Thursday, December 27, 2018

जाग रहा था ख्यालो में सो रहा था तन


#जाग_रहा_था_ख्यालों_में_सो_रहा_था_तन

जाग रहा था ख्यालो में सो रहा था तन,
गला रुन्द रहा था रो रहा था मन......!!

जब निकलेगी किरणे तो देखेंगे अपने सपनो को,
पेट के लिए हमने मिट्टी में मिला दिया है तन मन को...!!

जवान होती बेटी को देख पसीजता है मन,
दहेज के लिए दिन भर काम में झुकता है बूढा तन.....!!

माँ बैठी आंगन लगाए बड़ी बड़ी आस,
कब बरसेगा पानी कब भुजेगी प्यास....!!

घर का काम निपटे भैस पानी झाड़ू पौछा का,
सारी रात रखवाली करते खेतो मे गाय रोजड़ों का..!!

पाले बालक की तरह फसल को करना ब्याह बेटी का,
टूटते दिखते है सपने होते देख नुकसान रोटी(फसल) का...!!

की मेहनत किसान ने लगाते दाम सेठ अपनी मर्जी से,
मिले दाम कम कैसे होगी बेटी की शादी उसकी मर्जी से..!!

पाई पाई जोड़कर करता ब्याह अपनी गुड़िया का,
मिलते फिर ताने खूब सासु खसूट बुढ़िया का...!!

जागरूक होगा युवा तब होंगे खुशहाल परिवार,
समझेंगे भेद को फिर नही होगी बेटा बेटी में दीवार..!!

लेखक:-
जयसिंह नारेङा


Saturday, May 5, 2018

तेरी धड़कन मेरी वफ़ा है

तेरी धड़कन मेरी वफ़ा है,
पता नही क्यू तू मुझसे खफा है........(2)

जिस दिन याद मेरी आएगी,
तेरी कसम बहुत पछताएगी,

Friday, April 27, 2018

दो भाई और अनारकली

एक कहानी सुनाता हूं

दो भाई हुआ करते थे सुजानगढ़ में दोनो खेती किया करते थे! बड़े का नाम सोनू ओर छोटे का नाम रघु था! एक दूसरे में ही उनकी जिंदगी थी ! एक दूसरे के बिना उन्हें कुछ भी अच्छा नही लगता था ओर जब कोई बात उन्हें परेसान करती थी तो एक दूसरे से डिसकस कर लिया करते थे और अपने मन का बोझ हल्का किया करते थे!

कहते है ना कि खुशिया ज्यादा दिन नही टिक पाती है ऐसा ही कुछ उनके साथ हुआ!
छोटा भाई मेले में चला गया और वहां उसे एक सुंदर सी कन्या नजर आयी!वह उसे एक बार देखने मे ही प्यार समझ बैठा उस कन्या के बारे में सपने सजाने लगा!कन्या का नाम चंद्रमुखी था और वो टिटवाई की रहने वाली थी एक दिन वे दोनों मिले और धीरे धीरे उनका मेल जोल प्यार में तब्दील होते जा रहा था अभी तक छोटे भाई ने बड़े भाई को ये बाते नही बताई थी!बड़ा भाई उनके प्यार से अनभिज्ञ था!

मौका देखकर बड़े भाई को एक दिन न के बराबर बाते बता दी धीरे धीरे छोटे भाई को जब भी जरूरत पड़ती बड़े भाई कह देता और बड़े भाई उसे कभी मना नही करता था!

चंद्रमुखी ने एक दिन अपने होने वाले जेठ से रघु के बारे जानना चाहा तो सोनू ने चाह कर भी अपने छोटे भाई की कमियों को छुपा ली क्योकि उसे विश्वास था कि रघु अपनी गलत आदतों को छोड़ देगा!

एक दिन ऐसा भी आया कि चंद्रमुखी ने अपने जेठ को भैया के समान दर्जा दे दिया तो सोनू ने भी वो सहर्ष स्वीकार कर लिया!वह जानता था कि बहु को बहन बेटी के समान ही रखना चाहिए इसलिए उसे इससे कोई एतराज नही था!
रघु ओर चंद्रमुखी का प्यार गहराइयों से निकल कर अब लड़ाई झगड़ो में बदल रहा था धीरे धीरे दोनो में अक्सर लड़ाई झगड़े होने लगे लेकिन सोनू उन्हें कैसे भी समझा बुझा कर शांत कर देता था!सोनू दोनो को कभी रोते हुए नही देख पाता था!

