----भय से डरता आम इंसान---- यहां दो चित्रों को मिलाकर एक चित्र तैयार किया गया है जिसका उद्देश्य यह समझाना मात्र है कि जब गणेश चूहे पर बैठ कर ब्रह्माण्ड की यात्रा कर सकता है तो फिर आम आदमी मुर्गे पर बैठ कर अपनी यात्रा क्यों नही कर सकता है! अब आपको ये बात अजीब लगेगी की भला कोई व्यक्ति मुर्गे पर कैसे बैठेगा और यदि बैठ भी गया तो मुर्गा बचेगा भी या उसका कचूमर निकल जायेगा! जनाब ज्यादा मत सोचियेगा क्योकि जब गणेश जी जिसे व्यक्ति अपना भगवान मनाकर पूजा करता है वे भी तो चूहे पर ही बैठे हुए है जबकि मुर्गा का आकार तो चूहे से काफी बडा है जिससे चूहे की अपेक्षा मुर्गे पर आसानी से बैठा जा सकता है!जरा दिमाग पर जोर डालियेगा! आज का इंसान बहुत डरा हुआ है। हर ज़िन्दगी भीतर से कितनी सहमी हुई-सी है। बाहर चाहे कोई कितना भी खिलखिलाए लेकिन भीतर किसी-न-किसी जाने-पहचाने या अनजाने डर का हल्का या गहरा साया बना ही रहता है। हर इंसान को अपने भविष्य से डर लगता है। ऐसा लगता है जैसे कि हम मौत से भी अधिक अपने भविष्य से डरते हैं। असुरक्षा की भावना ने इस कदर हमारे अंतस में अपने पंजे गड़ा लिए हैं कि हम हर बात को लेकर भयभीत ...