नारेड़ा गोत्र या गांव टोड़ी खोहर्रा(अजितखेड़ा) का इतिहास
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बड़े बुजुर्गो के अनुसार टोड़ी खोहर्रा के लोग कुम्भलगढ़ में रहते रहते थे ये वही के निवासी थे! इनका गोत्र सिसोदिया था और मीनाओ का बहुत बड़ा शासन हुआ करता था! राजा का नाम मुझे याद नही है किसी कारणवस दुश्मन राजा ने अज्ञात समय(बिना सुचना) के रात में आक्रमण कर दिया!
ये उस युद्ध को तो जीत गए लेकिन आदमी बहुत कम रह गए उस राजा ने दूसरा आक्रमण किया तो इनके पास उसकी सेना से मुकाबला करने लायक बल या सेना नही थी और हार झेलनी पड़ी!
इन्होंने उस राजा की गुलामी नही करने का फैसला किया और कुम्भलगढ़ को छोड़ कर सांगानेर(जयपुर) में आ बसे
और यही अपना जीवन यापन करने लगे यंहा के राजा ने इनको राज पाट के महत्व पूर्ण काम सोपे
इनको इनसे कर भी नही लिया जाता था राजा सारे महत्वपूर्ण काम इन मीनाओ की सलाह से ही करता था
नए राजा भारमल मीनाओ को बिलकुल भी पसन्द नही करता था और उन पर अत्याचार करता रहता था!
एक बार दीवाली के आस-पास जब मीणा पित्रों को पानी दे रहे थे तब उन निहत्तो पर अचानक वार कर दिया!
जिसमे बहुत लोग मारे गए भारमल ने अपनी बेटी अकबर को दे दी इस से अकबर भी उसका साथ देने लग गया!
ये कमजोर हो गए थे वँहा पर अन्य मीणा भी रहा करते थे और जिन मीनाओ ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली वे वही रहे और बाकि पलायन कर गए
सिसोदिया गोत्र के मीणा जो कुम्भलगढ़ से आये थे उन्होंने भी गुलामी स्वीकार नही की और टोड़ी खोहरा गांव में आकर बस गए
टोड़ी खोहरा गांव में जंहा आ कर वे बसे उस जगह को आज भी सांगानेर नाम से जाना जाता है
इस गांव में धाकडो का राज हुआ करता था और इन मीनाओ की संख्या लगभग 20-30 ही थी
ये भी अपना जीवन यापन करने लग गए!
एक दिन एक धाकडो का लड़का भैस को पानी पिलाने ले जा रहा था की भैस उसके हाथ से छुड़ा कर भाग गयी
पास में खेतो में काम कर रही मीनाओ की लड़की से कहता ह "छोरी या भैस कु रोक ज्यो" तो मीनाओ की छोरी ने जैसे साकल पर पैर रखा भैस गिर पड़ी अब तो धाकड़ उस लड़की पर फ़िदा हो गया था
उसके माँ बाप से जाकर कही की शादी करू तो उसी लड़की से करू वरना नही
राज धाकडो का था रिश्ता लेकर मीनाओ के पास आ गए मीनाओ ने एक शर्त रखते हुए रिश्ता स्वीकार किया की बारात में सभी बच्चे बूढ़े सब आने चाहिए घर एक भी आदमी या औरत नही रहनी नही चाहिए तो हम रिश्ता स्वीकार करते है
अब शादी की तारीख फिक्स हो गयी और बारात के दिन पुरे खाने में झहर मिला दिया
धाकड़ शर्त के अनुसार सभी आ गए सबको आते ही पहले भोजन पर बैठा दिया खाना खिलाते ही सबको काट काट कर कुए में डाल दिया आज भी उस कुए में से लाल मिटटी निकलती है
एक धाकडो की लेडीज बची थी जिसके पेट में बच्चा था उसने पैरो में पड़ कर दया की भीख मांगी तो उसे छोड़ दिया औरत ने कहा की यदि लड़की होगी तो तुमसे ही व्याह कर देगी और लड़का हुआ तो तुम्हारी जूती गाँठ कर खा लेगा संयोग से लड़का ही हुआ जिसका अभी भी वन्स चल रहा ह
मीनाओ की एक देवी हुआ करती थी हासिल माता जंहा ये रहते थे उसके पास ही एक छोटी सी डुंगरी थी उस पर उसको बिराजमान कर रखा था
देवी के पहले आदमी की बली चढ़ती थी तो एक बार ये नाहर खोहरा पडोसी गांव से एक लड़के को उठा लाये बली के लिए इस बात की खबर नाहर खोहर्रा के लोगो को हो गयी नाहर खोहरा के लोगो ने आस पास के गाँवो सहित चढाई कर दी!
अब टोड़ी खोहर्रा के मीणा देवी से कहने लगे देवी आज बचाये तो बचा नही तो आज तो मारे जायेंगे
उन्होंने बच्चे को ढकोला के निचे दबा दिया इतनी देर में नाहर खोहरा के लोग आ गए और जैसे ही ढकोला हटाया तो बकरे का बच्चा निकल तब से ही नाहर खोहरा में और टोड़ी खोहरा में भाई बन्धी है आपस में एक दूसरे गांव में शादी नही होती ना ही एक दूसरे गोत्र की लड़की लाते
और उसी दिन से देवी के बकरे की बली चढ़ने लगी
नोट:-वर्तमान में बली की व्यवस्था पूरी तरह बन्द है
इसी तरह जीवन जीते रहे पहले की महिलाये जल्दी जाग कर चाखी पर चुन पिसती थी ! बड़े बुजुर्ग कोउ(आग) जला कर बैठे रहते थे!