कुछ दिन बाद रघु ने चंद्रमुखी के साथ शारीरिक संबंध भी बना लिए थे लेकिन उनके झगड़े धीरे धीरे बढ़ते ही जा रहे थे सोनू उन्हें समझाता ओर शांत कर देता मानो ऐसा लग रहा था कि सोनू का जन्म सिर्फ इनके झगड़े ही खत्म करने के लिए हुआ है!

एक दिन चंद्रमुखी आती है और कहती है भैया मैने आपके लिए कोई ढूंढ ली है और वो मेरे ताऊ की लड़की है मेरी छोटी बहन क्या आप बात करोगे..??

अभी तक सोनू ने कोई जबाव नही दिया था यही बात चंद्रमुखी ने रघु से भी बोली ओर एक दिन उसने अपनी बहन से सोनू की बात करवा दी लेकिन सोनू को लड़की पसन्द नही आई और उसने बात करना बंद कर दिया!

कुछ दिन बाद चंद्रमुखी फिर फोन करती है और कहती है भैया अबकी वो मेरी छोटी बहन है मेरे मामा की लड़की है! दिल की नेक कर समझदार होते हुए एक स्वच्छ छवि की लड़की है हम दोनों बचपन से साथ रहे है और मैं उसके बारे में सब कुछ जानती हूं  उसका नाम मंजू है आप क्या उससे बात करना चाहोगे...??

एक बार फिर सोनू ने उस लड़की से बात की तो अबकी बार सोनू को वो लड़की पसंद आ गयी थी!धीरे धीरे वक्त अपनी रफ्तार से निकलता गया मंजू ओर सोनू में प्यार की गहराइयां बढ़ती गयी ओर रघु में टकराहट अभी भी जारी थी!

Thursday, April 12, 2018

कहा हो तुम कान्हा

कहा हो तुम कान्हा

विपदा आ पड़ी है बेटियों पर,
अब नही आते लाज बचाने तुम,
द्रोपदी का चीरहरण करने वाले,
बहुत हो गए अब कहा हो तुम.....!!

वे ही बेटी वही सम्मान है आज भी,
दिन रात याद करती है बेचारी आज भी,
नादान बहुत है ये दुनिया बेचारी,
बहुत पूजा अर्चना करती है तुम्हारी....!!

अंधभक्ति में चूर है बेचारी,
कर लेते है शिकार बलात्कारी,
विश्वास है उनको आएगा लाज रखने वाला,
मुरली मनोहर द्रोपदी की लाज बचने वाला.....!!

नही आती क्या दया आज तुम्हे,
नन्हे बालक बड़े बुजुर्ग भी पूजते है तुम्हे,
जिम्मा दे देते है खुद सुरक्षा का तुम्हे,
फिर काहे धोखा देते हो तुम उन्हें......!!

बड़ी आस लिए जाते है मंदिर में,
पुजारी भी भूखे बैठे वासना की आग में,
किस पर विश्वास करे सुरक्षित नही है,
किसी की बहन बेटियां इस कलयुग में......!!

नारेड़ा बुलाता है तुम्हे अब आ भी जाओ,
इन बलात्कारियों सबक सिखा जाओ,
पाखंडियों ने व्यापार बना दिया तुम्हारा,
विश्वास उठता जा रहा है अब हमारा......!!

जयसिंह नारेड़ा

Saturday, February 17, 2018

बंजर होती धरती और मुरझाता किसान का चेहरा

क्या आपने कभी सोचा है..?? कि धरती से पानी खत्म हो गया तो क्या होगा..?? लेकिन कुछ ही सालों बाद ऐसा हो जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए। भूगर्भीय जल का स्तर बहुत तेजी से कम हो रहा है। ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। यही सही समय है कि पानी को लेकर कुछ तो उपाय किये जाने चाहिए यही समय है हमे जागरूक होने का।

भाई हजारों साल पहले देश में जितना पानी था वो तो बढ़ा नहीं, स्रोत बढ़े नहीं लेकिन जनसंख्या कई गुना बढ़ गई। मांग उससे ज्यादा बढ़ गई। पानी के स्रोत भी अक्षय नहीं हैं, लिहाजा उन्हें भी एक दिन खत्म होना है। विश्व बैंक की रिपोर्ट को लेकर बहुत से नाक-भौं सिकोड़ सकते हैं,क्या आपने कभी सोचा है कि अगर दुनिया में पानी खत्म हो गया तो क्या होगा। कैसा होगा तब हमारा जीवन। आमतौर पर ऐसे सवालों को हम और आप कंधे उचकाकर अनसुना कर देते हैं और ये मान लेते हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा। काश हम बुनियादी समस्याओं की आंखों में आंखें डालकर गंभीरता से उसे देख पाएं तो तर्को, तथ्यों और हकीकत के धरातल पर महसूस होने लगेगा वाकई हम खतरनाक हालात की ओर बढ़ रहे हैं।

