Wednesday, March 29, 2017

वो कॉलेज वाला प्यार.......भाग-3

दोनों का प्रेम विवाह था इसलिए राजेश अनुष्का बेहद खुश भी थे ,दोनों प्यार में इस कदर डूबे रहते कि साल कब बीत गया पता न चला | राजेश ने धीरे धीरे ये भी नोटिस किया कि अनुष्का को किताबें पढ़ने का बेहद शौक है उसने अनुष्का को खाली वक्त में हमेशा उस टेबल के इर्द गिर्द पाया जहां राजेशअक्सर कुछ न कुछ पढ़ने बैठता था | एक दिन राजेश से रहा नहीं गया और कहा "अनु तुम अपनी आगे की पढाई क्यों नहीं कर लेती" बात को बदल कर फिर ज़रा जोर दिया और कहा "मेरा मतलब है तुम्हें किताबें पढ़ने का शौक है और वैसे भी यही समय होता है पढ़ने का, तुम ग्रेजुएशन कर लो |"राजेश की बात सुन कर खुश तो हुई मगर थोड़े हैरानी भरे अंदाज में अनुष्का ने राजेश की तरफ देखा और कहा "अब अब तो शादी भी हो गयी क्या करूंगी आगे पढ़ कर और हंसते हंसते कहने लगी तुम नहा लो में नाश्ता बनाती हूँ " और रसोई में चली गयी |
मगर राजेश के मन में कुछ और था वो नहीं चाहता था की अनुष्का इस चूल्हे चौके के बीच रह कर अपनी जिंदगी यूं ही खराब कर दे ,उसे याद है उसने अनुष्का की बुआ को कहा था कि अनुष्का आगे अपनी पढ़ाई पूरी करेगी वो उसमें अनुष्का की पूरी सहायता करेगा | "अरे पढाई का शादी से क्या लेना देना, पढाई अपनी जगह है तुम भी आगे बढ़ो दुनिया को देखो " कह कर अपना तोलिया उठा कर नहाने चला गया | आखिर राजेश जब रोज रोज यही दोहराने लगा तो थक हार कर अनुष्का ने राजेश की बात मान ली और बी.ए फर्स्ट ईयर में एड्मिशन ले लिया |
क्या यही एक भूल हो गयी थी उस से ,राजेश फिर से उस लटकते घूमते पंखे को देख रहा था और सोच रहा था ,उसने तो वहीं किया जो की किसी भी अच्छे इंसान को और अच्छे पति को करना चाहिए था तभी दरवाजे की घंटी बजी ,मन नहीं था खोलने का सो थोड़ी देर वैसे ही लेटा रहा, घंटी फिर बज उठी इस बार दो बार बजी, दरवाजा खोला "गोलू तू" करीब 14 वर्ष का बच्चा हाथ में चाय लिए खड़ा था कहने लगा "ओह्ह क्या भैया इतनी देर से घंटी दे रहा हूँ अपनी चाय ले लो " चाय लेकर राजेश वापिस कमरे में आया और पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गया जो किताबों के टेबल के पास थी जिस पर वो सुबह होते ही वो बैठ जाया करता था और जहां अनुष्का और राजेश साथ साथ चाय की चुस्कियां भरते हुए अपनी सुबह को तरोताजा करते थे |
कितना खूबसूरत मंजर होता था और कितना अजीब है अब सब कुछ, चाय की पहली चुस्की भरते सोचने लगा कहां तो अनुष्का बाहर खाना खाने के लिए भी मना करती थी हमेशा कहती थी घर का बना खाना खाने से अच्छा कुछ भी नहीं और अब तो.. एक लम्बी आह भरी जैसे राजेश का अंदर का हर दर्द अपने आप को सिर्फ आहों में ही बयां कर रहा हो | अनुष्का पढ़ने में बहुत तेज थी इस बात में राजेश कोई शक नहीं था वो अनुष्का के इस बात से बेहद प्रभावित भी था, उसका मनपसंद सब्जेक्ट जियोग्राफी था ,राजेश को रश्मी बुआ की सिफारिश पर उसी कॉलेज में क्लर्क की जॉब मिल गयी!