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Showing posts from 2023

बीमार मानसिकता

बीमार मानसिकता # सामाजिक मंच # • बीमार मानसिकता * ' "चुन्नी में चुन्नी में परफ्यूम लगावे चुन्नी में...." मीना गीत के साथ हाथ हिलाते हुए एक भाभीजी स्टेज पर आती है और अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन करने लगती है इतने में ही स्टेज के दूसरे छोर खड़े लोग साथ में नाचने लगते है ऐसा लगता है जैसे मानो नृत्यांगना का साथ देने के लिए ही भिड़ जुटाई गई जिससे उसका हौसला बुलंदियों के आसमान को छू सके। सामाजिक मंच परिसर का वातावरण पूरी तरह आनंद की भावना से सराबोर हो गया। तभी“चीज ब्रांड मीणा च”युवा नेता ने अपने साउंड वाले को यह निर्देश दिया। “ जी भाई साहब।”साउंड वाले ने लं ... बा ... सलाम ठोका। गाना बदल दिया और फिर सभी उस गाने पर अपनी कला का प्रदर्शन करने लगे । सुनो ... भेद-भाव किए बिना, सभी आगंतुकों को एक समान समोसा जलेबी मिलनी चाहिए। ध्यान से कोई छूटे नहीं। "  मंच संचालक आदेशात्मक स्वर में छोटे कार्यकर्ता से कहा। “ ठीक है भाई साहब । ” आदेशानुसार, कार्यकर्ता उसी प्रांगण के सभी लोगो को ... तत्परता से जलेबी समोसे की नाश्ता बांटने में व्यस्त हो गया। मिलन समारोह का कार्यक्रम में ...

नौकरी

# नौकरी अच्छा नौकरी शब्द सभी को अच्छा लगता है आखिर अच्छा लगे भी क्यों नही ? ये एक परिवार,दोस्त और अपनो को खुशियां देने वाला शब्द है वही जिसे नौकरी मिली है उसकी जीवन के सपनो को साकार करने वाला शब्द है..!! हर कोई नोकरी के लिए कठोर मेहनत करता है चाहे वो प्राइवेट नोकरी हो या सरकारी लेकिन ये दोनो ही हर किसी के नसीब में नहीं होती है। नोकरी के लिए जितनी मेहनत करते है उतनी ही कम लगती है क्योंकि कंपीटीशन उतना ही ज्यादा हो गया है कई बार दरवाजे पर दस्तक देकर वापस चली जाती है तो कई बार बिना मेहनत के भी मिल जाती है। खैर दोनो के अपनी मेहनत और लग्न छुपी हुई होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है जो व्यक्ति नोकरी करता है क्या वो अपनी नोकरी के पूर्ण रूप से खुश है शायद नही..... देखिए नोकरी चाहे कैसी भी हो परिवार से जुदा करवा देती है तुम्हे परिवार से अलग रहने को मजबूर कर देती है परिवार के साथ 2 वक्त का समय निकालने के लिए तरसना पड़ता है..!! ऐसा जरूरी नहीं सभी के लिए हो किसी की नौकरी परिवार के साथ रहते हुए भी पूरी होती लेकिन वे कुछ प्रतिशत ही है अधिकतर लोग अपने परिवार को किश्तो में ही टाइम दे पाते है। ...

राजपूतो ने मुगलों को अपनी बेटी दे कर बचाए थे राज्य

क्षत्रिय(राजपूत) जो अपने गौरवशाली इतिहास की बात करते है उनके इतिहास पर थोड़ी नजर डाल लिया जाए जो अकबर का इतिहास मिटाने की बात करते है उन्होंने अपनी बेटियां दे कर अपना साम्राज्य बचाया था ।। 1- जनवरी 1562, अकबर ने राजा भारमल की बेटी से शादी की. (कछवाहा-अंबेर) 2-15 नवंबर 1570, राय कल्याण सिंह ने अपनी भतीजी का विवाह अकबर से किया (राठौर-बीकानेर) 3- 1570, मालदेव ने अपनी पुत्री रुक्मावती का अकबर से विवाह किया. (राठौर-जोधपुर) 4- 1573, नगरकोट के राजा जयचंद की पुत्री से अकबर का विवाह (नगरकोट) 5-मार्च 1577, डूंगरपुर के रावल की बेटी से अकबर का विवाह (गहलोत-डूंगरपुर) 6-1581, केशवदास ने अपनी पुत्री का विवाह अकबर से किया (राठौर-मोरता) 7-16 फरवरी, 1584, राजकुमार सलीम (जहांगीर) का भगवंत दास की बेटी से विवाह (कछवाहा-आंबेर) 8-1587, राजकुमार सलीम (जहांगीर) का जोधपुर के मोटा राजा की बेटी से विवाह (राठौर-जोधपुर) 9-2 अक्टूबर 1595, रायमल की बेटी से दानियाल का विवाह (राठौर-जोधपुर) 10- 28 मई 1608, जहांगीर ने राजा जगत सिंह की बेटी से विवाह किया (कछवाहा-आंबेर) 11-पहली फरवरी, 1609, जहांगीर ने राम चंद्र बुंदेला की ...