पानी की कमी की बात करते ही एक बात हमेशा सामने आती है कि दुनिया में कहीं भी पानी की कमी नहीं है। दुनिया के दो तिहाई हिस्से में तो पानी ही पानी भरा है तो भला कमी कैसे होगी। यहां ये बताना जरूरी होगा कि मानवीय जीवन जिस पानी से चलता है उसकी मात्रा पूरी दुनिया में पांच से दस फीसदी से ज्यादा नहीं है। नदियां सूख रही हैं। ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। झीलें और तालाब लुप्त हो चुके हैं। कुएं, कुंड और बावडियों का रखरखाव नहीं होता। भूगर्भीय जल का स्तर तेजी से कम होता जा रहा है। हालत सचमुच चिंताजनक है-आखिर किस ओर बढ़ रहे हैं हम। पूरी दुनिया को नापने वाला नासा के सेटेलाइट के आंकड़ें कहते हैं कि अब भी चेता और पानी को बचा लो...अन्यथा पूरी धरती बंजर हो जाएगी। लेकिन दुनिया से पहले अपनी बात करते हैं यानि अपने देश की। जिसके बारे में विश्व बैंक की रिपोर्ट का कहना है कि अगले कुछ सालों यानि करीब-करीब दो दशकों के बाद भारत में पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मचने वाली है। सब कुछ होगा लेकिन हलक के नीचे दो घूंट पानी के उतारना ही मुश्किल हो जाएगा।

भाई हजारों साल पहले देश में जितना पानी था वो तो बढ़ा नहीं, स्रोत बढ़े नहीं लेकिन जनसंख्या कई गुना बढ़ गई। मांग उससे ज्यादा बढ़ गई। पानी के स्रोत भी अक्षय नहीं हैं, लिहाजा उन्हें भी एक दिन खत्म होना है।
राजस्थान के सवाई माधोपुर,करौली,दौसा,टोंक,अलवर,जैसलमेर ओर बाड़मेर जैसे बड़े जिलों में पानी की विकट समस्या है जिस पर कोई नेता अथवा राज्य सरकार का ध्यान नही जा रहा है!हाल ही में दौरे पर गए #अशोक_गुरुजी के मुताबिक लालसोट के पास बामनवास तहसील के गांव बरनाला ओर उसके आस पास के क्षेत्र में पानी की कमी के कारण उपजाऊ जमीन भी बंजर बनती जा रही है लेकिन किसी स्थानीय नेता ने इस समस्या को उठाना तो दूर की बात जायजा लेना तक जरूरी नही समझा!

खेतो में पानी की कमी के कारण सूखे पड़े हुए है जो सिर्फ उड़ाने का ही काम कर रहे है!
ये समस्या सिर्फ इन्ही जिलों में नही अपितु लगभग पूरे राजस्थान में ही है किसान की कमाई का जरिया मात्र कृषि है यदि इन समस्याओं पर जल्द ध्यान नही दिया गया तो वे अपनी रोजी रोटी के लिए तरसते नजर आएंगे जिसका कारण नेताओ एवम सरकार की लाफ़रवाही होगा!
अलवर के रैनी के आस पास के गांवों में पानी की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है जिसके चलते लोगो को टैंकरों से पानी की सप्लाई करनी पड़ रही है बहुत बार समय पर पानी भी नही पहुच पा रहा है!और जमीनी स्तर पर पानी की कमी निरन्तर बढ़ती जा रही है!ऐसे में स्थानीय नेताओं एवम राज्य सरकार को इस समस्या के निदान के बारे में चिंतित होना आवश्यक है!

गरीब किसान वर्ग जो राजमर्रा के कामो के लिए खर्च भी कृषि पर आश्रित रहते है यहां तक कि शिक्षा की फीस देने के लिए भी बच्चों को कृषि से होने वाली आमदनी से ही उपलब्ध करवाते है यदि कृषि की उपज अच्छी हो पाती है तो शिक्षा दिलाना तो दूर की बात वे अपने रोजमर्रा के खर्चो को निकाल पाने में असमर्थ होते है!
स्थानीय नेताओ को ये समस्या राज्य सरकार के समक्ष रखनी चाहिए और मुआबजे की मांग करनी चाहिए कृषि से उतपन्न अनाज पर उचित दाम दिलाने के लिए भरसक प्रयास करने चाहिए!समर्थन मूल्य को बढ़ाना चाहिए!
राज्य सरकार से पानी को रोकने के लिए एनीकटों, सरोवरों इत्यादि के निर्माण की मांग करनी चाहिए जिससे इस समस्या से निजात पाने में आसानी हो!