इसकी बजह से अनुष्का और राजेश बेहद खुश थे! धीरे धीरे दोनों की दिनचर्या फिक्स हो गयी राजेश जॉब के लिए कॉलेज जाता और अनुष्का अपने कॉलेज | राजेश ने परीक्षा के दिनों में अनुष्का की पूरी मदद की और समय कैसे बीत गया पता ही नहीं चला ,अनुष्का ने ग्रेजुएशन फर्स्ट डिवीज़न से पास किया और राजेश के कहने पर जियोग्राफी में एम.ए करने का निश्चय किया, अपना मन पसंद विषय पाकर अनुष्का फूली न समायी | अब कुछ दिनों के लिए वो बुआ के घर जाना चाहती थी बहुत जिद्द करने पर राजेश ने उसे बुआ के यहां छोड़ दिया ,रश्मी भी अनुष्का को देख कर बेहद खुश थी आखिर बुआ का उसके सिवा अपना था ही कौन ? रश्मी ने पाया कि अनुष्का बहुत ज्यादा खुश है और चहक भी रही है ये बात तो अच्छी थी मगर एक चिंता ने रश्मी के मन को घेर लिया , उसकी रूचि राजेश से ज्यादा अब कॉलेज जाने में थी, अनुष्का कॉलेज की सारी बातें रश्मी को बताती अपनी सहेलियों के बारे में दोस्तों के बारे में | उसने रश्मी को अपनी एक खास दोस्त सरिता के बारे में बताया कि कैसे वो अपनी गाड़ी लेकर कॉलेज आती है ,और कहने लगी
"बुआ वो बहुत अमीर घर से है उसके घर में सारे के सारे लोग बड़ी बड़ी पोस्ट पर हैं" रश्मी ने उसकी सब बहुत ध्यान से सब बातें सुनी वो अनुष्का को लेकर एक बात समझ रही थी उसकी उम्र के हिसाब से वो अपनी जगह ठीक है मगर कुछ पाने का सपना अभी भी वो आंखों में लिए घूम रही है क्या था वो सपना ? क्या वो सपना अनुष्का और राजेश दोनों का है या सिर्फ और सिर्फ अनुष्का का ? इन सवालों से रश्मी सिहर उठी वो ये भली प्रकार जानती थी कि राजेश उस से बेहद प्यार करता है इसी लिए अनुष्का की ख़ुशी में वो अपनी ख़ुशी ढूंढता है ,इसलिए वो अनुष्का की हर बात मान भी लेता है आखिर प्यार यही तो है एक दूसरे को समझना और एक दूसरे की ख़ुशी में खुश रहना |
रश्मी ने कई बार बातों का रुख मोड़ने की कोशिश की और राजेश के बारे में और आगे परिवार बढ़ने केर बारे में अनुष्का से जानना चाहा मगर अनुष्का हर बार एक फीकी मुस्कराहट देकर बात टाल जाती और हर बार यही कहती "बुआ तुम भी न, अभी मेरी उम्र ही क्या है, अभी मैं पढ़ना चाहती हूँ कुछ बनना चाहती हूँ और खूब पैसा कमाना चाहती हूँ " पढ़ने वाली बात ठीक थी मगर पैसे वाली बात रश्मी को चिंता में डालने के लिए काफी थी | रश्मी खुद की बीती जिंदगी को याद करती है!और वो पल याद आ जाता है जब संदीप उसे नोकरी लगने के बाद शादी का झांसा देकर छोड़ गया था!संदीप भी रूपये कमाने के ख्याव इसी प्रकार देखता था जैसे अब अनुष्का देख रही थी!
इन विस्मरणीय बातो को याद करके बुआ की आँखे में पानी की बुँदे थी!जिनको वो अनुष्का से छिपा रही थी!
डर भी रही थी कही अनुष्का भी उसी राह पर नही चले!
कुछ दिन रह कर वो वापिस राजेश के पास लौट आई !
राजेश बेहद खुश था क्यों कि अनुष्का के बगैर पूरा घर सूना सूना लग रहा था |



