Wednesday, November 3, 2021
बचपन की दिवाली
Saturday, September 11, 2021
फेसबुकी संस्कारी
फेसबुक के संस्कारी
एक दो दिन पहले जब से पुलिस वालों वीडियो वायरल हुआ तब से प्रबुद्धजीवियो की टोली ने जन्म लिया है उन्हें लगता है इससे युवा बिगड़ रहे है और अपने फोकट के ज्ञान की फेसबुक गंगा बहा दी है जैसे वीडियो फेसबुक जीवियों जे बनाई हो ।
दरअसल इस युग में मुख्यतः संस्कारी 3 प्रकार के पाए जाते है।
👉 शुध्द संस्कारी
👉 मॉडर्न संस्कारी
👉 फेसबुक संस्कारी
आपको लग रहा होगा जैसे ये कोई टाइम पास कर रहा है इससे ज्यादा भी केटेगरी हो सकती है हा बिल्कुल हो सकती है क्योंकि हर प्रकार की प्रजाति जो पाई जाती है।
कल से इनके प्रवचन ऐसे लग रहे है जैसे मानो सनी लियोन और राखी सांवत का मिक्सर करके एक घोल बनाया मिया खलीफा और वही मिया खलीफा आज संस्कारो पर प्रवचन दे रही हो 😄😄😄
चलिए संस्कारियो की थोड़ी सी हकीकत जान लेते है ये वही संस्कारी है जो रात भर फ़ोन में दुनियाभर की पोर्न साइट खोलकर अपनी आत्मा की तृप्ति करते है और व्हाट्सएप पर ढेरो एडल्ट ग्रुप से जुड़े होते है ।
जब भी कोई वीडियो वायरल होती है तो ये मैसेंजर में वीडियो ना मांग कर सीधे व्हाट्सएप पर सम्पर्क करते है ताकि इनकी प्रायवेसी का ख्याल रह सके । यहां फोकट का ज्ञान बांटने वालो में से 99% व्यक्ति उपर्युक्त बताई प्रक्रिया से गुजरे हुए होते है ।।
फेसबुक पर समाजसेवी बने होने का टेग लेने के लिए वे समय समय पर ऐसी पोस्ट करते रहते है ये लोग भीड़ भाड़ वाले जगह या फिर यू कहे मोके वाली जगह पर महिलाओं पर कमेंट करने से नही चूकते और फिर पोस्ट करते है "आज के युग मे महिलाओं का शोषण हो रहा है" ताकि इनके स्टेटस में गिरावट ना आये ।।
कल के बुद्धिजीवी इनबॉक्स में वीडियो देखने के बाद ही तो पोस्ट कर रहे है अन्यथा उन्हें कैसे पता कि वीडियो में क्या था ??
और किस बजह से युवाओं का ध्यान भटक रहा है ये तो वही बात हुई खुद श्रीमान बैगन खाये औरों को परहेज बताए 😛😛
ऐसी बात नही है कुछ शुद्ध संस्कारी भी होते है । रही बात मॉडर्न संस्कारी की तो आप टिकटोक वाली भाभियो को देख ही सकते हो वैसे मैं भाभियो के खिलाफ एक शब्द नही बोलूंगा 😁😁
किसी की भावनाओं को ठेस पहुची हो तो एक बार अवगत अवश्य करवाये ताकि मैं दूसरी कड़ी लिखने की कोशिश कर सकू 😂😂
✍️ जयसिंह नारेङा
Sunday, September 5, 2021
मीणा हिन्दू या आदिवासी
Saturday, August 28, 2021
हक मांगना किसान की गलती
Thursday, July 15, 2021
सामान का बहिष्कार करो
एक समय हमारा देश सोने की चिड़िया कहा जाने लगा था । हमारे देश के अवसरवादी लोग बहुत बड़े देश भक्त होने का ढोंग किया करते है।
एक बार उस देश पर किसी पड़ोसी देश ने हमला कर देता है । हमारे देश के लोगो के द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट डालना शुरू कर दिया जाता है कि पड़ोसी देश के समान (चाइना का माल )का बहिष्कार करो।
उन लोगो को काफी ज्यादा लाइक आ गए पोस्ट पर और फॉलोवर भी बढ़ गए। लेकिन जब हालात सामान्य हो गए तब वो ही लोग दूसरे देश की चीजें बाजार से सस्ते में खरीदने लग गए।
नोट-यह घटना पूरी तरह से काल्पनिक है। इसका किसी सत्यता से सम्बन्ध मिलता है तो इसे संयोग मात्र माना जायेगा ।
© जयसिंह नारेङा
Tuesday, July 13, 2021
सोशल मीडिया
Saturday, July 10, 2021
सोशल मीडिया और हम
गलतफहमी
Tuesday, July 6, 2021
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी
Sunday, June 27, 2021
राजेश पायलट ने किरोड़ी लाल को हराया
Sunday, June 20, 2021
#फादर्स_डे_या_दिखावा
#फादर्स_डे_या_दिखावा
आज सभी फेसबुक के दिखावटी प्राणी " फादर्स डे" मना रहे है। मनाना भी चाहिए लेकिन एक ही दिन क्यो ?? हर रोज क्यो नही ??
