थान तो कांग्रेस मय था ही !!                              दौसा का चुनावी आखाड़ा गुर्जर मीणा बाहुल्य था इसमे राजेश पायलट जो पहले से ही लोगो के चहेते बन चुके थे बने भी क्यो नही आखिर वे सर्व समाज के लिए तत्पर रहते थे दीन हिनो की आवाज बनते थे और दूसरी तरफ वे कांग्रेस के बड़े नेता थे उस समय कांग्रेस का एक तरफा राज हुआ करता था यू कह सकते है कांग्रेस की आंधी थी।                        ...

#फादर्स_डे_या_दिखावा

    #फादर्स_डे_या_दिखावा आज सभी फेसबुक के दिखावटी प्राणी " फादर्स डे" मना रहे है। मनाना भी चाहिए लेकिन एक ही दिन क्यो ?? हर रोज क्यो नही ?? आज आभासी दुनिया के आभासी प्राणी फेसबुक पर जमकर बधाई दे रहे है क्या बाकई आज बाप के लिए कुछ स्पेशल किया या फिर उन्होंने वास्तविक रूप से बाप को नमस्कार भी किया लगभग किसी ने नही..... खैर छोड़िये जो आप फेसबुक पर पोस्ट डालकर बाप प्रति प्यार जता रहे है वो उन्हें दिखाया या फिर आपके पिताजी फेसबुक पर आपकी प्रतिक्रिया देख पा रहे है शायद ये भी नही ......फिर ये दिखावा क्यो जब बाप इन सब आडम्बरो को देख ही नही पा रहा हो ।।                                                 आज भी बाप के लिए तो वही आम दिन है जो हर रोज हुआ करता था । जबकि माँ बाप के लिए तो बेटा बेटी हर रोज स्पेशल होता है वो अलग बात है कि छोटी मोटी लड़ाई होती रहत...