माननीय डॉ किरोड़ी लाल विधायक लालसोट ने जो मुहिम शुरू की है चंबल के पानी लाने के लिए उस पर भी सभी को आगे चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए उनके इस कदम पर सभी साथ दे शायद समस्या को निजात दिलाने में कामयाब हो जाये!!
मैं अपनी कलम को यही पर विराम देना चाहूंगा!
"बढेगा किसान तभी तो बढेगा राजस्थान"
"पानी बचाओ किसान बचाओ"


लेखक:-
जयसिंह नारेड़ा

Wednesday, February 14, 2018

शाम ए-मोहब्बत

किरणे सुबह की निकली ही थी,
उनका आना हुआ इस कदर,
हमारे अंदर मन मे चुलबुलाहट जारी थी,
मिल ही जायेंगे वे हमसे इसी बात की बारी थी...!!

हवाओ ने भी अपनी फिजायें बदली हुई थी,
मुस्कान होंठो पर ऐसी थी जैसे लिपस्टिक बदली थी,
मौसम की खुमारी इस कदर छाई हुई थी,
घायल तो हम हो गए अब उनकी बारी थी...!!

ये कैसी तन्हाई है तेरे जाने के बाद,
मिलने का बार बार मन करता है तुझसे मिलने के बाद,
मेरे पास तेरी यादों का खजाना है जो मैं संजोए हु,
देखता हूं तेरे आने से पहले ओर तेरे जाने के बाद...!!

किस्सों से कहानी बन जाती है,
एक मुलाकात से तश्वीर बदल जाती है,
फ्रेम वही रहता है लेकिन,
तश्वीर की रंगत बदल जाती है...!!

लेखक
जयसिंह नारेड़ा

Friday, February 9, 2018

वेलेंटाइन डे स्पेशल कविता

        वेलेंटाइन डे स्पेशल
       (जयसिंह नारेड़ा)

सुनी सुनी सारी रात कटे म्हारी,
जाने कब आवेगी कालजा की कौर म्हारी,
इंतजार करता 14 फरवरी का अबकी बार,
बनूँगा बजरंग दल का सेनापति सामत आवेगी थ्यारी...!!

करते छोरा-छोरी बेसब्री से इस दिन का इंतजार,
ऐसा काम ना करना जिससे आवे घरवालो में टकरार,
खूब करो आशिक बाजी धोखा मत कोई को देना,
माँ बाप की लाज रख लेना यही है मेरा कहना...!!

प्यार करो चाहे दोस्ती विश्वास उस पर करना,
रिश्ता टूट जाता है शक करने से इसी बात से डरना,
हो अगर प्यार दिल मे तो दिल से तुम करना,
जिश्म का बाजार नही है ये इश्क मत इसे बदनाम करना..!!

मोहब्बत एक ऐसी बीमारी है,
नही दवा मिलती इसकी यही बड़ी खुमारी है,
इश्क के बीमार तो हजारों लाखों बैठे है,
सच्चा प्यार तो कुछेक ही करते है वरना,
जिश्म की चाह रखने वाले चारो तरफ बैठे है...!!

लेखक:-
जयसिंह नारेङा

Wednesday, February 7, 2018

अपने भी बेगाने होते है

अपने भी बेगाने होते है

सच है अपने भी बेगाने होते है,
अक्सर रात में देखे सपने झूठे होते है,
जन्मों जन्मों का साथ देने का,
वादा करने वाले भी दर्दे दिल का हिस्सा होते है....!!!

किस्सों से कहानियां बनती जाती है,
जब ना हो एक दूसरे पर विश्वास तो,
अक्सर धीरे-धीरे दूरियां बढ़ती जाती है,
जलने वालो के घर दिवाली मन जाती है....!!

समझेंगे जरूर वो कद्र वक्त आने पर,
होती कद्र अक्सर कोई चीज खो जाने पर,
कब तक अश्क बहाओगे रो रो कर,
पछताने से होगा क्या चिड़िया चुग जाने पर....!!