आज आभासी दुनिया के आभासी प्राणी फेसबुक पर जमकर बधाई दे रहे है क्या बाकई आज बाप के लिए कुछ स्पेशल किया या फिर उन्होंने वास्तविक रूप से बाप को नमस्कार भी किया लगभग किसी ने नही.....
खैर छोड़िये जो आप फेसबुक पर पोस्ट डालकर बाप प्रति प्यार जता रहे है वो उन्हें दिखाया या फिर आपके पिताजी फेसबुक पर आपकी प्रतिक्रिया देख पा रहे है शायद ये भी नही ......फिर ये दिखावा क्यो जब बाप इन सब आडम्बरो को देख ही नही पा रहा हो ।।
आज भी बाप के लिए तो वही आम दिन है जो हर रोज हुआ करता था ।
जबकि माँ बाप के लिए तो बेटा बेटी हर रोज स्पेशल होता है वो अलग बात है कि छोटी मोटी लड़ाई होती रहती है!
बचपन से लेकर आजतक हर दिन, हर घण्टे, हर मिनट और हर सेकेण्ड जो भी हमने सांसे गिनी है, वो सब पापा की बदौलत है। हम और हमारा अस्तित्व तो सिर्फ उनकी बदौलत, हमारी एक पहचान है यहां तक कि सर नेम भी हमारा उनकी बदौलत है।
माँ हमे जन्म देती है लेकिन माँ के साथ साथ हमारा भरण पोषण करने वाला और कोई नही हमारा बाप ही होता है परिवार के वजन को अपने सर पर लेकर हमे किसी चीज की कमी होने देता । परिवार रूपी बगिया के माली हमारे पिता होते हैं, जो इस बगिया की देखभाल पुरे तन मन धन से करते हैं वो भी निःस्वार्थ।
एक ऐसे इंसान जो सारी जिंदगी सिर्फ हमारे लिए मेहनत
करते हैं, पैसे कमाते है, हमारे और हमारे परिवार के सपनो को पूरा करने में वो कभी नहीं थकते, वो पिता होते हैं।
माँ के बाद जो हमारे दूसरे भगवान होते हैं, जिनकी वजह से पूरे हमारे अरमान होते हैं, वो पिता होते हैं।
लाखों कष्ट सहकर उफ़्फ़ भी नहीं करते, और हमारी छोटी सी खरोंच पर भी परेशान हो जाने, पिता होते हैं।
खुद तकलीफ में हों लेकिन, हमारे आँखों को देखकर हमारे मन की आवाज सुनने वाले, पिता होते हैं।
हमारी ख़ुशी में अपनी खुशी ढूंढने वाले सिर्फ और सिर्फ हमारे पिता होते हैं। पर आज अफ़सोस इस बात का है कि वो बाग जिसे कभी किसी पिता ने बसाया था, उन छोटे छोटे नाजुक से पौधों को जिसने पेड़ बनाया था, उसी वृक्ष के छाँव की उन्हें जब जरूरत होती है, तो न जाने कहाँ से उस विशाल वृक्ष के सारे पत्ते ये कहकर झड़ जाते हैं कि अब तो पतझड़ का मौसम है, आपको
किसी और के बगीचे में चले जाना चाहिए। कितना दुःखी
होता होगा वो माली, जिसने खून पसीने से सींच कर एक छोटे पौधे से इतना विशाल वृक्ष बनाया, आज वही उन्हें छाँव भी नहीं दे पा रहा, उनके दुःख की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।
लेखक
जयसिंह नारेङा
मीना गीत संस्कृति छलावा या व्यापार
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