*वेदना एक किसान की* आपके पास समय हो तो आवश्य पढ़े एक किसान की वेदना भला एक किसान ही समझ सकता है!कहते हैं..इन्सान सपना देखता है तो वो ज़रूर पूरा होता है!मगर किसान के सपने कभी पूरे नहीं होते बड़े अरमान और कड़ी मेहनत से फसल तैयार करता है और जब तैयार हुई फसल को बेचने मंडी जाता है!बड़ा खुश होते हुए जाता है! बच्चों से कहता है"आज तुम्हारे लिये नये कपड़े लाऊंगा फल और मिठाई भी लाऊंगा," पत्नी से कहता है.. तुम्हारी लुगड़ी(साडी)भी कितनी पुरानी हो गई है फटने भी लगी है आज एक लुगड़ी(साडी) नई लेता आऊंगा. पत्नी:–”अरे नही जी..ये तो अभी ठीक है..!” “आप तो अपने लिये जूते ही लेते आना कितने पुराने हो गये हैं और फट भी तो गये हैं..!” जब किसान मंडी पहुँचता है! ये उसकी मजबूरी है!की वो अपने माल की कीमत खुद नहीं लगा पाता!व्यापारी उसके माल की कीमत अपने हिसाब से तय करते हैं! एक साबुन पर भी उसकी कीमत लिखी होती है! एक माचिस की डिब्बी पर भी उसकी कीमत लिखी होती है!लेकिन किसान अपने माल की कीमत खु़द नहीं कर पाता! खैर.. माल बिक जाता है!लेकिन कीमत उसकी सोच अनुरूप नहीं मिल पाती!माल तोल के बाद जब पेमेन...