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बीमार मानसिकता

बीमार मानसिकता
# सामाजिक मंच #
• बीमार मानसिकता *
' "चुन्नी में चुन्नी में परफ्यूम लगावे चुन्नी में...."
मीना गीत के साथ हाथ हिलाते हुए एक भाभीजी स्टेज पर आती है और अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन करने लगती है इतने में ही स्टेज के दूसरे छोर खड़े लोग साथ में नाचने लगते है ऐसा लगता है जैसे मानो नृत्यांगना का साथ देने के लिए ही भिड़ जुटाई गई जिससे उसका हौसला बुलंदियों के आसमान को छू सके।

सामाजिक मंच परिसर का वातावरण पूरी तरह आनंद की भावना से सराबोर हो गया। तभी“चीज ब्रांड मीणा च”युवा नेता ने अपने साउंड वाले को यह निर्देश दिया।
“ जी भाई साहब।”साउंड वाले ने लं ... बा ... सलाम ठोका।
गाना बदल दिया और फिर सभी उस गाने पर अपनी कला का प्रदर्शन करने लगे ।

सुनो ... भेद-भाव किए बिना, सभी आगंतुकों को एक समान
समोसा जलेबी मिलनी चाहिए। ध्यान से कोई छूटे नहीं। "  मंच संचालक
आदेशात्मक स्वर में छोटे कार्यकर्ता से कहा।
“ ठीक है भाई साहब । ”
आदेशानुसार, कार्यकर्ता उसी प्रांगण के सभी लोगो को ... तत्परता से जलेबी समोसे की नाश्ता बांटने में व्यस्त हो गया।
मिलन समारोह का कार्यक्रम में डांस चलता रहा गाने बदलते गए और हर बार डांसर बदलता गया झुंड में नाचते रहे! वहाँ उपस्थित सभी लोग कार्यक्रम को देखने में आनंदमग्न, भाव विभोर थे।

कार्यक्रम से दू..र, परिसर के एक कोने में खड़े ..संगठन के
दो कार्यकर्ता, गणमान्य के स्वागत में में आए नाश्ते के पैकेटों में से
कुछ पैकेटों को निकाल कर, सभी की नजरों से बचाते हुए
अपनी-अपनी झोली में जल्दी से रख रहा था।

तभी, दर्शक दीर्घा के में बैठे कुछ लोगो की निगाह उन पर पड़ गई थी लेकिन उन्होंने इस तरह से रिएक्ट किया जैसे लोगो ने कुछ देखा ही नहीं.......।

थोड़ी देर में सब नाच गान से थक जाते है और सभा में सामाजिक चर्चाओं पर बात करने के लिए सभी आ गए जिनमें सबसे अहम मुद्दा था #डीजे_बंद किया जाए।
सभी का तर्क था की इस से समाज में गलत संदेश जा रहा है और लड़ाई को जड़ का काम कर रहा है इस से हमारे बच्चों पर गहरा असर पड़ रहा है।

वो अलग बात है की सामाजिक मंच पर नाच गान किया जा रहा था साथ ही कथा भगवतों में कथा वाचक के सामने नाचने की खुली छूट है वही पद यात्राओं में "हवा निकल गई पहिया की " जैसे गानों पर समाज की नाबालिग लड़की के साथ बड़ी बूढ़ी महिला भी नाच सकती है क्योंकि धर्म की जड़ सदा हरी रहती है।

दूसरा मुद्दा था #नुक्ता(मृत्यभोज) सभा में ये मुद्दा भी काफी चर्चाओं में रहा क्योंकि नई पीढ़ी काफी सजग हो चुकी है मृत्यु भोज नही करना चाहती जो की सही भी है लेकिन नुक्ता 12 वे दिन ना करके 13,14 या 15 दिन बाद किया जाता है तो पूरा गांव बड़े चाव से जीम सकता है क्योंकि वो नुक्ता की श्रेणी में नही आयेगा।।

#चोरी और #दहेज जैसे मुद्दे पर बात ही नही बन सकी क्योंकि पटेल का छोरा अभी IAS हुआ है और छोरा का रिश्ता 2 करोड़ में तय हुआ है किसी की हिम्मत नही की IAS के बाप से 2 शब्द कह जाए दूसरा पटेल इसलिए नही बोल रहा था वो अपने बेटे को कल बाइक चोरी से छुड़वा कर लाया था सुना है की उसका बेटा स्मैक के चक्कर में चैन छोरी करता फिर रहा है एक बार तो महिला का गले से चैन तोड़ते टाइम महिला गिर गई और गहरी चोट आई थीं जिसके चक्कर में पटेल जी ने 4 लाख में केस सुलझाया था ऊपर से छोरे के लिंक टपोरियों से था पटेल पर उंगली उठाने की हिम्मत किसकी हो सकती है ??

#रील्स बनाने वाली महिलाओं पर चर्चा करने वाले थे लेकिन जो चर्चा करने आई थी वे अभी स्टेज पर नाचने और रील्स बनाने ही बिजी थी उनके हैंसबैंड फोन पकड़े हुए थे इसलिए सभा में भी शामिल नही हो पाए

हा सभा में सभी सहानुभूति का पूरा ख्याल रखा गया था जिसकी जितनी फैन फॉलोइंग थी उसके साथ उतनी ही सेल्फी ली जा रही थी ऐसे में समाज की #हिरोइन (रील्स बनाकर अपने सुंदर सुशील और संस्कार रूपी शरीर से संस्कृति से एक महान पहचान दिलाने वाली) को सम्मानित किया गया उन्हे प्रशस्ति पत्र दिया गया। इसके बाद सभी ने सेल्फी खिंचवाई थी सेल्फी खिंचवाने वालो की संख्या को देखकर ऐसा लग रहा था गुड की भेली पर मक्खियां भिनभिना रही हो ।।

इनकी फैन फॉलोइंग को देखकर मेरी आंखों में आंसू भर आए थे कितनी महान हस्ती है हमारे समाज में जिनका मुझे अब अहसास हो रहा था ।
नोट: मैं सभा में नही था ये केवल परिकल्पना है ।

जयसिंह नारेड़ा

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