रोओगे तुम बहुत हमे याद करके एक दिन,
 कौन धीर बंधाने आएगा तुम्हे हम बिन,
मिलेंगे बहुत तुम्हे आंसू पोछने वाले हर दिन,
लेकिन वो यादे कहा से लाओगे हम बिन...!!

सीखोगे जरूर कदर करना तुम दोस्ती की,
शक करना ही फसाद होती है टूटते रिस्तो की,
तुम भी कभी दिल का हिस्सा हुआ करते थे,
ले बैठी कहानियां तुम्हारी झूठे किस्सों की....!!

सच कहते है दुनिया वाले टूट जाते है रिश्ते,
लडकिया बन जाती है जिंदगी की जरूरतें,
कुछ तो खो देते है माँ बाप को हंसते हंसते,
पाला पोषा वे रिश्ते लगते है बड़े सस्ते सस्ते.....!!

हम तुम्हे धोखा नही देंगे कभी ए-दोस्त,
चाहे आ ही क्यो ना जाये हमे मौत,
इससे बड़ा पैगाम क्या होगा मेंरे लिए,
इससे बड़ा मेरे पास नही कोई सच्चाई का स्रोत....!!

तुम्हे जब जब जरूरत पड़ेगी हमे साथ पाओगे,
आवाज मुह से नही निकलेगी दिल से साथ पाओगे,
खूब निभाई दोस्ती हमने मिलकर तुम्हारे साथ,
दर्दे दिल के साथ हमेशा दिल मे धड़कते रहोगे....!!

