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सोशल मीडिया बनता जंग का अखाड़ा

एक दूसरे से संवाद का आदान-प्रदान करने के लिए कभी कबूतरों और डाकियों के जरिये पत्र भेजे जाते थे। एक पत्र को एक आदमी से दूसरे आदमी तक पहुँचने में महीनों लग जाते थे। पत्र का जवाब पाने के लिए भी महीनों इंतजार करना पड़ता था लेकिन आज सात समंदर पार बैठे लोगों के साथ सीधे बात की जा सकती है। अपना दर्द बयाँ किया जा सकता है। अपने आसपास के माहौल से अवगत करवाया जा सकता है। कहा जाये तो आज पूरी दुनिया मुट्ठी में समा गयी है और इसका पूरा श्रेय जाता है सोशल मीडिया को।

आक्सफोर्ड डिक्शनरी के मुताबिक, ऐसी वेबसाइट और एप्लिकेशंस जो यूजरों (उपभोक्ताओं) को सामग्रियाँ तैयार करने और उसे साझा करने में समर्थ बनाये या सोशल नेटवर्किंग में हिस्सा लेने में समर्थ करे उसे सोशल मीडिया कहा जाता है। वीकिपीडिया के मुताबिक, सोशल मीडिया लोगों के बीच सामाजिक विमर्श है जिसके तहत वे परोक्ष समुदाय व नेटवर्क पर सूचना तैयार करते हैं, उन्हें शेयर (साझा) करते हैं या आदान-प्रदान करते हैं। कुल मिलाकर सोशल मीडिया या सोशल नेटवर्किंग साइट्स ऐसा इलेक्ट्रानिक माध्यम है जिसके जरिये लोग उक्त माध्यम में शामिल सदस्यों के साथ विचारों (इसमें तस्वीरें और वीडियो भी शामिल है) का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

विश्वभर में लगभग 200 सोशल नेटवर्किंग साइट्स हैं जिनमें फेसबुक, ट्वीटर, आर्कुट, माई स्पेस, लिंक्डइन, फ्लिकर, इंस्टाग्राम (फोटो, वीडियो शेयरिंग साइट्स) सबसे अधिक लोकप्रिय हैं। एक सर्वे के मुताबिक विश्वभर में संप्रति 1 अरब 28 करोड़ फेसबुक यूजर्स (फेसबुक इस्तेमाल करने वाले) हैं। वहीं, विश्वभर में इंस्टाग्राम यूजरों की संख्या 15 करोड़, लिंक्डइन यूजरों की संख्या 20 करोड़, माई स्पेस यूजरों की संख्या 3 करोड़ और ट्वीटर यूजरों की संख्या 9 करोड़ है।

काफी समय से देखता आ रहा हु सोशल मीडिया पर आपसी विचारों में मतभेद होने के कारण एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए गाली गलौच करना स्वभाव सा बन गया है!सोशल मीडिया पर सभी किसी पार्टी,संगठन अथवा विचारधारा से जुड़े हुए उसका ये मत तो नही रह जाता कि एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए इस तरह की गाली गलौच या असभ्य भाषा का उपयोग करना अनुचित है!

इंसान की पहली पाठशाला उसका परिवार होता है जैसी माँ बाप शिक्षा देते है बच्चा उसी के अनुसार ढल जाता है! ऐसे में गाली गलौच देने वाले के संस्कार कैसे मिले है उनकी भाषा को देख कर आंकलन किया जा सकता है!परिवार की परवरिश जैसी है ये अपनी टिका टिप्पड़ी से ही प्रदर्शित कर देते है!

सोशल मीडिया पर पार्टी और नेता का विरोध होना तो आम बात हो गयी है लेकिन कुछ लोगो ने बेशर्मी की हदे पार कर दी ये लोग नेता या पार्टी के विरोध करने में भी अपने संस्कारो को दिखाना नही भूलते!

आपको कुछ स्क्रीनशॉट दिखाता हु जिनसे आप उनके संस्कारो में बारे मे काफी कुछ जान जाओगे

माननीय डॉ किरोड़ी लाल जी राजस्थान के सबसे बड़े जनाधार वाले नेता है जिनके समक्ष कोई नेता नही है!अपवाद हर जगह होते है ये अपवाद सोशल मीडिया पर भी अपनी पहचान बनाने के लिए नीच हरकत तक पहुच जाते है जिनका नमूना आप को दिखा रहा हु!

मेरे सोशल मीडिया पर अनुज समान प्रदीप कटकड ने पोस्ट डालकर ये बताने का प्रयास किया कि मिस राजस्थान बनी प्रीति मीणा को डॉ साहब के पैर छूना अपराध करना जैसा है!यानी उन्होंने पैर छूकर कोई गुनाह कर दिया है वही दूसरी ओर विश्राम जो कि पेशे से अध्यापक है वे लड़की खुद को परोसने जैसी पोस्ट डाल रहे है!ऐसे अध्यापक बच्चों को क्या शिक्षा देते होंगे इससे आप अंदाजा लगा सकते हो??

अनुज प्रदीप कटकड से एक प्रश्न पूछना चाहूंगा कि यदि प्रीति आपके परिवार से होती तब भी आपके यही विचार होते क्या???
क्या अपने से बड़ो के पैर छूना अपराध की श्रेणी में आता है???

ये पोस्ट आपके संस्कारो को प्रदर्शित करती है बाकी आप स्वयम समझदार हो
इस तरह की टिका टिप्पड़ी से बचकर शांत एवम प्रियतम बनकर अपनी बात रखनी जिससे ऐसा नही लगे कि दूसरे व्यक्ति को मेरी पोस्ट से कोई आपत्ति हो उसकी भावना को ठेस ना पहुचे! इस तरह की पोस्ट का कोई औचित्य नही है!

फेसबुक जैसे मंच पर आपको बहुत लोग फॉलो करते है उनमें मन मे आपके प्रति हींन भावना बढ़ रही होगी!ये मंच एक दूसरे के विचारों को आदान-प्रदान करने के लिए है ना कि आपसी विरोध पालने के लिए!

अपनी बात यही खत्म करता हु

शिक्षित बनो,समझदार बनो

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