कला या चमत्कार

कला या चमत्कार अच्छा आप लोगो ने जीवन में कही न कही हाथ देख कर भविष्य बताने वाले तो अवश्य देखे होंगे । वे 10 मिनट में हाथ देख कर भविष्य बता देते है ये उनकी कला है और इसे चमत्कार समझ लेना ही मंदबुद्धिता को दर्शाता है || सबसे अच्छा सेल्समैन आपने ट्रेन / बस में देखा होगा जिन्हे कोई ट्रेनिंग नही देता वे आपको 10 मिनट में इतना कुछ बता देते है की आप मन एक बार तो करता ही है की ये चीज ले लेनी चाहिए  उनकी एक खास बात आपने नोटिस की तो वे चेन को घिस कर बताते है की इसका कलर नही जाता वही उसे पता होता है कि उसकी चेन नही बिकेगा या ये व्यक्ति नही लेगा फिर भी सबको चेक करवाते है ये उनकी एक कला है। कला का उदाहरण तो आप बीमा वाले से भी ले सकते है जीने से ज्यादा मरने के फायदे बता देते है ये भी उनकी कला है को वे अपनी सर्विस को कैसे बेचते है ?? गांवो में जादू के खेल दिखाने वाले मदारी तो बहुत देखे होंगे वे लड़के को गायब करके सांप बना देते है तो कभी रेडियो टीवी तक निकाल देते है वो उसकी कला है हम समझ नही पाते और उसे जादू समझ बैठते है जबकि वो अपनी कला का चालाकी से  प्रदर्शन करता है।  अच्छा थोड़े दिन पह...

बस का सफर

आज ऑफिस से घर जाने के लिए देर हो रही थी इसलिए मैं जल्दी-जल्दी ऑफिस से घर के लिए निकल पड़ा. मेरा ऑफिस घर से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित है और मुझे वहाँ पहुचनें के लिए उत्तम नगर से रोज बस पकड़नी पड़ती है. आज में बस स्टॉप पर थोड़ा देर से पहुँचा था और मेरी निगाह 817 नंबर वाली बस जा चुकी थी. कुछ ही पल में एक बस आई और मैं उसमें चढ़ गया. आज बस में काफी ज्यादा भीड़ थी. बड़ी मुश्किल से मुझे बैठने के लिए थोड़ी सी जगह मिल पाई. बस रवाना हो चुकी थी और मैं अपने कान में लीड लगाकर गाने सुनने का मन करने लगा फिर भीड़ को देख कर मोबाइल निकालने की हिम्मत नही हुई क्योंकि मोबाइल चोरी के किस्से मैने बहुत सुन रखे थे.!! यहां कब मोबाइल,पर्स और पैसे गायब हो जाए पता नही लगता इस क्षेत्र में चोर बहुत ज्यादा है। इसलिए मोबाइल जेब पड़े रहने देना ही मैने ठीक समझा ।। मेरे मन में तरह-तरह के विचारों ने उथल पुथल मचाना शुरू कर दिया. बस और रेल का सफर करनें पर असली भारत के दर्शन होते हैं, यहीं पर ही भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक स्थिति का वास्तविक पता चल पाता है. इनमें ही अमीर-गरीब, छोटा-बड़ा, हिन्दू-मुस्लिम आदि सभी ध...

अच्छा हम इतने फ्री है

अच्छा हम इतने फ्री है आपको नही लगता की हम अब इतने फ्री हो चुके है की फेसबुक पर सारे दिन बकचोदी कर लेते है,बहस भी उन मुद्दों पर कर लेते है जिनकी हमे जानकारी तक नही होती है, कई बार तो मैं तो सोचता हु यदि फेसबुक नही होती तो इतने विद्वान ,विदुषी अथवा स्याने लोगो से डिजिटल मुलाकात कैसे होती ?? हम आजकल क्रिकेट पर ज्ञान बांटने लगते है तो कभी हम देश की अर्थव्यवस्था को फेसबुक पर पोस्ट डालकर चांद पर ले जाते है । वही दूसरी और देखा जाए तो चंद लोगो को केवल हिंदू मुसलमान करने के लिए छोड़ रखा है।  खैर छोड़ो कुछ लोगो को देखकर ऐसा लगता है मानो जैसे किसी पार्टी अथवा नेता ने भाड़े पर रखा हुआ है वे तो मानो जैसे पालतू जानवर की तरह अपने मालिक के हुकम का इंतजार करते है और उन्ही कहे अनुसार अपने कदम उठाते है। आजकल फेसबुक पर देखो तो सबको एक ही काम नजर आता है वो है #HD 🤣 वाह नाम सुन कर वस वही पहुंच गए होंगे ख्यालों में पहुचोगे क्यों नही जब सारे दिन यही देखते और लिखते रहते हो।  इनमे से आधे तो केवल चंद लाइक कमेंट के लिए डालते है और पुरानी वीडियो को ही उल्ट फेर करते रहते है खैर हम क्या लेना देना है ? हम त...