Saturday, February 17, 2018

बंजर होती धरती और मुरझाता किसान का चेहरा

क्या आपने कभी सोचा है..?? कि धरती से पानी खत्म हो गया तो क्या होगा..?? लेकिन कुछ ही सालों बाद ऐसा हो जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए। भूगर्भीय जल का स्तर बहुत तेजी से कम हो रहा है। ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। यही सही समय है कि पानी को लेकर कुछ तो उपाय किये जाने चाहिए यही समय है हमे जागरूक होने का।

भाई हजारों साल पहले देश में जितना पानी था वो तो बढ़ा नहीं, स्रोत बढ़े नहीं लेकिन जनसंख्या कई गुना बढ़ गई। मांग उससे ज्यादा बढ़ गई। पानी के स्रोत भी अक्षय नहीं हैं, लिहाजा उन्हें भी एक दिन खत्म होना है। विश्व बैंक की रिपोर्ट को लेकर बहुत से नाक-भौं सिकोड़ सकते हैं,क्या आपने कभी सोचा है कि अगर दुनिया में पानी खत्म हो गया तो क्या होगा। कैसा होगा तब हमारा जीवन। आमतौर पर ऐसे सवालों को हम और आप कंधे उचकाकर अनसुना कर देते हैं और ये मान लेते हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा। काश हम बुनियादी समस्याओं की आंखों में आंखें डालकर गंभीरता से उसे देख पाएं तो तर्को, तथ्यों और हकीकत के धरातल पर महसूस होने लगेगा वाकई हम खतरनाक हालात की ओर बढ़ रहे हैं।

पानी की कमी की बात करते ही एक बात हमेशा सामने आती है कि दुनिया में कहीं भी पानी की कमी नहीं है। दुनिया के दो तिहाई हिस्से में तो पानी ही पानी भरा है तो भला कमी कैसे होगी। यहां ये बताना जरूरी होगा कि मानवीय जीवन जिस पानी से चलता है उसकी मात्रा पूरी दुनिया में पांच से दस फीसदी से ज्यादा नहीं है। नदियां सूख रही हैं। ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। झीलें और तालाब लुप्त हो चुके हैं। कुएं, कुंड और बावडियों का रखरखाव नहीं होता। भूगर्भीय जल का स्तर तेजी से कम होता जा रहा है। हालत सचमुच चिंताजनक है-आखिर किस ओर बढ़ रहे हैं हम। पूरी दुनिया को नापने वाला नासा के सेटेलाइट के आंकड़ें कहते हैं कि अब भी चेता और पानी को बचा लो...अन्यथा पूरी धरती बंजर हो जाएगी। लेकिन दुनिया से पहले अपनी बात करते हैं यानि अपने देश की। जिसके बारे में विश्व बैंक की रिपोर्ट का कहना है कि अगले कुछ सालों यानि करीब-करीब दो दशकों के बाद भारत में पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मचने वाली है। सब कुछ होगा लेकिन हलक के नीचे दो घूंट पानी के उतारना ही मुश्किल हो जाएगा।

भाई हजारों साल पहले देश में जितना पानी था वो तो बढ़ा नहीं, स्रोत बढ़े नहीं लेकिन जनसंख्या कई गुना बढ़ गई। मांग उससे ज्यादा बढ़ गई। पानी के स्रोत भी अक्षय नहीं हैं, लिहाजा उन्हें भी एक दिन खत्म होना है।
राजस्थान के सवाई माधोपुर,करौली,दौसा,टोंक,अलवर,जैसलमेर ओर बाड़मेर जैसे बड़े जिलों में पानी की विकट समस्या है जिस पर कोई नेता अथवा राज्य सरकार का ध्यान नही जा रहा है!हाल ही में दौरे पर गए #अशोक_गुरुजी के मुताबिक लालसोट के पास बामनवास तहसील के गांव बरनाला ओर उसके आस पास के क्षेत्र में पानी की कमी के कारण उपजाऊ जमीन भी बंजर बनती जा रही है लेकिन किसी स्थानीय नेता ने इस समस्या को उठाना तो दूर की बात जायजा लेना तक जरूरी नही समझा!