कहानियों का सफर जारी रहेगा............शेष अगली क़िस्त में

आपके अनमोल सुझाव देते रहे 

धन्यवाद

-:लेखक:-
जयसिंह नारेड़ा

Monday, March 20, 2017

वो कॉलेज वाला प्यार....भाग-2

अनुष्का कुछ परेशान होकर कभी इधर कभी उधर तो कभी फर्श को देख रही थी, राजेश को कुछ अच्छा नहीं लगा उसने पूछा "क्या आप पानी लेंगी" अनुष्का ने नजरें उठाये बिना जवाब दिया "नहीं शुक्रिया" इस बार राजेश ने अपने पढाई को किनारे रख उससे बात करने की कोशिश की एक विश्वास भरे अंदाज में पूछा "रश्मी जी आपकी क्या लगती हैं?" अपने सवाल को फिर से दोहराया "मेरा मतलब है कि आपकी रिश्तेदार हैं या.." तभी अनुष्का ने जवाब दिया "जी वो मेरी बुआ हैं" इस बार राजेश सिर्फ जी कह कर मुस्कुराया, आगे की बात करने के लिए कोई सिरा नहीं मिल रहा था, राजेश जानता था की वो अब उस कमसिन यौवना से उसका नाम पूछना चाहता है मगर कैसे ? अगर गलती से भी बुरा मान गयी तो ये बहुत ही बुरा होगा खासकर उसके दिल के साथ, ये सोचकर उसने चुपी साध ली!किताब के पन्ने पलटने लगा और अपनी किताब को पढ़ने का नाटक करने लगा!
अनुष्का भी उसकी पहली नजर को पहचान गयी थी मगर जान कर अनजान बन गयी |
करीब पंद्रह मिनट गुजर गए यूँ ही चुपचाप बैठे दोनों को, अचानक एक हाथ अनुष्का के कंधे पर आ लगा और आवाज आई "अनु तू", ये आवाज अनुष्का की बुआ की थी ,अनुष्का अचानक से खड़ी हुई "ओह्ह बुआ तुम भी न.. पता है कितनी देर हो गयी तुम्हारा इन्तजार करते करते, कहां चली गयी थी ? |" रश्मी हंस पड़ी और कहने लगी "अरे यहीं थी बाहर, मुझे क्या पता तू आज कॉलेज आएगी सुबह को तूने कुछ कहा नहीं जब मैं घर से निकली, चल उधर आ जा" और अनुष्का को अपनी सीट की तरफ आने का इशारा किया |
फिर अचानक से रश्मी पलटी जैसे अपनी भूल का एहसास हुआ हो और राजेश की तरफ देख कर कहा "राजेश ये मेरी भांजी अनुष्का है और अनुष्का ये राजेश  हैं मेरी क्लास के होशियार लड़को में से एक है!
"राजेश आज आपने कल पढ़ाया वो याद नहीं किया क्या " राजेश अचानक किये इस सवाल से कुछ हड़बड़ा गया फिर सहज होकर मुस्कुराया और अनुष्का की तरफ "हेलो कहा "और सवाल के जवाब में बस इतना कहा "जी नहीं, जी अभी कर लूंगा" अनुष्का को राजेश की इस हालत पर हसीं आ गयी मगर हसीं नहीं हल्का सा मुस्कराई और अपनी बुआ के पीछे चल दी |
राजेश को उसकी मुस्कराहट ने अब होश में न रखा था उसके चेहरे पर अकस्मात् एक शर्मीलापन उभर आया जिसे राजेश ने छुपाने का भरसक प्रयास किया मगर कामयाब न हो सका मगर उसे अपने सवाल का जवाब मिल गया था जिसके लिए वो बेसब्र था, मन ही मन सोचा अनुष्का, तो मैडम का नाम अनुष्का है, उसने फिर एक हलकी सी नजर रश्मी जी की सीट की तरफ डाली तो पाया बुआ भांजी बातों में व्यस्त हो चुकी हैं ,अनुष्का दूर से भी उतनी ही खूबसूरत लग रही ही जितनी की पास से | अब राजेश को भूख जोरों की लग रही थी इसलिए सारी किताबे एक तरफ़ समेट कर अब राजेश खाने के लिए केन्टीन जाने का रुख किया |
राजेश पर एक नया खुमार सा चढ़ा हुआ था वो समझ नहीं पा रहा था ये महज आकर्षण भर है या पहली नजर में होने वाला प्यार ,समोसे खाते वक्त भी यहीं सोचता रहा और मन ही मन हर्षित हो रहा था आखिर जो जिंदगी में आज तक न हुआ वो हो ही गया ,हो न हो यक़ीनन अनुष्का भी इस बात को जान चुकी है सोचकर मंद मंद मुस्करा दिया | जब तक राजेश वापिस अपने स्थान पर पहुंचा तब तक अनुष्का जा चुकी थी ,खाली कुर्सी देखते ही मन बोझिल हो गया और मन कोसते हुए अपने जगह बैठ गया | इस पहली मुलाकात ने राजेश और अनुष्का के प्यार की नीवं रख दी थी |

