Tuesday, July 5, 2022

ERCP योजना

#ERCP 
दरअसल बात ऐसी है की पानी तो सब चाहते है लेकिन मेहनत कोई नही करना चाहता । सब सोच रहे है कोई आगे आए और पानी ले आए बाद में तो हम बढ़िया खेती करेंगे और मौज उड़ाएंगे लेकिन खुद कुछ नही करेंगे ।

ERCP के पानी से क्या केवल मीणा ही पानी पियेंगे बाकी समाज क्या शरबत का इंतजाम करेंगे
साथ क्यों नहीं लगते है ??

नेता इसमें राजनीति करना चाहते है वे अपना अस्तित्व बचाने के चक्कर में कांग्रेस बीजेपी कर रहे है। ये बात उन्हें भी पता है की चिंगारी लग चुकी है बस इसे भड़काना है और इसी आग से अपनी राजनैतिक कुर्सी बचाई जा सकती है।

युवा नेता तो खैर है ही चूतिया उनके बारे में तो लिखना ही क्या ?? उनको ना तो टिकट मिल रहा है ना ही सहानुभूति तो वे ज्यादा इस मामले में इंटरेस्ट नहीं ले रहे है। और यदि वे इंटरेस्ट ले भी ले तो उनकी सुनता कौन है ?? 

और जो निस्वार्थी बनने का चोला ओढ़कर बकचोदी करते है ना फेसबुक पर लाइव आ कर वे चुनाव की तैयारी और थोबड़ा चमकाने की फिराक में है । कोई एक भी ऐसा चूतिया नही है जो अपनी जेब के पैसे खर्च करके लगेगा । सबका अपना स्वार्थ होता है भलई वो अपने मुंह से कुछ भी कहता हो..!

हमारा क्षेत्र वाले सोचते है 20 साल तक तो पानी नही आयेगा तब भी दिक्कत है नही बाकी बाद में देखेंगे इसलिए वे ज्यादा भाग नही ले रहे है। 

असल में जिनको दिक्कत है वे भी नहीं चाहते की पानी आए क्योंकि सब ये सोचते है छोरो नोकरी लग गो तो गांवमे काई करेंगे वही ड्यूटी पर रहेंगे ।

सिंगरो का क्या है उन्हे सिर्फ कमाई से मतलब है भाड़ में गई ERCP 2 गीत और काढ़ेंगे और बढ़िया व्यूज आ गए तो एकाध और काढ देंगे और व्यूज कम आए तो वे 2 में से 1 को ही डालेंगे ।

कुछ संगठन है जो सिर्फ नेताओ के इशारे पर चलते है वो उनके अनुसार ही अपना गीत गाते है नेता कहा ऊंट को गधा बता दिया तो वे भी ऊंट को गधा ही बताएंगे

#पांचना_बांध के लिए एक भी नही बोलता क्यों ?? किसी ने मना किया है क्या ??? या फिर बोलने से डरते है ??

पिछले 15 साल से पांचना का पानी कोई काम नही आ रहा है गुर्जर आंदोलन के समय से ही बंद है जिससे आस पास के गांव वालो यानी माड़ क्षेत्र को पानी नही मिल पा रहा है ।

कुछ जरूरत से ज्यादा स्याने जिन्हे गान मूंड का होश नही है वे दूसरो की बातो में आकर बोल देते है पांचना में छिचो लेवा लायक पानी है अरे wow भेंचाें दुनिया वहा वोटिंग कर रही है तुम छीचो नही ले पा रहे हो गजब है ऐसा कितना पानी चाहिए तुम्हे सालो फिर तो तुम घर में बगैर छीचों लिए ही रहते होंगे 

दरअसल पांचना बांध मिट्टी का बना हुआ राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है जिसकी भराव क्षमता 258.60 है  जिसमे अभी भी पर्याप्त मात्रा में पानी है। और यदि ERCP आती है तो इसे बहुत लाभ मिलेगा।

बाकी सबकी अपनी डफली अपना राग है
✍️✍️जयसिंह नारेड़ा

पांचना बांध

#पांचना_बांध 

पांचना बांध करौली जिले में बना हुआ राजस्थान का मिट्टी का सबसे बड़ा बांध है जिसकी भराव क्षमता लगभग 258 गेज है 
लगभग 15 साल यानी 2006 से पहले पांचना बाँध के पानी का मांड क्षेत्र के लोगों ने खूब सुख भोगा। सारा इलाका हरियाली से हरा भरा रहता था । किसान अपनी खेती करने में समर्थ था और अपनी खुशी में मस्त रहता था...!!

लेकिन वर्ष 2006 में अचानक इनकी खुशियों को जैसे किसी की नजर लग गई और यहां के लोग फिर से पहले जैसी ही हालत हो गई इस बांध से लगभग 30–35 गांवों में पानी पहुंचता था । वर्ष 2006 में ही राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन शुरू हुआ, जिसकी सबसे पहली गाज इसी पांचना बांध पर गिरी ।।

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की अगुवाई में गुर्जर समाज के लोग अनुसूचित जनजाति वर्ग में आरक्षण की मांग कर रहे थे। इस पर मीना समाज की तरफ से भी प्रतिक्रिया दी जिसकी वजह से ये आंदोलन खत्म हो गया दोनो समाजों में आपसी मन मुटाव हो गया इसी से गुस्साए गुर्जरों ने पांचना के पानी पर पहरा दे दिया ।।

जहां पांचना बांध बना हुआ है, वहां गुर्जरों के 12 गाँव होने के कारण गुर्जर जाति का बाहुल्य है। जबकि पांचणा के पानी से सिंचित क्षेत्र के सभी 30–35 गांवों में मीणा जाति का बाहुल्य है। गौरतलब है कि गुर्जर जाति के लोगों को वर्ष 1989 से लेकर वर्ष 2006 यानि 16 साल तक नहरों के जरिए कमाण्ड क्षेत्र में पानी पहुंचाने पर कोई आपत्ति नहीं थी। बांध का निर्माण कार्य दस साल चला, तब भी वहां बसे गुर्जरों ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। जिनकी भूमि बांध के डूब क्षेत्र में आई, क्योंकि वे सभी मुआवजा लेकर संतुष्ट थे। लेकिन गुर्जर आंदोलन के दौरान मीणा जाति के लोगों से हुए टकराव के बाद बांध के आसपास 12 गांवों में बसे गुर्जरों का नजरिया ही बदल गया।

गुर्जरों ने पांचना के पानी पर पहला हक अपना बताते हुए न सिर्फ बांध पर क़ब्ज़ा कर लिया, बल्कि नहरों में जलापूर्ति भी ठप्प कर डाली। सरकार ने कई बार अपने मंत्री और आला अधिकारी गुर्जरों से वार्ता के लिए भेजे, लेकिन जिद पर अडे़ गुर्जर पांचना के पानी की रिहाई के लिए राजी नहीं हुए। 

आज भी पांचना के कैद पानी की रिहाई के लिए राजी नहीं हैं। वहीं कमाण्ड क्षेत्र की तमाम नहरें बीते एक दशक से उपयोग में नहीं आने के कारण जर्जर हो चुकी हैं। उनमें उग आई खरपतवार वनस्पति और झाड़ियों ने नहरों को पूरी तरह बदहाल कर दिया है।

कोई नेता इस मामले में इसलिए नही बोलना चाहता क्योंकि उसे भी तो गुर्जर वोट लेने है । फिर गुर्जरों से बुरा क्यों बनेगा ??

जयसिंह नारेड़ा

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