खेतो में पानी की कमी के कारण सूखे पड़े हुए है जो सिर्फ उड़ाने का ही काम कर रहे है!
ये समस्या सिर्फ इन्ही जिलों में नही अपितु लगभग पूरे राजस्थान में ही है किसान की कमाई का जरिया मात्र कृषि है यदि इन समस्याओं पर जल्द ध्यान नही दिया गया तो वे अपनी रोजी रोटी के लिए तरसते नजर आएंगे जिसका कारण नेताओ एवम सरकार की लाफ़रवाही होगा!
अलवर के रैनी के आस पास के गांवों में पानी की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है जिसके चलते लोगो को टैंकरों से पानी की सप्लाई करनी पड़ रही है बहुत बार समय पर पानी भी नही पहुच पा रहा है!और जमीनी स्तर पर पानी की कमी निरन्तर बढ़ती जा रही है!ऐसे में स्थानीय नेताओं एवम राज्य सरकार को इस समस्या के निदान के बारे में चिंतित होना आवश्यक है!

गरीब किसान वर्ग जो राजमर्रा के कामो के लिए खर्च भी कृषि पर आश्रित रहते है यहां तक कि शिक्षा की फीस देने के लिए भी बच्चों को कृषि से होने वाली आमदनी से ही उपलब्ध करवाते है यदि कृषि की उपज अच्छी हो पाती है तो शिक्षा दिलाना तो दूर की बात वे अपने रोजमर्रा के खर्चो को निकाल पाने में असमर्थ होते है!
स्थानीय नेताओ को ये समस्या राज्य सरकार के समक्ष रखनी चाहिए और मुआबजे की मांग करनी चाहिए कृषि से उतपन्न अनाज पर उचित दाम दिलाने के लिए भरसक प्रयास करने चाहिए!समर्थन मूल्य को बढ़ाना चाहिए!
राज्य सरकार से पानी को रोकने के लिए एनीकटों, सरोवरों इत्यादि के निर्माण की मांग करनी चाहिए जिससे इस समस्या से निजात पाने में आसानी हो!

माननीय डॉ किरोड़ी लाल विधायक लालसोट ने जो मुहिम शुरू की है चंबल के पानी लाने के लिए उस पर भी सभी को आगे चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए उनके इस कदम पर सभी साथ दे शायद समस्या को निजात दिलाने में कामयाब हो जाये!!
मैं अपनी कलम को यही पर विराम देना चाहूंगा!
"बढेगा किसान तभी तो बढेगा राजस्थान"
"पानी बचाओ किसान बचाओ"


लेखक:-
जयसिंह नारेड़ा

Wednesday, February 14, 2018

शाम ए-मोहब्बत

किरणे सुबह की निकली ही थी,
उनका आना हुआ इस कदर,
हमारे अंदर मन मे चुलबुलाहट जारी थी,
मिल ही जायेंगे वे हमसे इसी बात की बारी थी...!!

हवाओ ने भी अपनी फिजायें बदली हुई थी,
मुस्कान होंठो पर ऐसी थी जैसे लिपस्टिक बदली थी,
मौसम की खुमारी इस कदर छाई हुई थी,
घायल तो हम हो गए अब उनकी बारी थी...!!

ये कैसी तन्हाई है तेरे जाने के बाद,
मिलने का बार बार मन करता है तुझसे मिलने के बाद,
मेरे पास तेरी यादों का खजाना है जो मैं संजोए हु,
देखता हूं तेरे आने से पहले ओर तेरे जाने के बाद...!!

किस्सों से कहानी बन जाती है,
एक मुलाकात से तश्वीर बदल जाती है,
फ्रेम वही रहता है लेकिन,
तश्वीर की रंगत बदल जाती है...!!