जयसिंह नारेड़ा

Wednesday, January 31, 2018

संघर्ष की जीती जागती मिशाल:डॉ किरोड़ी लाल

संघर्ष की जीती जागती मिशाल:-किरोड़ी लाल

छात्र राजनीति से लेकर एक बड़े कद्दावर नेता बनने तक का सफर अपने आप मे अनूठा हूं!जननायक बनने का सफर आसान भी नही रहा!सफलता से ज्यादा असफलताओ स सामना किया है डॉ साहब ने!
शुरूआती कैरियर तो अपने आप में असफलताओं की लम्बी कहानी भरी हुई है, लेकिन डॉ किरोड़ी लाल ने कभी हिम्मत नहीं हारी। राजनीति के इस के शिखर पर बैठने के दौरान लगभग 40 साल की राजनीति में कई बार उन के स्वास्थ्य ने उनका साथ छोड़ा। कई  बार ऐसा हुआ है जब डॉ साहब अस्पताल में भर्ती हुए और दुनिया भर से समर्थकों ने उनकी जिंदगी के लिए दुआएं कीं। इस सबसे जूझने के बाद भी आज अगर वह छात्र राजनीति से लेकर बड़े  कद्दावर नेता और जनता के बीच तक हर तरफ सक्रिय हैं, तो इसके पीछे निश्चित तौर पर जननायक की जिजीविषा है।
एक के बाद एक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना किसी के लिए भी आसान नहीं होता, डॉ साहब के लिए ये सिलसिला शुरू हुआ था सन् 1989 में सीमेंट फैक्ट्री आंदोलन में हुए लाठी चार्ज के दौरान। इस आंदोलन को करते वक्त डॉ साहब को लाठी चार्ज की बजह से सर में चोट लग गई थी।ऐसे में डॉ साहब ने इसकी विदेश तक जांच करवाई नतीजा आज भी वे इस समस्या से जूझ रहे है!उनके सर में चोट की बजह से उन्हें पैरालिसिस होने कारण कभी कभी दौरे आते है!यहां तक कि उन्हें अधिकतर रात को सोते समय ऑक्सीजन देनी पड़ती है!
इस सबसे जूझने के बाद भी आज अगर वे लोगो के बीच मे है तो ये जनता का उनके प्रति अटूट विश्वास का नतीजा है!इतनी तकलीफ होते हुए भी दलित,आदिवासी,गरीब,असहाय,महिला इत्यादि पर यदि कोई समस्या आती है तो सर्वप्रथम डॉ किरोड़ी लाल ही पहुचते है!
डॉ किरोड़ी लाल का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ!इनके पिताजी का नाम मनोहरी पटेल एवम माताजी का नाम फुला देवी था! मनोहरी पटेल से तीन पुत्र थे जिनमे ये तीसरे नम्बर के है!डॉ साहब का कम उम्र में ही गोलमा देवी के साथ शादी कर दी गयी थी!परिवार की हालात ऐसे थे कि यदि शाम को खाना मिल गया तो सुबह मिलना पूर्णतय तय नही था!ऐसे में उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और आखिरकार मेहनत में सफलता मिली डॉक्टर की पढ़ाई के लिए उनको बीकानेर में कॉलेज मिली लेकिन घरवालो के पास वे सुख सुविधा के साधन नही थे ना ही बीकानेर भेजने के लिए इतने रुपये थे लेकिन मॉ ने हिम्मत करके पाई पाई जोड़कर किरोड़ी लाल को पढ़ाई जारी रखने के लिए बीकानेर भेज दिया!यहां तक इनके पिताश्री ने अपनी धर्मपत्नी यानी डॉ साहब की माँ के कड़ले(पैरों में पहने जाने वाले गहने) भी बेच दिए ताकि उनका पुत्र शिक्षा प्राप्त कर सके!डॉ साहब ने मेहनत और लगन के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी!
कॉलेज में जाति भेदभाव पहले से ही फैला हुआ था जिसके चलते निम्न जाति के छात्रों को उच्च वर्ण के लोग मटकी से पानी नही पीने देते थे! ये बात किरोड़ी लाल को अखर गयी और इन्होंने जाति भेदभाव को खत्म करने के बेहद प्रयास किये और आखिर सफलता भी मिली!साथ साथ इन्हें कॉलेज छात्रसंघ चुनाव में भी सक्रिय भागीदारी दिखाई!
किरोड़ी लाल जी की डॉक्टर की नोकरी करते हुए भैरोसिंह सिंह शेखावत जी से हो गयी और इन्हें राजनिति में हाथ आजमाने का मौका मिल गया और प्रथम बार महुआ से हरिसिंह समकक्ष चुनाव लड़े लेकिन उस चुनाव में इन्हें 16 वोटों से पराजय का सामना करना पड़ा!
इनका उत्साह जनता के प्रति फिर भी उतना ही बना रहा और 1985 में हरिसिंह को हरा कर महुआ से प्रथम बार विधायक बने!यही से इनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हो चुकी थी!जनता के दिल मे अपनी जगह बनाने में शुरू से अग्रणी रहे है!कई बार विधायक बने 2 बार सांसद बने इसके साथ साथ भारतीय जनता पार्टी में खाद मंत्री रह चुके है!
सन 1989 में इन्हें सांसद के रूप में जनता स्वीकार किया!
1998-2003 तक बामनवास से विधायक रहे इस दौरान इन्हें लकवे की शिकायत थी जिसे लेकर वे अमेरिका तक गए लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी!
भाजपा से बागी होने पश्चात 2008 में निर्दलीय टोडाभीम से विधायक बने तत्पश्चात 2009 में दौसा से लोकसभा चुनावों में निर्दलीय सांसद बने!
इन्होंने कांग्रेस में अपना हाथ आजमाने की कोशिश की यहां तक कि अपनी पत्नी गोलमा देवी को महुआ से चुनाव जीतवा कर कांग्रेस से खादी ग्रामोद्योग मंत्री तक का सफर करवाने में कामयाब रहे!लेकिन जल्द ही कांग्रेस से दूरी बना ली!
दोनो पार्टीयो से दूरी बना लेने के बाद इन्होंने वर्ष 2014 में पी.ए.संगमा की राष्ट्रीय जनता पार्टी को राजस्थान में विशाल रैली करके अपना लिया!इस रैली में लगभग 5-7 लाख लोगों की भीड़ जुटाने में कामयाब रहे थे!
चुनावो के दौरान अकेले नेतृत्व होने की बजह से पार्टी बड़ी सफलता हासिल नही कर पाई जबकि कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी को 40+ सीटो पर मात देती नजर आयी यहां तक कि 4 विधायक भी विधानसभा में पार्टी सफल रही!
डॉ साहब अब तक लगभग 300 से ऊपर आंदोलन कर चुके है जिनमे दलित,आदिवासी,युवा,महिला एवम किसान,हर समाज के लिए किए गए संघर्ष शामिल है!
वे किसी भी व्यक्ति पर पीड़ा होते नही देख पाते है चाहे वो उनके कार्यक्षेत्र में हो अथवा नही!
जब कोई दीन दुखियों पर आंच आती है तो वे अपनी जान की परवाह किये बिना ही चल पड़ते है!डकैतों का आतंक हो या प्रसाशन की लापरवाही हर मुद्दे पर खड़े दिखाई पड़ते है!
डॉ किरोड़ी लाल आज राजस्थान में वे नेता के रूप में जाने जाते है जो सत्ता बदलने की ताकत रखते है!उनके एक आहवान पर लाखों की भीड़ इकट्ठी होना आम बात है!मुद्दा चाहे छोटा हो या बड़ा डॉ साहब उन्हें सरकार तक पहुचाते है और न्याय दिलाने के लिए धरने प्रदर्शन देते है अर्थात वे न्याय दिलाने के लिए हर सम्भव कोशिस करते है!
राजनीति में इन्होंने काफी नेता बनाये जो इस काबिल भी थे उन्हें राजीनीतिक क्षेत्र में लाकर विधायक और सांसद बनाया!यहां तक मंत्री पद दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम रहे!ऐसे बहुत से नेताओ के उदाहरण है!मैं किसी नेता विशेष का नाम नही लूंगा!
राजनीतिक क्षेत्र में विरोधी होना तो स्वाभाविक है जिसके चलते इनकी छवि को धूमिल करने के भरसक प्रयास किये गए!विरोधी पक्ष अपनी नापाक कोशिसो में असफल रहे!
आज गांव गांव ढाणी ढाणी के बच्चे बचे के मुह पर किरोड़ी लाल नाम बड़ी आसानी से सुनने को मिल जाता है!इन्हें आजकल अत्यधिक मात्रा में 'बाबा' का सम्मान देकर कहा जाता है!
डॉ साहब को हर छोटे बड़े कार्यक्रमो में बुलाया जाता है और लोग इन्हें पूरे मान सम्मान के साथ घोड़ी पर बिठाते है तो कोई जगह रुपयों से तोला जाता है!
ढलती उम्र के साथ साथ तबियत भी अक्सर खराब रहती है लेकिन जनता की सेवा में 24*7 तत्पर रहते है!रोज लगभग 300 किलोमीटर यात्रा करना उनके लिए कोई बड़ी बात नही है!वे जनता के दुख दर्द को समझते है!
आज के दौर में राजस्थान के नेतृत्व में डॉ साहब जैसा सक्रिय नेता जो जनता के बीच रह कर उनकी समस्याओं निराकरण करने वाला कोई दिखाई नही देता है!उन्हें गरीबो,दलितो,आदिवासियों,महिलाओं,किसानों की हक की लड़ाई लड़ने वाला मसीहा भी कहा तो वो भी इनके सम्मान में कम होगा!!
ऐसे जन नायक किरोड़ी को जन्म देने वाले माँ बाप धन्य है!
मैं अपने आलेख को यही विराम देता हूं!
लेखक:
जयसिंह नारेड़ा

