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Showing posts from 2015

नारेड़ा गोत्र या गांव टोड़ी खोहरा का इतिहास

नारेड़ा गोत्र या गांव टोड़ी खोहर्रा(अजितखेड़ा) का इतिहास ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ बड़े बुजुर्गो के अनुसार टोड़ी खोहर्रा के लोग कुम्भलगढ़ में रहते रहते थे ये वही के निवासी थे! इनका गोत्र सिसोदिया था और मीनाओ का बहुत बड़ा शासन हुआ करता था! राजा का नाम मुझे याद नही है किसी कारणवस दुश्मन राजा ने अज्ञात समय(बिना सुचना) के रात में आक्रमण कर दिया! ये उस युद्ध को तो जीत गए लेकिन आदमी बहुत कम रह गए उस राजा ने दूसरा आक्रमण किया तो इनके पास उसकी सेना से मुकाबला करने लायक बल या सेना नही थी और हार झेलनी पड़ी! इन्होंने उस राजा की गुलामी नही करने का फैसला किया और कुम्भलगढ़ को छोड़ कर सांगानेर(जयपुर) में आ बसे और यही अपना जीवन यापन करने लगे यंहा के राजा ने इनको राज पाट के महत्व पूर्ण काम सोपे इनको इनसे कर भी नही लिया जाता था राजा सारे महत्वपूर्ण काम इन मीनाओ की सलाह से ही करता था नए राजा भारमल मीनाओ को बिलकुल भी पसन्द नही करता था और उन पर अत्याचार करता रहता था! एक बार दीवाली के आस-पास जब मीणा पित्रों को पानी दे रहे थे तब उन निहत्तो पर अचानक वार कर दिया! जिसमे बहुत लोग मारे गए भारमल ने अपनी बेटी अकबर को द...

पाखण्डियो को खुली चुनौती:-तर्कशील सोसाईटी नांगल शेरपुर

~~~~~~~ खुली चुनौती ~~~~~~ तर्कशील सोसायटी ने पाखण्डियों को दी खुली चुनौती और 5 लाख का इनाम भी जयपुर। राजस्थान के करौली जिले के नांगल शेरपुर से संचालित सामाजिक संस्था तर्कशील सोसायट...

मेरे सपनो का समाज,मीणा समाज की जागृति के प्रयास,एक लेख समाज के नाम

:::::::::::::-- मेरे सपनो का समाज--::::::::::::: सभी बुद्दिजीवीओ और बड़े बुजुर्ग पञ्च पटेलों एवम् युवा साथियो समाज सभी का होता है,समाज से हम है हम से समाज नही इसी कारण समाज के प्रति हमारे कुछ दायित्व ...

एक पैगाम समाज के नाम,समाज सुधार की अपील

एक पैगाम समाज के नाम:-                                      आदरणीय सभी पञ्च पटेल एवम् समस्त बुद्दिजीवी गण एवम् मेरे युवा साथियो सभी पञ्च पटेलों और बुद्दीजीवीओ से विनम्र नि...

माटी के लाल(आदिवासी कविता):-जयसिंह नारेड़ा

माटी के लाल-आदिवासी कविता :- जयसिंह नारे ड़ा ××××××××××××××××××××××××××××××× वो जो सभ्यताओं के जनक है, होमोफम्बर आदिवासी, संथाल-मुंडा-बोडो-भील, या फिर सहरिया-बिरहोर-मीण-उराव ...

आदिवासी महिला:-एक संघर्ष की मिशाल:-जयसिंह नारेड़ा

~~ आदिवासी महिला :- एक संघर्ष की मिशाल -~~ ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ देखा जाये तो बुआ गोलमा देवी जी को काम करने की न के बराबर भी जरुरत नही है ये चाहे तो बस चुटकियो मे ही अपना काम किसी नौकर या अन्य व्यक्ति से करवा सकती है लेकिन ऐसा नही करती है क्योकि ये है आदिवासी आदिवासियो को काम करने आदत नही लत होती है जो मरते मरते भी नही भुलते इन्हे हर काम करना आता है संघर्ष करना तो जिन्दगी का जैसे एक आम पहलु हो खैर छोड़ो मै ये पोस्ट गोलमा जी के लिए लिख रहा हु तो उनके बारे कुछ बताना जरुर चाहुंगा गोलमा जी वैसे हमारे गाव टो ड़ी खोहरा(टोडाभीम) से ही है गोत्र से नारे ड़ा है जन्म से ही संघर्ष मे जीवन गुजरा है गाव(पिहर) मे भी ज्यादा अमीर घर नही था जो कि आराम कि जिन्दगी गुजार सके! बचपन से ही खेती-बाड़ी के काम काज को संभाला और खेती के साथ साथ घरेलु काम काज झाडु पोछा,बर्तन,भैसो का काम,रसोई ऐसे सारे काम करना शुरु से ही आता था शादी के बाद भी सामान्य स्तर का परिवार मिला डा साहब उस समय नौकरी भी नही लगे वे सिर्फ उस समय पढाई करते थे गोलमा जी के आने के बाद वे बीकानेर चले गये और डाक्टर बन गये समय...