लेखक
जयसिंह नारेड़ा

Friday, February 9, 2018

वेलेंटाइन डे स्पेशल कविता

        वेलेंटाइन डे स्पेशल
       (जयसिंह नारेड़ा)

सुनी सुनी सारी रात कटे म्हारी,
जाने कब आवेगी कालजा की कौर म्हारी,
इंतजार करता 14 फरवरी का अबकी बार,
बनूँगा बजरंग दल का सेनापति सामत आवेगी थ्यारी...!!

करते छोरा-छोरी बेसब्री से इस दिन का इंतजार,
ऐसा काम ना करना जिससे आवे घरवालो में टकरार,
खूब करो आशिक बाजी धोखा मत कोई को देना,
माँ बाप की लाज रख लेना यही है मेरा कहना...!!

प्यार करो चाहे दोस्ती विश्वास उस पर करना,
रिश्ता टूट जाता है शक करने से इसी बात से डरना,
हो अगर प्यार दिल मे तो दिल से तुम करना,
जिश्म का बाजार नही है ये इश्क मत इसे बदनाम करना..!!

मोहब्बत एक ऐसी बीमारी है,
नही दवा मिलती इसकी यही बड़ी खुमारी है,
इश्क के बीमार तो हजारों लाखों बैठे है,
सच्चा प्यार तो कुछेक ही करते है वरना,
जिश्म की चाह रखने वाले चारो तरफ बैठे है...!!

लेखक:-
जयसिंह नारेङा

Wednesday, February 7, 2018

अपने भी बेगाने होते है

अपने भी बेगाने होते है

सच है अपने भी बेगाने होते है,
अक्सर रात में देखे सपने झूठे होते है,
जन्मों जन्मों का साथ देने का,
वादा करने वाले भी दर्दे दिल का हिस्सा होते है....!!!

किस्सों से कहानियां बनती जाती है,
जब ना हो एक दूसरे पर विश्वास तो,
अक्सर धीरे-धीरे दूरियां बढ़ती जाती है,
जलने वालो के घर दिवाली मन जाती है....!!

समझेंगे जरूर वो कद्र वक्त आने पर,
होती कद्र अक्सर कोई चीज खो जाने पर,
कब तक अश्क बहाओगे रो रो कर,
पछताने से होगा क्या चिड़िया चुग जाने पर....!!

रोओगे तुम बहुत हमे याद करके एक दिन,
 कौन धीर बंधाने आएगा तुम्हे हम बिन,
मिलेंगे बहुत तुम्हे आंसू पोछने वाले हर दिन,
लेकिन वो यादे कहा से लाओगे हम बिन...!!

सीखोगे जरूर कदर करना तुम दोस्ती की,
शक करना ही फसाद होती है टूटते रिस्तो की,
तुम भी कभी दिल का हिस्सा हुआ करते थे,
ले बैठी कहानियां तुम्हारी झूठे किस्सों की....!!

सच कहते है दुनिया वाले टूट जाते है रिश्ते,
लडकिया बन जाती है जिंदगी की जरूरतें,
कुछ तो खो देते है माँ बाप को हंसते हंसते,
पाला पोषा वे रिश्ते लगते है बड़े सस्ते सस्ते.....!!

हम तुम्हे धोखा नही देंगे कभी ए-दोस्त,
चाहे आ ही क्यो ना जाये हमे मौत,
इससे बड़ा पैगाम क्या होगा मेंरे लिए,
इससे बड़ा मेरे पास नही कोई सच्चाई का स्रोत....!!

तुम्हे जब जब जरूरत पड़ेगी हमे साथ पाओगे,
आवाज मुह से नही निकलेगी दिल से साथ पाओगे,
खूब निभाई दोस्ती हमने मिलकर तुम्हारे साथ,
दर्दे दिल के साथ हमेशा दिल मे धड़कते रहोगे....!!

जयसिंह नारेड़ा

मीना गीत संस्कृति छलावा या व्यापार

#मीणा_गीत_संस्कृति_छलावा_या_व्यापार दरअसल आजकल मीना गीत को संस्कृति का नाम दिया जाने लगा है इसी संस्कृति को गीतों का व्यापार भी कहा जा सकता ...