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Showing posts from March, 2017

वो कॉलेज वाला प्यार.......भाग-3

दोनों का प्रेम विवाह था इसलिए राजेश अनुष्का बेहद खुश भी थे ,दोनों प्यार में इस कदर डूबे रहते कि साल कब बीत गया पता न चला | राजेश ने धीरे धीरे ये भी नोटिस किया कि अनुष्का को किताबें पढ़ने का बेहद शौक है उसने अनुष्का को खाली वक्त में हमेशा उस टेबल के इर्द गिर्द पाया जहां राजेशअक्सर कुछ न कुछ पढ़ने बैठता था | एक दिन राजेश से रहा नहीं गया और कहा "अनु तुम अपनी आगे की पढाई क्यों नहीं कर लेती" बात को बदल कर फिर ज़रा जोर दिया और कहा "मेरा मतलब है तुम्हें किताबें पढ़ने का शौक है और वैसे भी यही समय होता है पढ़ने का, तुम ग्रेजुएशन कर लो |"राजेश की बात सुन कर खुश तो हुई मगर थोड़े हैरानी भरे अंदाज में अनुष्का ने राजेश की तरफ देखा और कहा "अब अब तो शादी भी हो गयी क्या करूंगी आगे पढ़ कर और हंसते हंसते कहने लगी तुम नहा लो में नाश्ता बनाती हूँ " और रसोई में चली गयी | मगर राजेश के मन में कुछ और था वो नहीं चाहता था की अनुष्का इस चूल्हे चौके के बीच रह कर अपनी जिंदगी यूं ही खराब कर दे ,उसे याद है उसने अनुष्का की बुआ को कहा था कि अनुष्का आगे अपनी पढ़ाई पूरी करेगी वो उसमें अनु...

वो कॉलेज वाला प्यार....भाग-2

अनुष्का कुछ परेशान होकर कभी इधर कभी उधर तो कभी फर्श को देख रही थी, राजेश को कुछ अच्छा नहीं लगा उसने पूछा "क्या आप पानी लेंगी" अनुष्का ने नजरें उठाये बिना जवाब दिया "नहीं शुक्रि...

वो कॉलेज वाला प्यार........भाग-1

---------~~वो कॉलेज वाला प्यार........भाग-1~~------- -------------------------------------------------------------------------- सुबह के नौ बज रहे थे राजेश का आज फिर कॉलेज जाने का मन नहीं था, इसलिए फ़ोन कर दोस्तों को मना कर दिया मगर ऐसा कब तक चलने वाला था, चेहरे पर एक अजीब ख़ामोशी पसरी थी और पलंग पर लेटे लेटे बड़ी देर से उस पंखे को लगातार देखे जा रहा था, देख तो पंखे को रहा था पर मन कहीं और था |  ज़रा सा ध्यान हटा तो पानी पीने के लिए टेबल पर रखी बोतल की तरफ हाथ बढ़ाया परन्तु बोतल रात भर में खाली हो चुकी थी | नजर टेबल की तरफ फिर गयी, प्लेट बुझी हुई सिगरेटों से भर गयी थी कुछ एक तो टेबल पर भी गिर गयी थी! वो जानता था उसने पिछली कुछ रातें किस तरह गुजारी है तभी एक तेज आवाज हुई खिड़की के शीशे से किसी चीज़ के टकराने की ,अखबार वाले ने उस कमरे में फैली ख़ामोशी को तोड़ दिया था ! राजेश अचानक उठ बैठा और डिब्बी में पड़ी एक आखिरी सिगरेट निकाली और बड़े ही अनमने भाव से उठकर कमरे से सटी बालकनी का दरवाजा खोला | जून के महीने में गर्मी अपने चरम सीमा पर थी तेज धुप में राजेश की आँखे एक दम बन्द हो गयी ,अखब...

:-मेरी चुनिंदा शायरियां-:

जमाने से नही तन्हाई से डरता हूँ प्यार से नही रुसवाई से डरता हूँ मिलने की उमंग तो बहुत होती है, लेकिन मिलने के बाद भी तेरी जुदाई से डरता हूँ! दिल का रिश्ता है हमारा दिल के कोने म...