बचपन की दिवाली दिवाली एकमात्र ऐसा त्यौहार होगा जिसे आने के महीने भर पहले से तैयारी में लग जाते हैं। घर की साफ-सफाई, रंग–रोगन, तरह तरह मिठाई जिसमे मुख्य रूप से मावा की मिठाइयां सच में एक अलग ही उत्साह होता है| पर आज कितना भी बड़े हो जाए लेकिन बचपन की वो दिवाली नहीं भूली जा सकती | लेकिन ये सब अब नही देखने को मिलता जब दिवाली आने की सबसे ज्यादा खुशी होती थी क्यूंकि स्कूल की महीने भर की छुट्टियां | पर साथ मे भगवान से प्रार्थना दिवाली का ढेर होमवर्क नहीं मिल जाए और अगर कोई टीचर ढेर सारा होमवर्क दे देता तो वह किसी विलेन से कम नहीं लगता मन ही मन ढेरो गालियां तो दे ही देते थे । छुट्टियां आते ही थैला किस कोने में पड़ा होता यह तो पता ही नहीं चलता ?? छुट्टियों का अपना अलग ही मजा होता था सारे दिन दोस्तो के साथ घूमना,खेलना कूदना और मस्ती करना दिन तो पता ही नही चलता कब निकल गया और जब जीजी (मम्मी ) भाई (पापा) साफ सफाई की कह दे तो मानो जीव ही निकल गया हो दिवाली का सबसे बोरिंग पार्ट साफ सफाई करना ही लगता है। शाम के टाइम जब भाई पटाखे लेकर आता तो महाभारत हो जाती मुझे ये नहीं चाहिए सुतली बॉम्ब ही चाहि...