Wednesday, January 31, 2018

संघर्ष की जीती जागती मिशाल:डॉ किरोड़ी लाल

संघर्ष की जीती जागती मिशाल:-किरोड़ी लाल

छात्र राजनीति से लेकर एक बड़े कद्दावर नेता बनने तक का सफर अपने आप मे अनूठा हूं!जननायक बनने का सफर आसान भी नही रहा!सफलता से ज्यादा असफलताओ स सामना किया है डॉ साहब ने!
शुरूआती कैरियर तो अपने आप में असफलताओं की लम्बी कहानी भरी हुई है, लेकिन डॉ किरोड़ी लाल ने कभी हिम्मत नहीं हारी। राजनीति के इस के शिखर पर बैठने के दौरान लगभग 40 साल की राजनीति में कई बार उन के स्वास्थ्य ने उनका साथ छोड़ा। कई  बार ऐसा हुआ है जब डॉ साहब अस्पताल में भर्ती हुए और दुनिया भर से समर्थकों ने उनकी जिंदगी के लिए दुआएं कीं। इस सबसे जूझने के बाद भी आज अगर वह छात्र राजनीति से लेकर बड़े  कद्दावर नेता और जनता के बीच तक हर तरफ सक्रिय हैं, तो इसके पीछे निश्चित तौर पर जननायक की जिजीविषा है।
एक के बाद एक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना किसी के लिए भी आसान नहीं होता, डॉ साहब के लिए ये सिलसिला शुरू हुआ था सन् 1989 में सीमेंट फैक्ट्री आंदोलन में हुए लाठी चार्ज के दौरान। इस आंदोलन को करते वक्त डॉ साहब को लाठी चार्ज की बजह से सर में चोट लग गई थी।ऐसे में डॉ साहब ने इसकी विदेश तक जांच करवाई नतीजा आज भी वे इस समस्या से जूझ रहे है!उनके सर में चोट की बजह से उन्हें पैरालिसिस होने कारण कभी कभी दौरे आते है!यहां तक कि उन्हें अधिकतर रात को सोते समय ऑक्सीजन देनी पड़ती है!
इस सबसे जूझने के बाद भी आज अगर वे लोगो के बीच मे है तो ये जनता का उनके प्रति अटूट विश्वास का नतीजा है!इतनी तकलीफ होते हुए भी दलित,आदिवासी,गरीब,असहाय,महिला इत्यादि पर यदि कोई समस्या आती है तो सर्वप्रथम डॉ किरोड़ी लाल ही पहुचते है!
डॉ किरोड़ी लाल का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ!इनके पिताजी का नाम मनोहरी पटेल एवम माताजी का नाम फुला देवी था! मनोहरी पटेल से तीन पुत्र थे जिनमे ये तीसरे नम्बर के है!डॉ साहब का कम उम्र में ही गोलमा देवी के साथ शादी कर दी गयी थी!परिवार की हालात ऐसे थे कि यदि शाम को खाना मिल गया तो सुबह मिलना पूर्णतय तय नही था!ऐसे में उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और आखिरकार मेहनत में सफलता मिली डॉक्टर की पढ़ाई के लिए उनको बीकानेर में कॉलेज मिली लेकिन घरवालो के पास वे सुख सुविधा के साधन नही थे ना ही बीकानेर भेजने के लिए इतने रुपये थे लेकिन मॉ ने हिम्मत करके पाई पाई जोड़कर किरोड़ी लाल को पढ़ाई जारी रखने के लिए बीकानेर भेज दिया!यहां तक इनके पिताश्री ने अपनी धर्मपत्नी यानी डॉ साहब की माँ के कड़ले(पैरों में पहने जाने वाले गहने) भी बेच दिए ताकि उनका पुत्र शिक्षा प्राप्त कर सके!डॉ साहब ने मेहनत और लगन के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी!
कॉलेज में जाति भेदभाव पहले से ही फैला हुआ था जिसके चलते निम्न जाति के छात्रों को उच्च वर्ण के लोग मटकी से पानी नही पीने देते थे! ये बात किरोड़ी लाल को अखर गयी और इन्होंने जाति भेदभाव को खत्म करने के बेहद प्रयास किये और आखिर सफलता भी मिली!साथ साथ इन्हें कॉलेज छात्रसंघ चुनाव में भी सक्रिय भागीदारी दिखाई!
किरोड़ी लाल जी की डॉक्टर की नोकरी करते हुए भैरोसिंह सिंह शेखावत जी से हो गयी और इन्हें राजनिति में हाथ आजमाने का मौका मिल गया और प्रथम बार महुआ से हरिसिंह समकक्ष चुनाव लड़े लेकिन उस चुनाव में इन्हें 16 वोटों से पराजय का सामना करना पड़ा!
इनका उत्साह जनता के प्रति फिर भी उतना ही बना रहा और 1985 में हरिसिंह को हरा कर महुआ से प्रथम बार विधायक बने!यही से इनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हो चुकी थी!जनता के दिल मे अपनी जगह बनाने में शुरू से अग्रणी रहे है!कई बार विधायक बने 2 बार सांसद बने इसके साथ साथ भारतीय जनता पार्टी में खाद मंत्री रह चुके है!
