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बेटी पढ़ाओ बेटी पढ़ाओ

खंडवा कलेक्टर -
दशहरे के अवसर पर खंडवा कलेक्टर श्रीमती स्वाति मीणा जी .......

हमे गर्व है की हमारे समाज की बहन बेटिया आगे बढ़ रही है और इससे हमारे समाज का नाम रोशन हो रहा है!
एक जमाना था जब बहन बेटियों को सिर्फ पैर की जूती समझा जाता था उन्हें पढाई से वंचित रखा जाता था!
हमारा समाज पुरुष प्रधान रहा है जहाँ बेटे की पढाई के लिए जमीन जायदाद तक बेच दी जाती है!जबकि बेटियों के लिए सुविधा ना के बराबर दी जाती थी!
बेटे को जहा अच्छे प्राइवेट स्कूल में रखा जाता वही बेटी को सरकारी स्कूल में रखा जाता है यहां तक की आज भी कुछ बहन बेटियों के साथ भी यही हाल होता है!
जहाँ आज समाज का एक नारी-वर्ग शिक्षित होकर समाज में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है, परन्तु वहाँ एक वर्ग ऐसा भी देखने को मिलता है जो आज भी अशिक्षा के दायरे में सिमट कर मूक जीवन व्यतीत कर रहा है ,और सवाल यह उठता है कि उनकी स्थिति में कितना सुधार हो रहा है ? हम प्रत्येक वर्ष महिला-दिवस बहुत धूमधाम और खुशी से मनाते हैं पर उस नारी-वर्ग की खुशियों का क्या जो अशिक्षा के कारण अपने मानवीय अधिकारों से वंचित महिला-दिवस के दिन भी गरल के आँसू पीती है l ऐसे समाज में पुरुष स्वयं को शिक्षित ,सुयोग्य एवं समुन्नत बनाकर नारी को अशिक्षित,योग्य एवं परतंत्र रखना चाहता है l शिक्षा के अभाव में भारतीय नारी असभ्य,अदक्ष अयोग्य,एवं अप्रगतिशील बन जाती है l वह आत्मबोध से वंचित आजीवन बंदिनी की तरह घर में बन्द रहती हुई चूल्हे-चौके तक सीमित रहकर पुरुषों की संकीर्णता का दण्ड भोगती हुई मिटती चली जाती है l पुरुष नारी को अशिक्षित रखकर उसके अधिकार तथा अस्तित्व का बोध नहीं होने देना चाहता l वह नारी को अच्छी शिक्षा देने के स्थान पर उसे घरेलू काम-काज में ही दक्ष कर देना ही पर्याप्त समझता है
अशिक्षा के कारण एक गृहिणी होते हुए भी सही अर्थों में गृहिणी सिद्ध नहीं हो पाती है l बच्चों के लालन-पालन से लेकर घर की साज-संभाल तक किसी काम में भी कुशल न होने से उस सुख-सुविधा को जन्म नहीं दे पाती जिसकी घर में उपेक्षा की जाती है l
अशिक्षा के कारण नारी का बौद्धिक एवं नैतिक विकास भी उचित रूप से नहीं हो पाता l आमतौर पर घर-परिवार में यही मान्यता बनी रहती है कि नारी को घर का काम-काज ही देखना होता है,तो उसे शिक्षा की क्या आवश्यकता है ? परिवार का मानस एक ऐसी रूढ़िवादिता से ग्रसित हो जाता है,जिसमें नारी को न तो पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है तथा न उसे वैसी सुविधा प्रदान की जाती है l अशिक्षा का शिकार नारी अनेकानेक पूर्वाग्रहों ,अन्धविश्वासों ,रूढ़ियों ,कुसंस्कारों से ग्रस्त होकर अपने अधिकारों से वंचित हो जाती है l अगर नारी शिक्षित होकर एक कुशल इंजीनियर, लेखिका,वकील,ड़ॉक्टर भी बन जाती है , तो भी कई बार पति व समाज द्वारा ईष्यावश उसका शैक्षणिक शोषण किया जाता है l परिणामस्वरूप नारी को शिक्षित होते हुए भी पति का अविश्वास झेलकर आर्थिक, मानसिक व दैहिक रूप से उत्पीड़ित होना पड़ता है l
आमतौर पर घर-परिवार में यही मान्यता बनी रहती है कि नारी को घर का काम-काज ही देखना होता है,तो उसे शिक्षा की क्या आवश्यकता है ? परिवार का मानस एक ऐसी रूढ़िवादिता से ग्रसित हो जाता है,जिसमें नारी को न तो पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है तथा न उसे वैसी सुविधा प्रदान की जाती है l अशिक्षा का शिकार नारी अनेकानेक पूर्वाग्रहों ,अन्धविश्वासों ,रूढ़ियों ,कुसंस्कारों से ग्रस्त होकर अपने अधिकारों से वंचित हो जाती है l अगर नारी शिक्षित होकर एक कुशल इंजीनियर, लेखिका,वकील,ड़ॉक्टर भी बन जाती है , तो भी कई बार पति व समाज द्वारा ईष्यावश उसका शैक्षणिक शोषण किया जाता है l परिणामस्वरूप नारी को शिक्षित होते हुए भी पति का अविश्वास झेलकर आर्थिक, मानसिक व दैहिक रूप से उत्पीड़ित होना पड़ता है l
आज भी समाज में किसी न किसी रूप में नारी का शैक्षणिक स्तर पर शोषण किया जा रहा है l महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार और छेड़छाड़ ,घरों ,सड़कों,बगीचों,कार्यालयों सभी स्थानों पर देखा जा सकता है lबलात्कार,दहेज उत्पीड़न,हत्या आदि के जो मामले प्रकाश में आते हैं,उनमें से अधिकांश सबूतों के अभाव से टूट जाते हैं l बाल-विवाह की त्रासदी अनेक कन्याएं भोग रही हैं जो चाहे इन सभी का कारण नारी को अशिक्षित बनाकर उसे उसके मानवीय अधिकारों से वंचित करना है l वास्तविकता यह है कि एक शिक्षित नारी ही अपने परिवार की अशिक्षित नारियों को पढ़ाकर अपने अर्जित ज्ञान व विकसित क्षमता का लाभ पूरे परिवार को दे सकती है!
यदि नारी शिक्षित होगी तो वह अपने परिवार की व्यवस्था ज्यादा अच्छी तरह से चला सकेगी l एक अशिक्षित नारी न तो स्वयं का विकास कर सकती है और न ही परिवार के विकास में सहयोग दे सकती है l शैक्षणिक स्तर पर कन्या शिक्षा की सदैव से ही उपेक्षा की जाती रही है व उसे केवल घरेलू कामकाजों को सीखने तथा पुत्र-सन्तान को जन्म देने के सन्दर्भ में ही प्रकाशित किया जाता है l इसलिए नारी सबसे पहले पूर्णता शिक्षित हो तभी वह शोषण व अत्याचारों के चक्रव्यूह से निकल कर मानवी का जीवन व्यतीत कर सकेगी l
इसलिए नारी शिक्षा पर अधिक से अधिक बल दिया जाना आवश्यक है!बहन बेटियों से उनके शिक्षा का अधिकार नही छिना जाना चाहिए ताकि वे आगे बढ़ने में सक्षम हो अपने निर्णय अथवा फैसले खुद लेने के काबिल बने!
बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ
लेखक:-जयसिंह नारेडा

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