Saturday, September 11, 2021

फेसबुकी संस्कारी

फेसबुक के संस्कारी

एक दो दिन पहले जब से पुलिस वालों वीडियो वायरल हुआ तब से प्रबुद्धजीवियो की टोली ने जन्म लिया है उन्हें लगता है इससे युवा बिगड़ रहे है और अपने फोकट के ज्ञान की फेसबुक गंगा बहा दी है जैसे वीडियो फेसबुक जीवियों जे बनाई हो ।

दरअसल इस युग में मुख्यतः संस्कारी 3 प्रकार के पाए जाते है।
👉 शुध्द संस्कारी
👉 मॉडर्न संस्कारी
👉 फेसबुक संस्कारी

आपको लग रहा होगा जैसे ये कोई टाइम पास कर रहा है इससे ज्यादा भी केटेगरी हो सकती है हा बिल्कुल हो सकती है क्योंकि हर प्रकार की प्रजाति जो पाई जाती है।

कल से इनके प्रवचन ऐसे लग रहे है जैसे मानो सनी लियोन और राखी सांवत का मिक्सर करके एक घोल बनाया मिया खलीफा और वही मिया खलीफा आज संस्कारो पर प्रवचन दे रही हो 😄😄😄

चलिए संस्कारियो की थोड़ी सी हकीकत जान लेते है ये वही संस्कारी है जो रात भर फ़ोन में दुनियाभर की पोर्न साइट खोलकर अपनी आत्मा की तृप्ति करते है और व्हाट्सएप पर ढेरो एडल्ट ग्रुप से जुड़े होते है ।

जब भी कोई वीडियो वायरल होती है तो ये मैसेंजर में वीडियो ना मांग कर सीधे व्हाट्सएप पर सम्पर्क करते है ताकि इनकी प्रायवेसी का ख्याल रह सके । यहां फोकट का ज्ञान बांटने वालो में से 99% व्यक्ति उपर्युक्त बताई प्रक्रिया से गुजरे हुए होते है ।।

फेसबुक पर समाजसेवी बने होने का टेग लेने के लिए वे समय समय पर ऐसी पोस्ट करते रहते है ये लोग भीड़ भाड़ वाले जगह या फिर यू कहे मोके वाली जगह पर महिलाओं पर कमेंट करने से नही चूकते और फिर पोस्ट करते है "आज के युग मे महिलाओं का शोषण हो रहा है" ताकि इनके स्टेटस में गिरावट ना आये ।।

कल के बुद्धिजीवी इनबॉक्स में वीडियो देखने के बाद ही तो पोस्ट कर रहे है अन्यथा उन्हें कैसे पता कि वीडियो में क्या था ??
और किस बजह से युवाओं का ध्यान भटक रहा है ये तो वही बात हुई खुद श्रीमान बैगन खाये औरों को परहेज बताए 😛😛

ऐसी बात नही है कुछ शुद्ध संस्कारी भी होते है । रही बात मॉडर्न संस्कारी की तो आप टिकटोक वाली भाभियो को देख ही सकते हो वैसे मैं भाभियो के खिलाफ एक शब्द नही बोलूंगा 😁😁

किसी की भावनाओं को ठेस पहुची हो तो एक बार अवगत अवश्य करवाये ताकि मैं दूसरी कड़ी लिखने की कोशिश कर सकू 😂😂

✍️ जयसिंह नारेङा

Sunday, September 5, 2021

मीणा हिन्दू या आदिवासी

काफी दिन से हिन्दू और आदिवासी की लड़ाई चल रही है....

दरअसल ये कोई लड़ाई नही है लेकिन इसे एक मुद्दा बनाया जा रहा है बात बात पर लोग तंज कसने लगे है कि तुम #हिन्दू हो या #आदिवासी हो ।

सुनने में अजीब लगेगा लेकिन एक ही जात ( मीणा ) दो भागों में वर्गीकृत हो रही है आधे लोग हिन्दू मीणा बने हुए है तो वही आधे लोग आदिवासी बने हुए है। 

जबकि सुप्रीम कोर्ट हमे आदिवासी मानता है और हमे आदिवासी का दर्जा दिया हुआ है हमारे ऊपर #हिन्दू_विवाह_अधिनियम लागू नही होता है वही दूसरी और हम कही न कही हिन्दू रीति रिवाजों के बहुत करीब है।

देखा जाए तो आदिवासी आज से ही नही आदि काल से ही झाड़ - फूक, टोटकों पर विस्वास करते आये है देवता भराने से लेकर भूत जिंदो की कहानियां भी आदिवासियों से ही जुड़ी हुई है । इन सब के साक्ष्य भी पुरातत्व विभाग के पास उपलब्ध है।

