Skip to main content

#फादर्स_डे_या_दिखावा

    #फादर्स_डे_या_दिखावा

आज सभी फेसबुक के दिखावटी प्राणी " फादर्स डे" मना रहे है। मनाना भी चाहिए लेकिन एक ही दिन क्यो ?? हर रोज क्यो नही ??

आज आभासी दुनिया के आभासी प्राणी फेसबुक पर जमकर बधाई दे रहे है क्या बाकई आज बाप के लिए कुछ स्पेशल किया या फिर उन्होंने वास्तविक रूप से बाप को नमस्कार भी किया लगभग किसी ने नही.....
खैर छोड़िये जो आप फेसबुक पर पोस्ट डालकर बाप प्रति प्यार जता रहे है वो उन्हें दिखाया या फिर आपके पिताजी फेसबुक पर आपकी प्रतिक्रिया देख पा रहे है शायद ये भी नही ......फिर ये दिखावा क्यो जब बाप इन सब आडम्बरो को देख ही नही पा रहा हो ।।
                                                आज भी बाप के लिए तो वही आम दिन है जो हर रोज हुआ करता था ।

जबकि माँ बाप के लिए तो बेटा बेटी हर रोज स्पेशल होता है वो अलग बात है कि छोटी मोटी लड़ाई होती रहती है!

बचपन से लेकर आजतक हर दिन, हर घण्टे, हर मिनट और हर सेकेण्ड जो भी हमने सांसे गिनी है, वो सब पापा की बदौलत है। हम और हमारा अस्तित्व तो सिर्फ उनकी बदौलत, हमारी एक पहचान है यहां तक कि सर नेम भी हमारा उनकी बदौलत है।

माँ हमे जन्म देती है लेकिन माँ के साथ साथ हमारा भरण पोषण करने वाला और कोई नही हमारा बाप ही होता है परिवार के वजन को अपने सर पर लेकर हमे किसी चीज की कमी होने देता । परिवार रूपी बगिया के माली हमारे पिता होते हैं, जो इस बगिया की देखभाल पुरे तन मन धन से करते हैं वो भी निःस्वार्थ।

एक ऐसे इंसान जो सारी जिंदगी सिर्फ हमारे लिए मेहनत
करते हैं, पैसे कमाते है, हमारे और हमारे परिवार के सपनो को पूरा करने में वो कभी नहीं थकते, वो पिता होते हैं।

माँ के बाद जो हमारे दूसरे भगवान होते हैं, जिनकी वजह से पूरे हमारे अरमान होते हैं, वो पिता होते हैं।

लाखों कष्ट सहकर उफ़्फ़ भी नहीं करते, और हमारी छोटी सी खरोंच पर भी परेशान हो जाने, पिता होते हैं।
खुद तकलीफ में हों लेकिन, हमारे आँखों को देखकर हमारे मन की आवाज सुनने वाले, पिता होते हैं।

हमारी ख़ुशी में अपनी खुशी ढूंढने वाले सिर्फ और सिर्फ हमारे पिता होते हैं। पर आज अफ़सोस इस बात का है कि वो बाग जिसे कभी किसी पिता ने बसाया था, उन छोटे छोटे नाजुक से पौधों  को जिसने पेड़ बनाया था, उसी वृक्ष के छाँव की उन्हें जब जरूरत होती है, तो न जाने कहाँ से उस विशाल वृक्ष के सारे पत्ते ये कहकर झड़ जाते हैं कि अब तो पतझड़ का मौसम है, आपको
किसी और के बगीचे में चले जाना चाहिए। कितना दुःखी
होता होगा वो माली, जिसने खून पसीने से सींच कर एक छोटे पौधे से इतना विशाल वृक्ष बनाया, आज वही उन्हें छाँव भी नहीं दे पा रहा, उनके दुःख की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।

लेखक

जयसिंह नारेङा

Comments

Popular posts from this blog

मीणा शायरी

ना डरते है हम #तलवारो से, ना डरते है हम #कटारो से, ना डरे है हम कभी #सैकड़ो और #हजारो से, हम मीणा वो योद्धा है, #दुश्मन भी कांपे जिसकी #ललकारो से, #हस्ती अब अपनी हर #कीमत पर #सवारेंगे, #वाद...

एक मच्छर,साला एक मच्छर,आदमी को हिजड़ा बना देता है!-जयसिंह नारेड़ा

एक मच्छर , साला एक मच्छर , आदमी को हिज ड़ा बना देता है ! ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ एक खटमल पूरी रात को अपाहिज कर देता है. सुबह घर से निकलो, भीड़ का हिस्सा बनो. शाम को घर जाओ, दारू पिओ, बच्चे पैदा करो और सुब...

नारेड़ा गोत्र या गांव टोड़ी खोहरा का इतिहास

नारेड़ा गोत्र या गांव टोड़ी खोहर्रा(अजितखेड़ा) का इतिहास ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ बड़े बुजुर्गो के अनुसार टोड़ी खोहर्रा के लोग कुम्भलगढ़ में रहते रहते थे ये वही के निवासी थे! इनका गोत्र सिसोदिया था और मीनाओ का बहुत बड़ा शासन हुआ करता था! राजा का नाम मुझे याद नही है किसी कारणवस दुश्मन राजा ने अज्ञात समय(बिना सुचना) के रात में आक्रमण कर दिया! ये उस युद्ध को तो जीत गए लेकिन आदमी बहुत कम रह गए उस राजा ने दूसरा आक्रमण किया तो इनके पास उसकी सेना से मुकाबला करने लायक बल या सेना नही थी और हार झेलनी पड़ी! इन्होंने उस राजा की गुलामी नही करने का फैसला किया और कुम्भलगढ़ को छोड़ कर सांगानेर(जयपुर) में आ बसे और यही अपना जीवन यापन करने लगे यंहा के राजा ने इनको राज पाट के महत्व पूर्ण काम सोपे इनको इनसे कर भी नही लिया जाता था राजा सारे महत्वपूर्ण काम इन मीनाओ की सलाह से ही करता था नए राजा भारमल मीनाओ को बिलकुल भी पसन्द नही करता था और उन पर अत्याचार करता रहता था! एक बार दीवाली के आस-पास जब मीणा पित्रों को पानी दे रहे थे तब उन निहत्तो पर अचानक वार कर दिया! जिसमे बहुत लोग मारे गए भारमल ने अपनी बेटी अकबर को द...