Tuesday, July 5, 2022

पांचना बांध

#पांचना_बांध 

पांचना बांध करौली जिले में बना हुआ राजस्थान का मिट्टी का सबसे बड़ा बांध है जिसकी भराव क्षमता लगभग 258 गेज है 
लगभग 15 साल यानी 2006 से पहले पांचना बाँध के पानी का मांड क्षेत्र के लोगों ने खूब सुख भोगा। सारा इलाका हरियाली से हरा भरा रहता था । किसान अपनी खेती करने में समर्थ था और अपनी खुशी में मस्त रहता था...!!

लेकिन वर्ष 2006 में अचानक इनकी खुशियों को जैसे किसी की नजर लग गई और यहां के लोग फिर से पहले जैसी ही हालत हो गई इस बांध से लगभग 30–35 गांवों में पानी पहुंचता था । वर्ष 2006 में ही राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन शुरू हुआ, जिसकी सबसे पहली गाज इसी पांचना बांध पर गिरी ।।

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की अगुवाई में गुर्जर समाज के लोग अनुसूचित जनजाति वर्ग में आरक्षण की मांग कर रहे थे। इस पर मीना समाज की तरफ से भी प्रतिक्रिया दी जिसकी वजह से ये आंदोलन खत्म हो गया दोनो समाजों में आपसी मन मुटाव हो गया इसी से गुस्साए गुर्जरों ने पांचना के पानी पर पहरा दे दिया ।।

जहां पांचना बांध बना हुआ है, वहां गुर्जरों के 12 गाँव होने के कारण गुर्जर जाति का बाहुल्य है। जबकि पांचणा के पानी से सिंचित क्षेत्र के सभी 30–35 गांवों में मीणा जाति का बाहुल्य है। गौरतलब है कि गुर्जर जाति के लोगों को वर्ष 1989 से लेकर वर्ष 2006 यानि 16 साल तक नहरों के जरिए कमाण्ड क्षेत्र में पानी पहुंचाने पर कोई आपत्ति नहीं थी। बांध का निर्माण कार्य दस साल चला, तब भी वहां बसे गुर्जरों ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। जिनकी भूमि बांध के डूब क्षेत्र में आई, क्योंकि वे सभी मुआवजा लेकर संतुष्ट थे। लेकिन गुर्जर आंदोलन के दौरान मीणा जाति के लोगों से हुए टकराव के बाद बांध के आसपास 12 गांवों में बसे गुर्जरों का नजरिया ही बदल गया।

गुर्जरों ने पांचना के पानी पर पहला हक अपना बताते हुए न सिर्फ बांध पर क़ब्ज़ा कर लिया, बल्कि नहरों में जलापूर्ति भी ठप्प कर डाली। सरकार ने कई बार अपने मंत्री और आला अधिकारी गुर्जरों से वार्ता के लिए भेजे, लेकिन जिद पर अडे़ गुर्जर पांचना के पानी की रिहाई के लिए राजी नहीं हुए। 

आज भी पांचना के कैद पानी की रिहाई के लिए राजी नहीं हैं। वहीं कमाण्ड क्षेत्र की तमाम नहरें बीते एक दशक से उपयोग में नहीं आने के कारण जर्जर हो चुकी हैं। उनमें उग आई खरपतवार वनस्पति और झाड़ियों ने नहरों को पूरी तरह बदहाल कर दिया है।

कोई नेता इस मामले में इसलिए नही बोलना चाहता क्योंकि उसे भी तो गुर्जर वोट लेने है । फिर गुर्जरों से बुरा क्यों बनेगा ??

जयसिंह नारेड़ा

No comments:

Post a Comment

मीना गीत संस्कृति छलावा या व्यापार

#मीणा_गीत_संस्कृति_छलावा_या_व्यापार दरअसल आजकल मीना गीत को संस्कृति का नाम दिया जाने लगा है इसी संस्कृति को गीतों का व्यापार भी कहा जा सकता ...