आदिवासियों का हिन्दू करण हुए ज्यादा समय नही हुआ इसे हिन्दू करण कह लीजिए या फिर होड़ कह लीजिए बात वही आकर रुकती है। 
                                आज जन्मदिन,सालगिरह और रिशेप्शन होने लगे है ठीक उसी प्रकार से त्योहारों को पनपाया गया है पहले क्रिसमस को कोई नही जानता था लेकिन आज हर कोई जानने लगा है कुछ तो मानने भी लगे है।

होली,दिवाली,रक्षाबंधन और अनत जैसे त्योहार हमारे फसलो से जुड़े हुए है आज से 30-40 साल पहले दीवाली पर पहले कोई लक्ष्मी पाना नही हुआ करता था आज होता है पहले केवल सिंदूर से बनाई जाती थी जिसकी कोई डिजाइन नही थी लेकिन आज बाजार से लक्ष्मी पाने के साथ साथ दुनियाभर के सामान और आरती का चिट्ठा भी दिया जाता है।

अब जिन लोगो ने केवल सिंदूर से बनाई थी उन्हें बनी बनाई मिल गयी तो उनका काम आसान हो गया यही समय के अनुसार बदलता जा रहा है।

हमारे बीच एक ऐसी #प्रजाति भी निवास करती है जिसका काम है जब तुम किसी त्योहार को मानते हो तो उनका कहना होता है कि तुम तो आदिवासी हो तुम क्यो मना रहे हो ??

"Wow बेटे ये अथाह ज्ञान तुझे ही है बाकी सब तो तुझे चूतिये लगते है ना ये जैसे इस त्योहार का किसी धर्म ने ठेका ले रहा हो अथवा कॉपीराइट या पेटेंट ले रखा हो
बाकी कोई नही मना सकता"

आदिवासी कौम हर धर्म हर त्योहार का सम्मान करती है हमारे लोग ईद पर भी बधाई देते है तो महावीर जैन की शौभा यात्रा में खड़े रहते है तो अजमेर में जाकर चादर भी चढ़ाते है कुछ हद तक पढ़े लिखे लोग क्रिसमस मनाते है। लेकिन मूर्ख लोगो को कौन समझाए की त्योहारों पर किसी धर्म का पेटेंट नही है इन्हें कोई भी मना सकता है ??

कुछ स्याने लोग ये भी तर्क देते है तुम फेरे क्यो लेते हो ?? " जैसे फेरे केवल हिन्दू ही लेते हो इन्हें इतना ज्ञान कहा है जैनी भी फेरे लेते है ।।

किसी धर्म के त्योहार को मनाने से तुम्हारी पहचान नही खो सकती लेकिन इतनी समझ कहा है ये तो बस भेड़ चाल चलने में लगे हुए है

आदिवासियों का लगाव शुरू से आर्यो के साथ रहा है जिसका मुख्य कारण हिंदुत्व धुर्वीकरण होना है।

हमारे लोग भोमिया,परीत,पठान,हीरामन और भेरू जैसे देवताओं को पूजा करते थे आज भी इनके 100 में से 95 घरों में राम की तस्वीर नही मिलेगी । आदिवासी कुल देवी देवताओं की कोई तस्वीर नही हुआ करती थी ना ही कोई डिजाइन हुआ करती थी केवल एक पत्थर को गाढ़ कर उसी में अपने देवता का निवास समझते थे
                                             जैसे मीन भगवान को जबरदस्ती थोपा गया है ठीक उसी प्रकार से काल्पनिक भगवानों को थोपा गया है ।

कुछ धर्म के ठेकेदार या फिर कहे कि मानसिक विकलांगता से ग्रसित लोग पोस्ट पर उल्टी कर सकते है हो सकता है FIR की धमकी देने लगे ।।

बिल्कुल आप हिन्दू है हम तो इस बात को स्वीकार भी करते है लेकिन कभी सोचा है कि तुम कोनसे हिन्दू हो ??
क्योकि हिंदुओ के 4 वर्ण होते है (1) ब्राह्मण -जो कि सर्वश्रेष्ठ है ( 2 ) क्षत्रिय ( 3 ) वैश्य और अंतिम ( 4 ) शुद्र -जिनका जन्म उपरोक्त 3 वर्णों की सेवा करने के लिए मात्र हुआ है।। 

कभी स्वयं के दिमाग से सोचना फिर तय करना तुम कौन हो ??

लेखक
जयसिंह नारेङा

मीना गीत संस्कृति छलावा या व्यापार

#मीणा_गीत_संस्कृति_छलावा_या_व्यापार दरअसल आजकल मीना गीत को संस्कृति का नाम दिया जाने लगा है इसी संस्कृति को गीतों का व्यापार भी कहा जा सकता ...