किसान कर्ज की प्रवृति रोकनी चाहिए ....हां बिलकुल रोकनी चाहिए इस से आदत लग गई है और किसान बिगड़ गए है। उन्हे लोन लेने की आदत पड़ चुकी है और इस प्रवृति के आदि हो चुके है। बिलकुल अब इस पर विराम लगना ही चाहिए।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है जिस किसान परिवार से आप निकल कर आगे बढ़े हो सुना है आपकी माताजी ने भी जेवर गिरवी रख कर आपको बीकानेर पढ़ने के लिए भेजा था क्योंकि उनके हालात ऐसे नही थे की आपको उच्च शिक्षा दे सके....।।
ठीक ऐसे ही हालात हर किसान के होते है साहब कल तक आप किसानों की आवाज हुआ करते थे किसानों के हक के लिए आंदोलन किया करते थे कर्जमाफी के लिए धरना प्रदर्शन किया करते थे.....यानी वो सिर्फ छलावा मात्र था ।
यानी आपने भी सिद्ध कर दिया की सत्ता में आते ही आप उन सब परस्तिथियो को भूल गए जिन परस्तिथियों के लिए सड़कों पर उतरा करते थे।
हर किसान के पास इतने पैसे नही होते है की अपने बच्चो को उच्चतम शिक्षा दे सके उन्हें बेहतर शिक्षा के लिए बाहर भेज सके...अरे किसान की बेटी की तो शादी भी साहब कर्जे से होती है वो कर्जा ले कर अपनी बच्ची को अच्छे घर में रिश्ता करना चाहता है हर वो खुशी देना चाहता है जो उसकी बेटी के लिए जरूरत है ताकि कल को कोई ये ना कहे की बाप ने बेटी को कुछ नही दिया। अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा देकर आपकी ही तरह डॉक्टर बनाना चाहता है इंजिनियर बनाना चाहता है।
खेतो में पानी के अभाव में आपसे रोज निवेदन करते है ERCP ले आओ सत्ता में आने से पूर्व आप कहते थे डबल इंजन की सरकार आने दो इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाएंगे और लाभ दिलाएंगे लेकिन लाभ तो छोड़ो आप तो किसानों के कर्ज लेने को उनकी आदत बताने लग गए।
ये कर्ज लेने की आदत नही है साहब ये मजबूरी है कोई नही चाहता अपनी जमीन को गिरवी रख कर कर्ज ले लेकिन हालात ऐसा करने पर मजबूर कर देते है।एक किसान अपने परिवार के पालन पोषण उनकी मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने के लिए कर्ज ले ही लेता है। कर्ज भी चुकाता है और नही चुका पाता है तो ये बैंक वाले भी कम नहीं है उस जमीन को नीलाम कर देते है ये कोई नही चाहता की उसकी जमीन उसके जीते जी नीलाम हो और एक दिन किसान आत्महत्या कर लेता है।
साहब किसान फसल को अपने बच्चे की तरह पालता है हर कीट पतंगों से उसे बचाता है कभी सर्दी,धूप,छांव और गर्मी को नही देखता है जिस माइनस डिग्री में लोग घरों से निकलने में कतराते है उस ठंड में वो खेतो में पानी दे रहा होता है क्योंकि आपकी सरकार बिजली भी तो टाइम पर नही देती है । पूरी पूरी रात जाग कर खेतो की रखवाली करता है और बरसात के कारण फसल नष्ट हो जाए तो दुख होता है साहब बहुत दुख होता है उस फसल से जिस कर्जे की आप बात कर रहे हो उसे चुकाने का सपना देखता है सोचता है की कर्जे को चुकाने के बाद कुछ बचेगा तो अपने परिवार के लिए कुछ अच्छा करेगा बच्चो को कपड़े दिलाएगा ,बेटी को बेस करेगा,भात भरेगा ऐसे न जाने कितने ही सपनो को लेकर जीता है।
आप लोगो को दिक्कत अडानी अंबानी को कर्ज देने में दिक्कत नही होती क्योंकि वे पैसे वाले है नीरव मोदी,विजय माल्या जैसे लोग करोड़ों रुपयों को लेकर भाग जाए उस से आपको और आपकी सरकार को फर्क नही पड़ता लेकिन किसान लाख पचास हजार का लोन ले ले और चुका नही पाए तो नीलामी पर उतर जाते है और आप जैसे मंत्री उसे आदत कह देते है। बहुत फर्क होता है सत्ता और विपक्ष का ये आपने सिद्ध कर दिया । ये कुर्सी सारे दर्द को भुला देती है जो दर्द आप सड़को पर चल कर दिखाया करते थे।
धन्यवाद साहब इस प्रवृति को जल्द से जल्द बंद कीजिए ऐसे महान कार्य अपने कर कमलों से करके जाइए ताकि हम गर्व से कह सके की किसान परिवार से निकल कर मंत्री बने और किसानों को लिए ये तोहफा दिया है।
जयसिंह नारेड़ा
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