Thursday, January 11, 2018

सोशल मीडिया बनता जंग का अखाड़ा

एक दूसरे से संवाद का आदान-प्रदान करने के लिए कभी कबूतरों और डाकियों के जरिये पत्र भेजे जाते थे। एक पत्र को एक आदमी से दूसरे आदमी तक पहुँचने में महीनों लग जाते थे। पत्र का जवाब पाने के लिए भी महीनों इंतजार करना पड़ता था लेकिन आज सात समंदर पार बैठे लोगों के साथ सीधे बात की जा सकती है। अपना दर्द बयाँ किया जा सकता है। अपने आसपास के माहौल से अवगत करवाया जा सकता है। कहा जाये तो आज पूरी दुनिया मुट्ठी में समा गयी है और इसका पूरा श्रेय जाता है सोशल मीडिया को।

आक्सफोर्ड डिक्शनरी के मुताबिक, ऐसी वेबसाइट और एप्लिकेशंस जो यूजरों (उपभोक्ताओं) को सामग्रियाँ तैयार करने और उसे साझा करने में समर्थ बनाये या सोशल नेटवर्किंग में हिस्सा लेने में समर्थ करे उसे सोशल मीडिया कहा जाता है। वीकिपीडिया के मुताबिक, सोशल मीडिया लोगों के बीच सामाजिक विमर्श है जिसके तहत वे परोक्ष समुदाय व नेटवर्क पर सूचना तैयार करते हैं, उन्हें शेयर (साझा) करते हैं या आदान-प्रदान करते हैं। कुल मिलाकर सोशल मीडिया या सोशल नेटवर्किंग साइट्स ऐसा इलेक्ट्रानिक माध्यम है जिसके जरिये लोग उक्त माध्यम में शामिल सदस्यों के साथ विचारों (इसमें तस्वीरें और वीडियो भी शामिल है) का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

