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Showing posts from 2018

जाग रहा था ख्यालो में सो रहा था तन

#जाग_रहा_था_ख्यालों_में_सो_रहा_था_तन जाग रहा था ख्यालो में सो रहा था तन, गला रुन्द रहा था रो रहा था मन......!! जब निकलेगी किरणे तो देखेंगे अपने सपनो को, पेट के लिए हमने मिट्टी में मिला दिया है तन मन को...!! जवान होती बेटी को देख पसीजता है मन, दहेज के लिए दिन भर काम में झुकता है बूढा तन.....!! माँ बैठी आंगन लगाए बड़ी बड़ी आस, कब बरसेगा पानी कब भुजेगी प्यास....!! घर का काम निपटे भैस पानी झाड़ू पौछा का, सारी रात रखवाली करते खेतो मे गाय रोजड़ों का..!! पाले बालक की तरह फसल को करना ब्याह बेटी का, टूटते दिखते है सपने होते देख नुकसान रोटी(फसल) का...!! की मेहनत किसान ने लगाते दाम सेठ अपनी मर्जी से, मिले दाम कम कैसे होगी बेटी की शादी उसकी मर्जी से..!! पाई पाई जोड़कर करता ब्याह अपनी गुड़िया का, मिलते फिर ताने खूब सासु खसूट बुढ़िया का...!! जागरूक होगा युवा तब होंगे खुशहाल परिवार, समझेंगे भेद को फिर नही होगी बेटा बेटी में दीवार..!! लेखक:- जयसिंह नारेङा

दो भाई और अनारकली

एक कहानी सुनाता हूं दो भाई हुआ करते थे सुजानगढ़ में दोनो खेती किया करते थे! बड़े का नाम सोनू ओर छोटे का नाम रघु था! एक दूसरे में ही उनकी जिंदगी थी ! एक दूसरे के बिना उन्हें कुछ भी अच...

कहा हो तुम कान्हा

कहा हो तुम कान्हा विपदा आ पड़ी है बेटियों पर, अब नही आते लाज बचाने तुम, द्रोपदी का चीरहरण करने वाले, बहुत हो गए अब कहा हो तुम.....!! वे ही बेटी वही सम्मान है आज भी, दिन रात याद करती है बे...

बंजर होती धरती और मुरझाता किसान का चेहरा

क्या आपने कभी सोचा है..?? कि धरती से पानी खत्म हो गया तो क्या होगा..?? लेकिन कुछ ही सालों बाद ऐसा हो जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए। भूगर्भीय जल का स्तर बहुत तेजी से कम हो रहा है। ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। यही सही समय है कि पानी को लेकर कुछ तो उपाय किये जाने चाहिए यही समय है हमे जागरूक होने का। भाई हजारों साल पहले देश में जितना पानी था वो तो बढ़ा नहीं, स्रोत बढ़े नहीं लेकिन जनसंख्या कई गुना बढ़ गई। मांग उससे ज्यादा बढ़ गई। पानी के स्रोत भी अक्षय नहीं हैं, लिहाजा उन्हें भी एक दिन खत्म होना है। विश्व बैंक की रिपोर्ट को लेकर बहुत से नाक-भौं सिकोड़ सकते हैं,क्या आपने कभी सोचा है कि अगर दुनिया में पानी खत्म हो गया तो क्या होगा। कैसा होगा तब हमारा जीवन। आमतौर पर ऐसे सवालों को हम और आप कंधे उचकाकर अनसुना कर देते हैं और ये मान लेते हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा। काश हम बुनियादी समस्याओं की आंखों में आंखें डालकर गंभीरता से उसे देख पाएं तो तर्को, तथ्यों और हकीकत के धरातल पर महसूस होने लगेगा वाकई हम खतरनाक हालात की ओर बढ़ रहे हैं। पानी की कमी की बात करते ही एक बात हमेशा सामने आती है कि दुनिया में...

शाम ए-मोहब्बत

किरणे सुबह की निकली ही थी, उनका आना हुआ इस कदर, हमारे अंदर मन मे चुलबुलाहट जारी थी, मिल ही जायेंगे वे हमसे इसी बात की बारी थी...!! हवाओ ने भी अपनी फिजायें बदली हुई थी, मुस्कान होंठो ...