सन 1989 में इन्हें सांसद के रूप में जनता स्वीकार किया!
1998-2003 तक बामनवास से विधायक रहे इस दौरान इन्हें लकवे की शिकायत थी जिसे लेकर वे अमेरिका तक गए लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी!
भाजपा से बागी होने पश्चात 2008 में निर्दलीय टोडाभीम से विधायक बने तत्पश्चात 2009 में दौसा से लोकसभा चुनावों में निर्दलीय सांसद बने!
इन्होंने कांग्रेस में अपना हाथ आजमाने की कोशिश की यहां तक कि अपनी पत्नी गोलमा देवी को महुआ से चुनाव जीतवा कर कांग्रेस से खादी ग्रामोद्योग मंत्री तक का सफर करवाने में कामयाब रहे!लेकिन जल्द ही कांग्रेस से दूरी बना ली!
दोनो पार्टीयो से दूरी बना लेने के बाद इन्होंने वर्ष 2014 में पी.ए.संगमा की राष्ट्रीय जनता पार्टी को राजस्थान में विशाल रैली करके अपना लिया!इस रैली में लगभग 5-7 लाख लोगों की भीड़ जुटाने में कामयाब रहे थे!
चुनावो के दौरान अकेले नेतृत्व होने की बजह से पार्टी बड़ी सफलता हासिल नही कर पाई जबकि कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी को 40+ सीटो पर मात देती नजर आयी यहां तक कि 4 विधायक भी विधानसभा में पार्टी सफल रही!
डॉ साहब अब तक लगभग 300 से ऊपर आंदोलन कर चुके है जिनमे दलित,आदिवासी,युवा,महिला एवम किसान,हर समाज के लिए किए गए संघर्ष शामिल है!
वे किसी भी व्यक्ति पर पीड़ा होते नही देख पाते है चाहे वो उनके कार्यक्षेत्र में हो अथवा नही!
जब कोई दीन दुखियों पर आंच आती है तो वे अपनी जान की परवाह किये बिना ही चल पड़ते है!डकैतों का आतंक हो या प्रसाशन की लापरवाही हर मुद्दे पर खड़े दिखाई पड़ते है!
डॉ किरोड़ी लाल आज राजस्थान में वे नेता के रूप में जाने जाते है जो सत्ता बदलने की ताकत रखते है!उनके एक आहवान पर लाखों की भीड़ इकट्ठी होना आम बात है!मुद्दा चाहे छोटा हो या बड़ा डॉ साहब उन्हें सरकार तक पहुचाते है और न्याय दिलाने के लिए धरने प्रदर्शन देते है अर्थात वे न्याय दिलाने के लिए हर सम्भव कोशिस करते है!
राजनीति में इन्होंने काफी नेता बनाये जो इस काबिल भी थे उन्हें राजीनीतिक क्षेत्र में लाकर विधायक और सांसद बनाया!यहां तक मंत्री पद दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम रहे!ऐसे बहुत से नेताओ के उदाहरण है!मैं किसी नेता विशेष का नाम नही लूंगा!
राजनीतिक क्षेत्र में विरोधी होना तो स्वाभाविक है जिसके चलते इनकी छवि को धूमिल करने के भरसक प्रयास किये गए!विरोधी पक्ष अपनी नापाक कोशिसो में असफल रहे!
आज गांव गांव ढाणी ढाणी के बच्चे बचे के मुह पर किरोड़ी लाल नाम बड़ी आसानी से सुनने को मिल जाता है!इन्हें आजकल अत्यधिक मात्रा में 'बाबा' का सम्मान देकर कहा जाता है!
डॉ साहब को हर छोटे बड़े कार्यक्रमो में बुलाया जाता है और लोग इन्हें पूरे मान सम्मान के साथ घोड़ी पर बिठाते है तो कोई जगह रुपयों से तोला जाता है!
ढलती उम्र के साथ साथ तबियत भी अक्सर खराब रहती है लेकिन जनता की सेवा में 24*7 तत्पर रहते है!रोज लगभग 300 किलोमीटर यात्रा करना उनके लिए कोई बड़ी बात नही है!वे जनता के दुख दर्द को समझते है!
आज के दौर में राजस्थान के नेतृत्व में डॉ साहब जैसा सक्रिय नेता जो जनता के बीच रह कर उनकी समस्याओं निराकरण करने वाला कोई दिखाई नही देता है!उन्हें गरीबो,दलितो,आदिवासियों,महिलाओं,किसानों की हक की लड़ाई लड़ने वाला मसीहा भी कहा तो वो भी इनके सम्मान में कम होगा!!
ऐसे जन नायक किरोड़ी को जन्म देने वाले माँ बाप धन्य है!
मैं अपने आलेख को यही विराम देता हूं!
लेखक:
जयसिंह नारेड़ा

