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नौकरी

#नौकरी

अच्छा नौकरी शब्द सभी को अच्छा लगता है आखिर अच्छा लगे भी क्यों नही ? ये एक परिवार,दोस्त और अपनो को खुशियां देने वाला शब्द है वही जिसे नौकरी मिली है उसकी जीवन के सपनो को साकार करने वाला शब्द है..!!

हर कोई नोकरी के लिए कठोर मेहनत करता है चाहे वो प्राइवेट नोकरी हो या सरकारी लेकिन ये दोनो ही हर किसी के नसीब में नहीं होती है। नोकरी के लिए जितनी मेहनत करते है उतनी ही कम लगती है क्योंकि कंपीटीशन उतना ही ज्यादा हो गया है

कई बार दरवाजे पर दस्तक देकर वापस चली जाती है तो कई बार बिना मेहनत के भी मिल जाती है। खैर दोनो के अपनी मेहनत और लग्न छुपी हुई होती है।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है जो व्यक्ति नोकरी करता है क्या वो अपनी नोकरी के पूर्ण रूप से खुश है शायद नही.....

देखिए नोकरी चाहे कैसी भी हो परिवार से जुदा करवा देती है तुम्हे परिवार से अलग रहने को मजबूर कर देती है परिवार के साथ 2 वक्त का समय निकालने के लिए तरसना पड़ता है..!!

ऐसा जरूरी नहीं सभी के लिए हो किसी की नौकरी परिवार के साथ रहते हुए भी पूरी होती लेकिन वे कुछ प्रतिशत ही है अधिकतर लोग अपने परिवार को किश्तो में ही टाइम दे पाते है।

हर एक पल किसी त्योहार या घर परिवार के विशेष परियोजन(अवसर) की उम्मीद लगाए बैठे रहते है जैसे होली खत्म तो राखी पर जाने की सोचते है, राखी खत्म तो दिवाली पर और दिवाली खत्म होते ही शादियों का इंतजार करते है फिर वही होली दिवाली की रट लगाए रहते है...!

सुबह घर से तैयार होकर ऑफिस के लिए निकलना और दिन भर ऑफिस में बॉस के ताने सुनना या फिर कामों में बिजी रहना और फिर शाम को थके हुए घर आना फिर खाना बनाकर खाना और सो जाना सुबह फिर वही रूटीन....कब सुबह का नाश्ता और रोटी भूल गए पता भी नही चलता...टाइम किसी का इंतजार थोड़ी करता है.!ऐसा लगता है जैसे यही रूटीन बन गया हो जैसे जीवन का बाकी मकसद तो मानो खत्म सा ही हो गया हो....बाहरी दुनिया को तो जैसे नजरंदाज कर दिया हो....इसमें फेसबुक ही एक मात्र आपके हंसने और हंसाने का जरिया बन चुकी होती है...!!

छुट्टियां होते हुए भी समय छुट्टी ना मिले तो बहुत गुस्सा आता है जब पूरा परिवार त्योहार या उस अवसर का इंतजार कर रहे हो वे सब खुशियां मना रहे हो आप सिर्फ वीडियो कॉल या कॉल पर उनके साथ सम्मलित हुए हो.....तब लगता है क्या यार क्या हम सिर्फ पेट भरने के लिए ही पैदा हुए है ?? क्या हमे परिवार की खुशियों में सांझा होने का हक नहीं है ??

लेकिन आपकी मजबूरियां( नोकरी की जंजीरो में बंधे आपके अरमान) आपसे ये सब करवा रहे होते है।

जो परिवार हंस रहा खेल रहा है वो कहीं न कही आपकी ही मेहनत और मजबूरियों का नतीजा है उनकी खुशियों की वजह तुम हो.....

हमेशा खुश रहे और मुस्कुराते हुए अपने परिवार को खुश रखने की कोशिश में लगे रहे यही तो जीवन है......परिवार के साथ ना सही परिवार के लिए ही सही.....!!

जयसिंह नारेड़ा

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