क्या आपने कभी सोचा है..?? कि धरती से पानी खत्म हो गया तो क्या होगा..?? लेकिन कुछ ही सालों बाद ऐसा हो जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए। भूगर्भीय जल का स्तर बहुत तेजी से कम हो रहा है। ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। यही सही समय है कि पानी को लेकर कुछ तो उपाय किये जाने चाहिए यही समय है हमे जागरूक होने का।
भाई हजारों साल पहले देश में जितना पानी था वो तो बढ़ा नहीं, स्रोत बढ़े नहीं लेकिन जनसंख्या कई गुना बढ़ गई। मांग उससे ज्यादा बढ़ गई। पानी के स्रोत भी अक्षय नहीं हैं, लिहाजा उन्हें भी एक दिन खत्म होना है। विश्व बैंक की रिपोर्ट को लेकर बहुत से नाक-भौं सिकोड़ सकते हैं,क्या आपने कभी सोचा है कि अगर दुनिया में पानी खत्म हो गया तो क्या होगा। कैसा होगा तब हमारा जीवन। आमतौर पर ऐसे सवालों को हम और आप कंधे उचकाकर अनसुना कर देते हैं और ये मान लेते हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा। काश हम बुनियादी समस्याओं की आंखों में आंखें डालकर गंभीरता से उसे देख पाएं तो तर्को, तथ्यों और हकीकत के धरातल पर महसूस होने लगेगा वाकई हम खतरनाक हालात की ओर बढ़ रहे हैं।
पानी की कमी की बात करते ही एक बात हमेशा सामने आती है कि दुनिया में कहीं भी पानी की कमी नहीं है। दुनिया के दो तिहाई हिस्से में तो पानी ही पानी भरा है तो भला कमी कैसे होगी। यहां ये बताना जरूरी होगा कि मानवीय जीवन जिस पानी से चलता है उसकी मात्रा पूरी दुनिया में पांच से दस फीसदी से ज्यादा नहीं है। नदियां सूख रही हैं। ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। झीलें और तालाब लुप्त हो चुके हैं। कुएं, कुंड और बावडियों का रखरखाव नहीं होता। भूगर्भीय जल का स्तर तेजी से कम होता जा रहा है। हालत सचमुच चिंताजनक है-आखिर किस ओर बढ़ रहे हैं हम। पूरी दुनिया को नापने वाला नासा के सेटेलाइट के आंकड़ें कहते हैं कि अब भी चेता और पानी को बचा लो...अन्यथा पूरी धरती बंजर हो जाएगी। लेकिन दुनिया से पहले अपनी बात करते हैं यानि अपने देश की। जिसके बारे में विश्व बैंक की रिपोर्ट का कहना है कि अगले कुछ सालों यानि करीब-करीब दो दशकों के बाद भारत में पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मचने वाली है। सब कुछ होगा लेकिन हलक के नीचे दो घूंट पानी के उतारना ही मुश्किल हो जाएगा।
भाई हजारों साल पहले देश में जितना पानी था वो तो बढ़ा नहीं, स्रोत बढ़े नहीं लेकिन जनसंख्या कई गुना बढ़ गई। मांग उससे ज्यादा बढ़ गई। पानी के स्रोत भी अक्षय नहीं हैं, लिहाजा उन्हें भी एक दिन खत्म होना है।
राजस्थान के सवाई माधोपुर,करौली,दौसा,टोंक,अलवर,जैसलमेर ओर बाड़मेर जैसे बड़े जिलों में पानी की विकट समस्या है जिस पर कोई नेता अथवा राज्य सरकार का ध्यान नही जा रहा है!हाल ही में दौरे पर गए #अशोक_गुरुजी के मुताबिक लालसोट के पास बामनवास तहसील के गांव बरनाला ओर उसके आस पास के क्षेत्र में पानी की कमी के कारण उपजाऊ जमीन भी बंजर बनती जा रही है लेकिन किसी स्थानीय नेता ने इस समस्या को उठाना तो दूर की बात जायजा लेना तक जरूरी नही समझा!