सिगरेट पूरी तरह बुझ चुकी थी और अतीत का वो सुनहरा पन्ना धुआं बन के हवा में उड़ गया था, राजेश एक लम्बी सांस भरते हुए वापिस कमरे में आ कर टांगे लटका कर पलंग पर बैठ गया |अख़बार को खोला मगर पढ़ने का मन नहीं किया फिर एक तरफ फैंक दिया आधे मन से रसोई की तरफ गया एक नजर डालने पर ऐसा लग रहा था की बरसों से यहां खाना नहीं बना है रसोई घर, रसोई घर न हो कर एक स्टोर बन गया था ,सारा सामान बिखरा पड़ा था कोई भी चीज़ अपनी जगह पर नहीं थी उसे याद आ रहा था कि खाना बनाते वक्त अनुष्का हमेशा कोई ना कोई गीत गुनगुनाया करती थी जो कि राजेश को बेहद पसंद था, फिर ... फ्रिज से पानी की बोतल निकाली और वापिस कमरे में आ गया | राजेश सोचने लगा एक लम्हे में अचानक सब कुछ कैसे बदल जाता है हमारी जिंदगी पर एक एक लम्हे का कर्ज रह जाता है |
वो लम्हा कितना खास था, उसका कर्ज वो कभी भूल भी नहीं पायेगा जब राजेश के लिए अनुष्का उसकी जिंदगी बन कर उसकी दुनिया में हमेशा के लिए आ गयी थी, ऐसा लगा था कि सारी कायनात ने उसके लिए खुशियां समेट दी और दामन में भर दी हों ,अपने प्यार को पाना मतलब, जिंदगी को पाना था |
राजेश और अनुष्का अक्सर कॉलेज में ही मिला करते थे!अनुष्का बुआ से मिलने के बहाने कॉलेज में आती थी !उनकी ये मुलाकाते प्यार में तबदील हो गयी इस बात की भनक बुआ को लग चुकी थी!
राजेश ओर अनुष्का के इस सच्चे प्यार को उसकी बुआ ने हरी झंडी दे दी थी हालांकि रश्मी नहीं चाहती थी की अनुष्का अभी शादी करे क्यों कि वो बहुत छोटी भी थी और पढ़ने में अच्छी भी थी, लेकिन राजेश के प्यार के आगे उसकी एक ना चली |
राजेश एक सुलझा हुआ इंसान था बेहद नेक प्रवृति का ,शायद वो अनुष्का के लिए उपयुक्त भी था अगर वो अनुष्का को प्यार करता है तो उसे हर हाल में खुश भी रखेगा यही सोच कर रश्मी ने विवाह के लिए हामी भर दी थी | अनुष्का की मां की कुछ साल पहले बीमारी के चलते मृत्यु हो गयी थी जिसके कारण ये जिम्मेवारी अनुष्का के पिता ने रश्मी के कन्धों पर डाल दी थी | रश्मी अविवाहित थी इसलिए अनुष्का को अपनी बच्ची समझ कर प्यार करती थी और दोनों बुआ भांजी न हो कर अच्छी सहेलियां भी थी |

कहानियों का सफर जारी रहेगा.......
शेष भाग अगली क़िस्त में ......

