मित्रों एक बड़ी नदी के किनारे काली घनघोर रात में दोनों पती पत्नी सड़क के बाजू में अपनी चार पहिंया गाड़ी को रोक कर खड़े हुए थे ।।
घनघोर काली रात में मूसलाधार बारिश हो रही थी ।।
उनकी चार पहिंया गाड़ी के पार्किंग इंडिकेटर जल रहे थे और उस घनघोर बारिश में कभी कभी गरज और चमक के साथ बिजली गिरने का प्रकाश आँखों की रौशनी कुछ समय के लिये बंद किये दे रहा था ।।
लेकिन दोनों पती पत्नी अपनी गाड़ी से बाहर निकल कर खड़े हुए थे ।।
बहुत तेज़ बारिश के कारण वो ठण्ड से ठिठुर भी रहे थे किन्तु फ़िर भी खड़े थे ।।
और हर एक आने वाले वाहन वालों को रुकने के लिये निवेदन भी कर रहे थे ।।
लेकिन क़ोई भी वाहन वाला उनके निवेदन से रुकने को तैयार नही था और ज़्यादा स्पीड से वहाँ से गुजरते जा रहे थे।।
एक के बाद एक कर कर के उनकी नज़रों के आगे से सैकड़ों वाहन गुज़र चुके थे लेकिन क़ोई रुकने को तैयार नही था ।।
अंततः एक बंदा उन दोनों पती पत्नी को किसी मुसीबत में है ऐसा सोंचकर रुक जाता है ।।
उस नेक बन्दे ने उस दंपत्ती की मदद की नीयत से अपनी गाड़ी रोकी थी ।।
और उसने पूछा बोलिये साहब क्या परेशानी है मै आपकी क्या मदद कर सकता हूँ ।।
उन दोनों पती पत्नी ने कहा भाई साहब सबसे पहले तो आपको हमारे निवेदन पर रुकने के लिये धन्यवाद ।।
फ़िर उन्होंने आगे कहा
बात दरअसल यह है की यहाँ से लगभग 20 मीटर दूर एक पुल है जो नदी के तेज़ बहाव के कारण टूट गया है अब और आगे जाने का रास्ता नही है हम यहाँ से गुजरने वाले हर वाहन वालों को रोकने का प्रयास कर रहे है ।।
किन्तु पता नही क्यों जब से हम यहाँ खड़े होकर जाने वाले लोगों को रोकने का प्रयास करते है तो वो जाने वाले हमे देखकर और ज़्यादा गती से अपने वाहन यहाँ से दौड़ाकर निकाल ले गये लगभग सैकड़ों वाहन वाले इस नदी में बह चुके है ।।
आप पहले शख़्स हो जो जीवित बचे हो ।।
उस बन्दे ने कहा मेरे मन में आपके प्रती शक़ नही था और इस घनघोर काली रात में आप दोनों को इस प्रकार ठण्ड में भारी बारिश में ठिठुरते हुए देखकर मुझसे रहा नही गया और आपकी मदद के लिये मै रुक गया था ।।
उस शख़्स की आँखे भर आई और उन दोनों का शुक्रिया अदा करने लगा की आप दोनों पती पत्नी ने आज मुझे जीवन दान दिया है।।
मै आपका अहसान मंद हूँ ।।
मित्रों यह कहानी हमे यह सीख देती है की अक्सर हम ज़िन्दगी सफ़र में इस प्रकार के आह्वानों को ठुकराते हुए आगे निकल जाते है लेकिन हम तनिक रुककर विचार नही करते।।
जबकि हमे रास्तों में मिलने वाले इंडिकेशन पर थोड़ा रुककर विचार अवश्य करना चाहिये।।
हर एक निस्वार्थ भावना से अपना अनमोल समय देने वाला बंदा अपना निजी लाभ नही देखता बल्कि उसके आसपास के लोगों को अनजानी बलाओं और आफ़त से बचाना चाहता है किन्तु हम शक़ के कारण उसके प्रति नज़रिया ही सही नही रख पाते और अनजानी राहों पर बेख़ौफ़ चल पड़ते है
प्लीज़ भाइयों कभी कभी रुक कर भी फ़ैसले लिये जा सकते है ।।।
#जयसिंह_नारेड़ा