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Showing posts from January, 2024

बचपन की मकर सक्रांति

बचपन की मकर संक्रांति ........!! समय के साथ सब बदल गए,लेकिन नहीं बदली है तो वो गुड़ और तिल की गजक की खुशबू......ठंड के मौसम के साथ ही दस्तक देती है बाजारों में तिल और गुड़ की सजावट.....और उसके साथ ही आसमान में पक्षियों से भी ज्यादा नजर आने लगती हैं,रंग बिरंगी पतंग.....जो चारो आसमान को घेरे रहती है....ऐसा लगता है जैसे आसमान में रंगो की चादर बिछाई गई हो.... विभिन्न रंगों एवम् विभिन्न आकारों की ये पतंगे जब आसमान में एक साथ उड़ती हैं तो विभिन्नता में एकता का बोध कराती हैं । संक्रांत वाले दिन सुबह सुबह जीजी(मम्मी) घरों के आगे की झाड़ू लगाया करती थी सड़को को साफ करना परंपरा का हिस्सा रहा है...अच्छा सबको याद तो होगा ही अपने गांवो में एक कहावत काफी प्रचलत थी आपकी तरफ थी या भी हमारी तरफ तो थी ऐसा माना जाता था की संक्रांत वाले दिन जो नही नहाता है वो अगले जन्म में गधा बनता है इसका ऐसा खौफ बना दिया जाता है की न चाहते हुए भी उस दिन सभी नहा ही लेते है....कुछ आस्था को माने वाले नहाने के लिए मोराकुंड जाते थे कुछ अन्य जगह भी जाते थे.. वो संक्रांत वाले दिन सुबह सुबह नहा के सबका एक साथ बैठ कर आग पर चल पी...

किसान कर्ज

किसान कर्ज किसान कर्ज की प्रवृति रोकनी चाहिए ....हां बिलकुल रोकनी चाहिए इस से आदत लग गई है और किसान बिगड़ गए है। उन्हे लोन लेने की आदत पड़ चुकी है और इस प्रवृति के आदि हो चुके है। बिलकुल अब इस पर विराम लगना ही चाहिए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है जिस किसान परिवार से आप निकल कर आगे बढ़े हो सुना है आपकी माताजी ने भी जेवर गिरवी रख कर आपको बीकानेर पढ़ने के लिए भेजा था क्योंकि उनके हालात ऐसे नही थे की आपको उच्च शिक्षा दे सके....।।                                                          ठीक ऐसे ही हालात हर किसान के होते है साहब कल तक आप किसानों की आवाज हुआ करते थे किसानों के हक के लिए आंदोलन किया करते थे कर्जमाफी के लिए धरना प्रदर्शन किया करते थे.....यानी वो सिर्फ छलावा मात्र था ।                     यानी आपने भी सिद्ध कर दिया की सत्ता में आते ही आप उन सब परस्तिथियो को भूल गए जिन परस्तिथियों के लिए सड़...