आपको मेरी कहानी का भाग-1 और भाग-2 कैसा लगा
अपने विचार अवश्य बताये

-:लेखक:-
जयसिंह नारेड़ा

Saturday, March 18, 2017

वो कॉलेज वाला प्यार........भाग-1

---------~~वो कॉलेज वाला प्यार........भाग-1~~-------
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सुबह के नौ बज रहे थे राजेश का आज फिर कॉलेज जाने का मन नहीं था, इसलिए फ़ोन कर दोस्तों को मना कर दिया मगर ऐसा कब तक चलने वाला था, चेहरे पर एक अजीब ख़ामोशी पसरी थी और पलंग पर लेटे लेटे बड़ी देर से उस पंखे को लगातार देखे जा रहा था, देख तो पंखे को रहा था पर मन कहीं और था | 
ज़रा सा ध्यान हटा तो पानी पीने के लिए टेबल पर रखी बोतल की तरफ हाथ बढ़ाया परन्तु बोतल रात भर में खाली हो चुकी थी | नजर टेबल की तरफ फिर गयी,
प्लेट बुझी हुई सिगरेटों से भर गयी थी कुछ एक तो टेबल पर भी गिर गयी थी!
वो जानता था उसने पिछली कुछ रातें किस तरह गुजारी है तभी एक तेज आवाज हुई खिड़की के शीशे से किसी चीज़ के टकराने की ,अखबार वाले ने उस कमरे में फैली ख़ामोशी को तोड़ दिया था !
राजेश अचानक उठ बैठा और डिब्बी में पड़ी एक आखिरी सिगरेट निकाली और बड़े ही अनमने भाव से उठकर कमरे से सटी बालकनी का दरवाजा खोला |
जून के महीने में गर्मी अपने चरम सीमा पर थी तेज धुप में राजेश की आँखे एक दम बन्द हो गयी ,अखबार को उठा कर अंदर पलंग की तरफ फैंका और खुद लाइटर से सिगरेट सुलगा ली ,पहला कश भरते ही उसने अपनी बाईं तरफ देखा तो आलमारी में गिफ्ट रखा हुआ था गिफ्ट में दो प्रेमियो की तश्वीर थी,देख कर अचानक उसका मन भर आया आंखें नम हो गयी,इस तश्वीर को अनुष्का अपने साथ इस घर में लायी थी |
एकाएक वही सवाल जो पिछले कुछ दिनों से उसे जीने नहीं दे रहा था, ऐसा कैसे हो सकता है अनुष्का उसे छोड़ कर कैसे जा सकती है ,एक के बाद एक सवाल तेजी से जहन में आ रहे थे और सिगरेट का धुंआ उन्हीं सवालों को हवा में उड़ा दे रहा था राजेश के पास इन सवालों के जवाब नहीं थे |
राजेश और अनुष्का एक दूसरे से बेहद प्यार करते थे, उसे याद है उसने पहली बार जब अनुष्का को देखा था तो वो देखता ही रह गया था जब पहली बार राजेश ने अनुष्का को देखा था तब वो सिर्फ अठारह बरस की थी, वो बारवीं की परीक्षा दे चुकी थी और राजेश बाइस वर्ष का था कॉलेज की द्वितीय वर्ष का छात्र था, अनुष्का की बुआ राजेश की कॉलेज में प्रोफेसर थी, अनुष्का कभी कभार अपनी बुआ से मिलने कॉलेज आती थी बारवीं की परीक्षा देने के बाद वो बुआ के पास ही आ गयी थी |
उस दिन भी राजेश पुस्तकालय में बैठा हुआ अपनी किताबो में व्यस्त था कि अचानक से एक मीठी दिलकश आवाज उसके कानों में गूंजी "एक्सक्यूज़ मी" राजेश ने सर उठा कर देखा तो देखता रह गया कुछ ठगा सा, अनायास ही एक सुन्दर चेहरा उसकी आँखों के सामने उभर आया था, सफ़ेद चुनर में लिपटी वो कमसिन यौवना ,उसका दूधिया रंग,हिरन जैसी बड़ी - बड़ी आंखों के बीच हल्की छोटी नाक। पतले लाल सुर्ख होंठ। सुराहीदार गर्दन के नीचे कंधे और आकर्षक वक्ष। पतली कमर तक उसके लंबे बाल कुल मिलाकर वह तराशी हुई कोई अद्भुत व अलौकिक प्रतिमा लगती थी।उसके चेहरे की हँसी किसी को भी घायल कर सकती थी!
उसके दिल को बहकाने के लिया काफी थे कि बड़ी बड़ी आँखें कर अनुष्का फिर से बोली "एक्सक्यूज़ मी ,रश्मी जी कहां मिलेगी ?" उस दिन अनुष्का पहली बार बुआ से मिलने कॉलेज आई थी, राजेश के मुहं से सिर्फ "जी" निकला उसका ध्यान सवाल पर केंद्रित नहीं था, वो तो एक टक उस सौंदर्य से परिपूर्ण यौवना को देखे जा रहा था जो एक ताजा हवा के झौंके की भांति उसे अंदर से गुदगुद्दा रही थी!
अनुष्का ने फिर अपना सवाल दोहराया मगर इस बार दूसरे ढंग से ,'जी मैं आपसे पूछ रही हूँ रश्मी जी जो यहां प्रोफ़ेसर हैं वो कहां मिलेगी ?"
राजेश को झटका सा लगा झेंपते हुए वो कुछ परेशान अवस्था में अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ और अनुष्का के चेहरे से नजर हटा कर इधर उधर देखने लगा और उत्तर दिया "जी अभी बताता हूं " अपनी टेबल से चपरासी को जो फाइल इधर उधर दे रहा था अपनी ओर आने का इशारा किया और पूछा 'रश्मी जी कहां हैं स्टाफ रूम में दिखाई नहीं दे रही "
बदले में उतर मिला 'मैडम बाहर गयी हैं अभी अभी केन्टीन की तरफ जाते हुए देखा कुछ और लोग भी साथ में थे" चपरासी ने जवाब दिया
अनुष्का चपऱासी का जवाब सुन बेसब्र हो गयी और मुहं से 'ओह्ह" निकला , राजेश फिर अनुष्का को देखने लगा इस बार वो उसे कुछ परेशान लगी और वो परेशानी उसके चेहरे के नूर को कुछ फीका कर रही थी , राजेश ने अनुष्का को सहज करने के लिए इतना ही कहा "आप बैठिये प्लीज़ वो कुछ ही देर में आ जाएंगी" अनुष्का कुछ न कहते हुए हलकी फीकी सी मुस्कान भरते हुए पास रखी कुर्सी पर बैठ गयी |
राजेश ने फिर से अपनी किताबो की और रुख किया मगर अब दिल काम में कहां लगने वाला था, दिल में तो अजीब सी हलचल हो रही थी ,जो पहले कभी नहीं हुई और ये पल उसे जिंदगी के सबसे हसीन पल लग रहे थे जैसे कोई सुनहरा ख्वाब हकीकत का रूप ले रहा हो | दर्द उँगलियों के बीच जरूर था मगर लिखने की कोशिश भी नाकाम लग रही थी, इस बार उसने चोरी से अनुष्का को देखा और डर भी रहा था कहीं वो उसे इस तरह देखते हुए देख न ले, वो बला की सुन्दर थी बेहद आकर्षक कि जैसे ईश्वर ने उसे बनाते वक्त भूल से भी कोई भूल न की हो |
"जाइयेगा नही कहानी अभी अधूरी है!
कहानियो का सफर जारी रहेगा मिलते है अगली क़िस्त मे
आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा,कृपया अपना कीमती समय देकर बताने का कष्ट करें कहानी कैसी लगी! कुछ गलतिया रह गयी हो तो बताने का कष्ट करें!