विश्वभर में लगभग 200 सोशल नेटवर्किंग साइट्स हैं जिनमें फेसबुक, ट्वीटर, आर्कुट, माई स्पेस, लिंक्डइन, फ्लिकर, इंस्टाग्राम (फोटो, वीडियो शेयरिंग साइट्स) सबसे अधिक लोकप्रिय हैं। एक सर्वे के मुताबिक विश्वभर में संप्रति 1 अरब 28 करोड़ फेसबुक यूजर्स (फेसबुक इस्तेमाल करने वाले) हैं। वहीं, विश्वभर में इंस्टाग्राम यूजरों की संख्या 15 करोड़, लिंक्डइन यूजरों की संख्या 20 करोड़, माई स्पेस यूजरों की संख्या 3 करोड़ और ट्वीटर यूजरों की संख्या 9 करोड़ है।

काफी समय से देखता आ रहा हु सोशल मीडिया पर आपसी विचारों में मतभेद होने के कारण एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए गाली गलौच करना स्वभाव सा बन गया है!सोशल मीडिया पर सभी किसी पार्टी,संगठन अथवा विचारधारा से जुड़े हुए उसका ये मत तो नही रह जाता कि एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए इस तरह की गाली गलौच या असभ्य भाषा का उपयोग करना अनुचित है!

इंसान की पहली पाठशाला उसका परिवार होता है जैसी माँ बाप शिक्षा देते है बच्चा उसी के अनुसार ढल जाता है! ऐसे में गाली गलौच देने वाले के संस्कार कैसे मिले है उनकी भाषा को देख कर आंकलन किया जा सकता है!परिवार की परवरिश जैसी है ये अपनी टिका टिप्पड़ी से ही प्रदर्शित कर देते है!

सोशल मीडिया पर पार्टी और नेता का विरोध होना तो आम बात हो गयी है लेकिन कुछ लोगो ने बेशर्मी की हदे पार कर दी ये लोग नेता या पार्टी के विरोध करने में भी अपने संस्कारो को दिखाना नही भूलते!

आपको कुछ स्क्रीनशॉट दिखाता हु जिनसे आप उनके संस्कारो में बारे मे काफी कुछ जान जाओगे

माननीय डॉ किरोड़ी लाल जी राजस्थान के सबसे बड़े जनाधार वाले नेता है जिनके समक्ष कोई नेता नही है!अपवाद हर जगह होते है ये अपवाद सोशल मीडिया पर भी अपनी पहचान बनाने के लिए नीच हरकत तक पहुच जाते है जिनका नमूना आप को दिखा रहा हु!

मेरे सोशल मीडिया पर अनुज समान प्रदीप कटकड ने पोस्ट डालकर ये बताने का प्रयास किया कि मिस राजस्थान बनी प्रीति मीणा को डॉ साहब के पैर छूना अपराध करना जैसा है!यानी उन्होंने पैर छूकर कोई गुनाह कर दिया है वही दूसरी ओर विश्राम जो कि पेशे से अध्यापक है वे लड़की खुद को परोसने जैसी पोस्ट डाल रहे है!ऐसे अध्यापक बच्चों को क्या शिक्षा देते होंगे इससे आप अंदाजा लगा सकते हो??

अनुज प्रदीप कटकड से एक प्रश्न पूछना चाहूंगा कि यदि प्रीति आपके परिवार से होती तब भी आपके यही विचार होते क्या???
क्या अपने से बड़ो के पैर छूना अपराध की श्रेणी में आता है???

ये पोस्ट आपके संस्कारो को प्रदर्शित करती है बाकी आप स्वयम समझदार हो
इस तरह की टिका टिप्पड़ी से बचकर शांत एवम प्रियतम बनकर अपनी बात रखनी जिससे ऐसा नही लगे कि दूसरे व्यक्ति को मेरी पोस्ट से कोई आपत्ति हो उसकी भावना को ठेस ना पहुचे! इस तरह की पोस्ट का कोई औचित्य नही है!

फेसबुक जैसे मंच पर आपको बहुत लोग फॉलो करते है उनमें मन मे आपके प्रति हींन भावना बढ़ रही होगी!ये मंच एक दूसरे के विचारों को आदान-प्रदान करने के लिए है ना कि आपसी विरोध पालने के लिए!

अपनी बात यही खत्म करता हु

शिक्षित बनो,समझदार बनो

मीना गीत संस्कृति छलावा या व्यापार

#मीणा_गीत_संस्कृति_छलावा_या_व्यापार दरअसल आजकल मीना गीत को संस्कृति का नाम दिया जाने लगा है इसी संस्कृति को गीतों का व्यापार भी कहा जा सकता ...