भारतीय मूल निवासी की गुलामी कितनी बडी गुलामी है , जरा कल्पना कीजिए तो !!!!!
साथियों पहले जो था हमारे लोगों के गले मे मटका लटकता था , कमर मे झाडू बांधना पडता था , यह सब जो होता था , यह देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि ये गुलाम लोग हैं । लेकिन आज की जो गुलामी है , वह टाई , शूटिंग , शर्टिन्ग , वाली है ।
एक कदम भी गुलाम मूल निवासी अपनी मर्जी से नहीं रख सकते ।
एक सांस भी गुलाम मूल निवासी मर्जी से नहीं ले सकते ।
भले ही आप उन्हे गाली गलोच कर लीजिए चलेगा , लेकिन ब्राह्मणो के खिलाफ जरासी बात सहन नहीं कर सकते ।
अगर अपना मकान खुद का ₹ पैसा खर्च करके बनाया हो लेकिन बगैर ब्राह्मण की मर्जी के ग्रह प्रवेश नहीं कर सकते ।
अगर शादी करना हो तो , बगैर ब्राह्मण की सलाह लिए यानी ( कुंडली देखे बगैर ) शादी के लिए रिस्ता तय नहीं कर सकते ।
मान लीजिए रिस्ता तय भी हो गया लेकिन किसी ना किसी ब्राह्मण के लिखे पंचाग को देखे बगैर शादी की तारीख तय नहीं कर सकते ।
अगर पंचाग देखकर तारीख निकाल भी ली लेकिन , बगैर ब्राह्मण की उपस्थिति के शादी नहीं कर सकते ।
शादी के बाद संतान होगी , लेकिन अपनी ही संतान का नामकरण अपनी मर्जी से नहीं कर सकते ।
संतान होने के बाद फिर से पंचाग देखा जाता है , कहीं बच्चा मूल मे तो पैदा नहीं हुआ, अगर मूल मे पैदा हुआ है तो बगैर ब्राह्मण की सलाह लिए कुछ भी नहीं कर सकते ।
अगर आदमी मर जाता है बगैर पंचाग देखे उसके शव को छू भी नहीं सकते ।
यानी कुल मिलाकर यह कहा जाये कि बगैर ब्राह्मण की मर्जी के मर भी नहीं सकते ।
साथियों यह है आज के समय में "ब्रांडेड गुलामी।"
जागो मूल निवासियों जागो
जयसिंह नारेड़ा
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