राजस्थान के सवाई माधोपुर,करौली,दौसा,टोंक,अलवर,जैसलमेर ओर बाड़मेर जैसे बड़े जिलों में पानी की विकट समस्या है जिस पर कोई नेता अथवा राज्य सरकार का ध्यान नही जा रहा है!हाल ही में दौरे पर गए #अशोक_गुरुजी के मुताबिक लालसोट के पास बामनवास तहसील के गांव बरनाला ओर उसके आस पास के क्षेत्र में पानी की कमी के कारण उपजाऊ जमीन भी बंजर बनती जा रही है लेकिन किसी स्थानीय नेता ने इस समस्या को उठाना तो दूर की बात जायजा लेना तक जरूरी नही समझा!
खेतो में पानी की कमी के कारण सूखे पड़े हुए है जो सिर्फ उड़ाने का ही काम कर रहे है!
ये समस्या सिर्फ इन्ही जिलों में नही अपितु लगभग पूरे राजस्थान में ही है किसान की कमाई का जरिया मात्र कृषि है यदि इन समस्याओं पर जल्द ध्यान नही दिया गया तो वे अपनी रोजी रोटी के लिए तरसते नजर आएंगे जिसका कारण नेताओ एवम सरकार की लाफ़रवाही होगा!
अलवर के रैनी के आस पास के गांवों में पानी की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है जिसके चलते लोगो को टैंकरों से पानी की सप्लाई करनी पड़ रही है बहुत बार समय पर पानी भी नही पहुच पा रहा है!और जमीनी स्तर पर पानी की कमी निरन्तर बढ़ती जा रही है!ऐसे में स्थानीय नेताओं एवम राज्य सरकार को इस समस्या के निदान के बारे में चिंतित होना आवश्यक है!
गरीब किसान वर्ग जो राजमर्रा के कामो के लिए खर्च भी कृषि पर आश्रित रहते है यहां तक कि शिक्षा की फीस देने के लिए भी बच्चों को कृषि से होने वाली आमदनी से ही उपलब्ध करवाते है यदि कृषि की उपज अच्छी हो पाती है तो शिक्षा दिलाना तो दूर की बात वे अपने रोजमर्रा के खर्चो को निकाल पाने में असमर्थ होते है!
स्थानीय नेताओ को ये समस्या राज्य सरकार के समक्ष रखनी चाहिए और मुआबजे की मांग करनी चाहिए कृषि से उतपन्न अनाज पर उचित दाम दिलाने के लिए भरसक प्रयास करने चाहिए!समर्थन मूल्य को बढ़ाना चाहिए!
राज्य सरकार से पानी को रोकने के लिए एनीकटों, सरोवरों इत्यादि के निर्माण की मांग करनी चाहिए जिससे इस समस्या से निजात पाने में आसानी हो!
राज्य सरकार से पानी को रोकने के लिए एनीकटों, सरोवरों इत्यादि के निर्माण की मांग करनी चाहिए जिससे इस समस्या से निजात पाने में आसानी हो!
माननीय डॉ किरोड़ी लाल विधायक लालसोट ने जो मुहिम शुरू की है चंबल के पानी लाने के लिए उस पर भी सभी को आगे चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए उनके इस कदम पर सभी साथ दे शायद समस्या को निजात दिलाने में कामयाब हो जाये!!
मैं अपनी कलम को यही पर विराम देना चाहूंगा!
"बढेगा किसान तभी तो बढेगा राजस्थान"
"पानी बचाओ किसान बचाओ"
"बढेगा किसान तभी तो बढेगा राजस्थान"
"पानी बचाओ किसान बचाओ"
लेखक:-
जयसिंह नारेड़ा
जयसिंह नारेड़ा
Comments
Post a Comment