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Showing posts from January, 2017

वेदना एक किसान की

*वेदना एक किसान की* आपके पास समय हो तो आवश्य पढ़े एक किसान की वेदना भला एक किसान ही समझ सकता है!कहते हैं..इन्सान सपना देखता है तो वो ज़रूर पूरा होता है!मगर किसान के सपने कभी पूरे नहीं होते बड़े अरमान और कड़ी मेहनत से फसल तैयार करता है और जब तैयार हुई फसल को बेचने मंडी जाता है!बड़ा खुश होते हुए जाता है! बच्चों से कहता है"आज तुम्हारे लिये नये कपड़े लाऊंगा फल और मिठाई भी लाऊंगा," पत्नी से कहता है.. तुम्हारी लुगड़ी(साडी)भी कितनी पुरानी हो गई है फटने भी लगी है आज एक लुगड़ी(साडी) नई लेता आऊंगा. पत्नी:–”अरे नही जी..ये तो अभी ठीक है..!” “आप तो अपने लिये जूते ही लेते आना कितने पुराने हो गये हैं और फट भी तो गये हैं..!” जब किसान मंडी पहुँचता है! ये उसकी मजबूरी है!की वो अपने माल की कीमत खुद नहीं लगा पाता!व्यापारी उसके माल की कीमत अपने हिसाब से तय करते हैं! एक साबुन पर भी उसकी कीमत लिखी होती है! एक माचिस की डिब्बी पर भी उसकी कीमत लिखी होती है!लेकिन किसान अपने माल की कीमत खु़द नहीं कर पाता! खैर.. माल बिक जाता है!लेकिन कीमत उसकी सोच अनुरूप नहीं मिल पाती!माल तोल के बाद जब पेमेन...

तू की जाने प्यार मेरा....भाग-2

इसी तरह वक्त के साथ साथ इस भ्रम मतलब एकतरफा प्यार में भी प्रगाढ़ता आने लगी और यही ख्याल रहने लगा की शायद आज नही तो कल उसे मेरे प्यार का एहसास जरुर होगा और वो किसी फिल्म की नायिका की तरह मेरे पास दौड़ी चली आएगी। और मेरा ये भ्रम सदा भ्रम ही रहा । एक तरफ मैं था जो उसे पाने की खातिर कुछ भी कर गुजरने की भावना लिए बैठा रहता था। मुझे उम्मीद थी की शायद उसे कभी न कभी तो एहसास होगा ही। लेकिन मुझे क्या पता था की मोहब्बत में एहसास एक तरफ होने से कुछ नही होगा, आग दोनों तरफ होने से ही प्यार परवान चढ़ता है। मगर इसमें मेरा क्या दोष था? मेरी भावना मेरा प्यार तो निश्छल, निस्वार्थ और किसी बहते दरिया के पानी की तरह साफ़ पवित्र और पारदर्शी था। मेरी एक बहुत बड़ी कमजोरी है, मई मित्रो पर बहुत जल्दी और ज्यादा विश्वास कर लेता हु । एक तरह से ये मेरी ताकत भी थे। मगर मेरी मोहब्बत में मेरी ये ताक़त ही मेरी सबसे बड़ी कमजोरी बन गयी थी। कुछ सच्चे मित्रों की आड़ में कुछ जालसाजी मेरे मित्रो की सूचि में आ गये। और उन्होंने मेरी सपनो की रंगीन दुनिया की या यु कहे तो मेरी कथित प्रेमिका से मेरी बुराई और झूठे अवगुणों का प्रदर्शन सु...

तू की जाने प्यार मेरा....भाग-1

कुछ दिनों से शायद मुझे उसमें कुछ अधिक ही दिलचस्पी हो रही थी, ऐसा लगता था जैसे उसके बिना सब कुछ अधुरा सा है। अगर दोस्तों में भी कोई उसका जिकर करता तो दिलो दिमाग में एक अजीब सी सिहरन पैदा होती थी। मगर उसके मन ऐसा कुछ था या नहीं मै नहीं जानता। मगर मुझे सिर्फ उसे देखना या उसके बारे में बात करना हमेशा से अच्छा लगता था। कोचिंग जाता तो भी ऐसा सोचता काश वो मुझे बस में दिख जाए। मन में एक ही विचार रहता एक एक बार उसे जी भर के देख लू तो दिल को सुकून मिल जाये। मगर उसके दर्शन भी दुर्लभ ही थे। या यु कहे तो हमारी किस्मत में उनके दीदार शायद कम ही थे। उनका और हमारा संपर्क कभी नही हो पाता था वो आगे की सीट पर बैठते और हम पीछे की सीटों पर!हमारी पहचान कोचिंग में बदमासो में होती थी!हमारे दोस्त भी उसे चाहने में लगे हुए थे और हम अपनी रफ्तार दोस्तों के लिए रोकना चाहते थे!लेकिन ये सब करना आसान नही हो पा रहा था! उनके साथ उसी बस में जाना और आना यही दिनचर्या बन गयी थी मेरी। और शाम के वक्त उनका बाहर निकलना तो होता ही न था और हमारे दोस्त भी किसी दुश्मन से कम नही थे!जब उनका निकलने का समय होता कमीने कही ना कही से ट...

कहानी मेरे प्यार की...

सुबोध कॉलेज जयपुर में बी.कॉम फाइनल ईयर में ऐडमिशन लिए मुझे एक हफ्ते हो चुके थे । एक दिन मैं कॉलेज जल्दी पहुँच गया था तो यूँ ही बालकनी से टेक लगाये इधर उधर देख रहा था ।कॉलेज के सामने नंबर 5 बस आके रुकी, मैं बस से उतरते छोटे बच्चों को देखने लगा उस बस में मेरे क्लास के भी कुछ लड़के आते थे  बच्चे उतर चुके थे मैं बस के गेट पे ही टकटकी लगाये था। फिर जो हुआ ... उसे बयां नहीं किया जा सकता । एक खूबसूरत लड़की, पता नहीं कौन, कॉलेज ड्रेस (नीला पेण्ट और चेक शर्ट) पहने उतरी । मैं थोडा सावधान हुआ उसे देखने के लिए बालकनी के कोने पर गया । गेट से बस काफी दूर रूकती थी । वो गेट के तरफ आ रही थी । बदलियां छाई थी ठंडी हवाएँ चल रही थी । मैं भी हवाओं के साथ उड़ रहा था ।पहली नज़र में ही उसे देखने के बाद दिमाग फ़िल्मी कल्पनायें करने लगा । जैसे फिल्म में हीरोइन आती और उसके हर कदम हवाओं के झरोके लाते हैं और हीरो आँखे बंद किये उसे महसूस करता है । लगभग ऐसी ही स्थिति थी मेरी । वो कॉलेज में प्रवेश कर चुकी थी । मैं जल्दी से नीचे भगा ये देखने के लिए की आखिर वो किस क्लास में जाती है । मेरे नीचे पहुंचते ही वो ...