वेलेंटाइन डे स्पेशल कविता

        वेलेंटाइन डे स्पेशल        (जयसिंह नारेड़ा) सुनी सुनी सारी रात कटे म्हारी, जाने कब आवेगी कालजा की कौर म्हारी, इंतजार करता 14 फरवरी का अबकी बार, बनूँगा बजरंग दल का सेनापत...

अपने भी बेगाने होते है

अपने भी बेगाने होते है सच है अपने भी बेगाने होते है, अक्सर रात में देखे सपने झूठे होते है, जन्मों जन्मों का साथ देने का, वादा करने वाले भी दर्दे दिल का हिस्सा होते है....!!! किस्सों से कहानियां बनती जाती है, जब ना हो एक दूसरे पर विश्वास तो, अक्सर धीरे-धीरे दूरियां बढ़ती जाती है, जलने वालो के घर दिवाली मन जाती है....!! समझेंगे जरूर वो कद्र वक्त आने पर, होती कद्र अक्सर कोई चीज खो जाने पर, कब तक अश्क बहाओगे रो रो कर, पछताने से होगा क्या चिड़िया चुग जाने पर....!! रोओगे तुम बहुत हमे याद करके एक दिन,  कौन धीर बंधाने आएगा तुम्हे हम बिन, मिलेंगे बहुत तुम्हे आंसू पोछने वाले हर दिन, लेकिन वो यादे कहा से लाओगे हम बिन...!! सीखोगे जरूर कदर करना तुम दोस्ती की, शक करना ही फसाद होती है टूटते रिस्तो की, तुम भी कभी दिल का हिस्सा हुआ करते थे, ले बैठी कहानियां तुम्हारी झूठे किस्सों की....!! सच कहते है दुनिया वाले टूट जाते है रिश्ते, लडकिया बन जाती है जिंदगी की जरूरतें, कुछ तो खो देते है माँ बाप को हंसते हंसते, पाला पोषा वे रिश्ते लगते है बड़े ...

संघर्ष की जीती जागती मिशाल:डॉ किरोड़ी लाल

संघर्ष की जीती जागती मिशाल:-किरोड़ी लाल छात्र राजनीति से लेकर एक बड़े कद्दावर नेता बनने तक का सफर अपने आप मे अनूठा हूं!जननायक बनने का सफर आसान भी नही रहा!सफलता से ज्यादा असफलताओ स सामना किया है डॉ साहब ने! शुरूआती कैरियर तो अपने आप में असफलताओं की लम्बी कहानी भरी हुई है, लेकिन डॉ किरोड़ी लाल ने कभी हिम्मत नहीं हारी। राजनीति के इस के शिखर पर बैठने के दौरान लगभग 40 साल की राजनीति में कई बार उन के स्वास्थ्य ने उनका साथ छोड़ा। कई  बार ऐसा हुआ है जब डॉ साहब अस्पताल में भर्ती हुए और दुनिया भर से समर्थकों ने उनकी जिंदगी के लिए दुआएं कीं।  इस सबसे जूझने के बाद भी आज अगर वह छात्र राजनीति से लेकर बड़े  कद्दावर नेता और जनता के बीच तक हर तरफ सक्रिय हैं, तो इसके पीछे निश्चित तौर पर जननायक की जिजीविषा है। एक के बाद एक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना किसी के लिए भी आसान नहीं होता, डॉ साहब के लिए ये सिलसिला शुरू हुआ था सन् 1989 में सीमेंट फैक्ट्री आंदोलन में हुए लाठी चार्ज के दौरान। इस आंदोलन को करते वक्त डॉ साहब को लाठी चार्ज की बजह से सर में चोट लग गई थी।ऐसे में डॉ साहब ने इसकी ...

सोशल मीडिया बनता जंग का अखाड़ा

एक दूसरे से संवाद का आदान-प्रदान करने के लिए कभी कबूतरों और डाकियों के जरिये पत्र भेजे जाते थे। एक पत्र को एक आदमी से दूसरे आदमी तक पहुँचने में महीनों लग जाते थे। पत्र का जवा...