-:लेखक:-
जयसिंह नारेङा

https://jsnaredavoice.blogspot.in/2017/03/1.html?m=1

Tuesday, March 7, 2017

:-मेरी चुनिंदा शायरियां-:

जमाने से नही तन्हाई से डरता हूँ
प्यार से नही रुसवाई से डरता हूँ
मिलने की उमंग तो बहुत होती है,
लेकिन मिलने के बाद भी तेरी जुदाई से डरता हूँ!

दिल का रिश्ता है हमारा
दिल के कोने में नाम है तुम्हारा,
हर याद में चेहरा है तुम्हारा,
हम साथ नही तो क्या हुआ,
जीवन भर साथ निभाने वादा है हमारा

चाँद की रातों में सारा जंहा सोता है,
किसी की यादो में कोई बदनसीब रोता है,
खुदा किसी को मोहब्बत पर फ़िदा ना करे,
अगर करे तो फिर किसी को जुदा ना करे!!

दिल जब टूटता है तो आवाज नही आती,
हर किसी को दोस्ती रास नही आती,
ये तो अपने नसीब की बात है यारो,
कोई कोई भूलता है किसी को किसी याद नही आती!

होठो की बात आंसू कहते है,
चुप रहते है फिर भी बहते है,
आंसुओ की किस्मत तो देखिये,
ये उनके लिए बहते है जो दिल में रहते है!

मोहब्बत में भी कुछ राज होते है,
जागती आँखों में भी कुछ ख्बाव होते है,
जरुरी नही गम में ही आंसू आये,
मुस्कराती आँखों में सैलाब होता है!

ए-खुदा तेरी खुदाई की हम धाक देते है,
उसे खुश रखना जिसे हम दिल से प्यार करते है,

उनका भी हम दीदार करते है,
उनको भी हम दिल से याद करते है,
करे हम जब उनको हमारी जरूरत नही थी,
फिर भी हम उनको हर पल याद करते है!

तेरे इंतजार में कब से उदास बैठे है,
तेरे दीदार में आँखे बिछाए बैठे है,
तू एक नजर हमको देख ले बस,
यही इंतजार में बेक़रार बैठे है!

लेखक
जयसिंह नारेड़ा

मीना गीत संस्कृति छलावा या व्यापार

#मीणा_गीत_संस्कृति_छलावा_या_व्यापार दरअसल आजकल मीना गीत को संस्कृति का नाम दिया जाने लगा है इसी संस्कृति को गीतों का व्यापार भी कहा जा सकता ...