इसी तरह एकदिन एक महिला रोज की तरह अपने बच्चे को अपने ससुर को देकर चुन पिसती थी और ससुर बच्चे को कोउ पर लेकर बैठे रहता कोउ पर बहुत लोग इक्ट्ठा हो जाते थे
एक दिन महिला अपने बच्चे को ससुर को देने आई तो ससुर की जगह नाहर(शेर) आ गया महिला ने ससुर समझ कर नाहर को बच्चा दे दिया क्योकि पहले घूँघट गहरा होता था तो आर पार नही दीखता था और देकर चुन पीसने चली गई
अब ससुर बहु से कहने लगा की आज नाराज है क्या जो बच्चा नही दिया उसके बेटे से पूछने लगा क्या हुआ आज बच्चा नही दिया
इस पर महिला कहती ह मैंने तो दिया है बात बढ़ गयी बच्चे को ढूढने लगे पुरे गांव में ढूंढा पर नही मिला । बच्चे का नाम रतन था जो बाद में नाहरसिंह बाबा का उपासक बन गया।।
एक बुजुर्ग ने जब वो नाहर के निशान देखे तो कहा बच्चे को तो नाहर ले गया उन्होंने काफी जंगल में ढूंढा पर फिर भी नही मिला
दूसरे दिन एक छिराडे(बकरी चराने वाला) को बच्चा नाहर के ऊपर खेलता मिला जंगल में उसने ये बात घर आ कर बताई तो गांव के बड़े बुजुर्गो के अनुसार पुआ,खीर और बकरा लेकर गाजा बाजा के साथ गए और लगभग नाहर से 50-100 मीटर दूर रुक गए और महिला से कहने लगे तू जा और कह की महाराज तेरी भेट पूजा तो ये ले और मेरा बेटा वापस कर दे महिला डरती हुई चली गयी और जाते ही कहा की महाराज आपकी भेट पूजा ये लो और मेरा बेटा वापस कर दो
नाहर ने बेटे को वापस दे दिया और जो पुआ और खीर आदि पकवान थे उनमे से 8 पुए उठा लिए उसी दिन नवमी और रविवार था !तब से ही रविवार को पूजा होती है और अठवाइ यानि 8 पुए से पूजा होती है महिला ने बच्चे को लेकर आई और सभी चलने लगे तो जैसे पीछे मुड कर देखा वंहा नाहर की मूर्ति थी नाहर गायब था आज भी मन्दिर उसी जगह है और उस दिन से ही अपना गोत्र बदल नारेड़ा रख लिया एक बार करीरी गांव पर जो की गुर्जरो का था उस पर आस पास के गाँवों ने चढाई कर दी थी करीरी का साथ देने के लिए टोड़ी खोहरा गांव गया था और करीरी को बचाया और करीरी को बचाने के कारन मीनाओ की महापंचायत हुई और टोड़ी खोहरा गांव को 12 वर्ष तक जात बाहर कर दिया 12 वर्ष बाद दुबारा पंचायत हुई और ये शर्त रखी की यदि टोड़ी खोहरा गाँव निसुरा गांव के गढ़ को जीत आये तो हम इन्हें जाती में ले लेंगे!निसुरा का गढ़ को कोई जीत नही पाया था राजपूत और गुर्जरो का गांव था
टोड़ी खोहरा गांव ने निसुरा पर चढाई कर दी और गढ़ को तोड़ दिया जैसे तोड़ कर आ रहे तो रस्ते में रोसी के गढ़ को तोडा अब ये बड़े खुस हो कर आ रहे थे टोलियों में बट कर खुसी से आ रहे थे की भंडारी गांव जो की राजपूतो का था उसने धोखे से बहुत लोगो को मार दिया इस बात का पता पीछे आ रहे लोगो को चला तो वे एक साथ आये और भंडारी को तोडा लेकिन लगभग आधे से ज्यादा व्यक्ति मर चुके थे सबको उठा कर लाये और जलाया
और पंचायत ने टोड़ी खोहरा गांव को अजितखेड़ा नाम दिया
अजितखेड़ा मतलब जिसे कोई नही जीत सका हो और जाती में ले लिया टोड़ी खोहरा गांव में जो गढ़ है वह मीणा का ही है अब राजपूतो ने हथिया लिया है
मीनाओ का जो लीडर था जिसका नाम दयाराम था उस से एक महिला कहती है की सबको तो खा गया निसुरा ले जाकर और अब यंहा नेतो बनतो डोले
उस से इतनी बात सहन नही हुई और बैठा बैठा ही खत्म हो गया
नारेड़ाओ के गाँवो से रिश्ते या टोड़ी खोहरा गांव का अन्य गाँवो से रिश्ते
1-नाहर खोहरा-भाई 6-राजोर-भाई
2-मान्नोज-भाई।
3-एदल पुर-भांजा
4-लाडपुर-भांजा
5-कैमा -भांजा
ज्यादा मुझे जानकारी नही है अतः क्षमा चाहता हु
ये सम्पूर्ण जानकारी बड़े बुजुर्गो के अनुसार है!
नारेड़ा गोत्र का यही संक्षिप्त इतिहास है
धन्यवाद
लेखक:- जयसिंह नारेड़ा
बहुत सुंदर
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