Thursday, January 11, 2018

सोशल मीडिया बनता जंग का अखाड़ा

एक दूसरे से संवाद का आदान-प्रदान करने के लिए कभी कबूतरों और डाकियों के जरिये पत्र भेजे जाते थे। एक पत्र को एक आदमी से दूसरे आदमी तक पहुँचने में महीनों लग जाते थे। पत्र का जवाब पाने के लिए भी महीनों इंतजार करना पड़ता था लेकिन आज सात समंदर पार बैठे लोगों के साथ सीधे बात की जा सकती है। अपना दर्द बयाँ किया जा सकता है। अपने आसपास के माहौल से अवगत करवाया जा सकता है। कहा जाये तो आज पूरी दुनिया मुट्ठी में समा गयी है और इसका पूरा श्रेय जाता है सोशल मीडिया को।

आक्सफोर्ड डिक्शनरी के मुताबिक, ऐसी वेबसाइट और एप्लिकेशंस जो यूजरों (उपभोक्ताओं) को सामग्रियाँ तैयार करने और उसे साझा करने में समर्थ बनाये या सोशल नेटवर्किंग में हिस्सा लेने में समर्थ करे उसे सोशल मीडिया कहा जाता है। वीकिपीडिया के मुताबिक, सोशल मीडिया लोगों के बीच सामाजिक विमर्श है जिसके तहत वे परोक्ष समुदाय व नेटवर्क पर सूचना तैयार करते हैं, उन्हें शेयर (साझा) करते हैं या आदान-प्रदान करते हैं। कुल मिलाकर सोशल मीडिया या सोशल नेटवर्किंग साइट्स ऐसा इलेक्ट्रानिक माध्यम है जिसके जरिये लोग उक्त माध्यम में शामिल सदस्यों के साथ विचारों (इसमें तस्वीरें और वीडियो भी शामिल है) का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

विश्वभर में लगभग 200 सोशल नेटवर्किंग साइट्स हैं जिनमें फेसबुक, ट्वीटर, आर्कुट, माई स्पेस, लिंक्डइन, फ्लिकर, इंस्टाग्राम (फोटो, वीडियो शेयरिंग साइट्स) सबसे अधिक लोकप्रिय हैं। एक सर्वे के मुताबिक विश्वभर में संप्रति 1 अरब 28 करोड़ फेसबुक यूजर्स (फेसबुक इस्तेमाल करने वाले) हैं। वहीं, विश्वभर में इंस्टाग्राम यूजरों की संख्या 15 करोड़, लिंक्डइन यूजरों की संख्या 20 करोड़, माई स्पेस यूजरों की संख्या 3 करोड़ और ट्वीटर यूजरों की संख्या 9 करोड़ है।

काफी समय से देखता आ रहा हु सोशल मीडिया पर आपसी विचारों में मतभेद होने के कारण एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए गाली गलौच करना स्वभाव सा बन गया है!सोशल मीडिया पर सभी किसी पार्टी,संगठन अथवा विचारधारा से जुड़े हुए उसका ये मत तो नही रह जाता कि एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए इस तरह की गाली गलौच या असभ्य भाषा का उपयोग करना अनुचित है!

इंसान की पहली पाठशाला उसका परिवार होता है जैसी माँ बाप शिक्षा देते है बच्चा उसी के अनुसार ढल जाता है! ऐसे में गाली गलौच देने वाले के संस्कार कैसे मिले है उनकी भाषा को देख कर आंकलन किया जा सकता है!परिवार की परवरिश जैसी है ये अपनी टिका टिप्पड़ी से ही प्रदर्शित कर देते है!

सोशल मीडिया पर पार्टी और नेता का विरोध होना तो आम बात हो गयी है लेकिन कुछ लोगो ने बेशर्मी की हदे पार कर दी ये लोग नेता या पार्टी के विरोध करने में भी अपने संस्कारो को दिखाना नही भूलते!

आपको कुछ स्क्रीनशॉट दिखाता हु जिनसे आप उनके संस्कारो में बारे मे काफी कुछ जान जाओगे

माननीय डॉ किरोड़ी लाल जी राजस्थान के सबसे बड़े जनाधार वाले नेता है जिनके समक्ष कोई नेता नही है!अपवाद हर जगह होते है ये अपवाद सोशल मीडिया पर भी अपनी पहचान बनाने के लिए नीच हरकत तक पहुच जाते है जिनका नमूना आप को दिखा रहा हु!

मेरे सोशल मीडिया पर अनुज समान प्रदीप कटकड ने पोस्ट डालकर ये बताने का प्रयास किया कि मिस राजस्थान बनी प्रीति मीणा को डॉ साहब के पैर छूना अपराध करना जैसा है!यानी उन्होंने पैर छूकर कोई गुनाह कर दिया है वही दूसरी ओर विश्राम जो कि पेशे से अध्यापक है वे लड़की खुद को परोसने जैसी पोस्ट डाल रहे है!ऐसे अध्यापक बच्चों को क्या शिक्षा देते होंगे इससे आप अंदाजा लगा सकते हो??

अनुज प्रदीप कटकड से एक प्रश्न पूछना चाहूंगा कि यदि प्रीति आपके परिवार से होती तब भी आपके यही विचार होते क्या???
क्या अपने से बड़ो के पैर छूना अपराध की श्रेणी में आता है???

ये पोस्ट आपके संस्कारो को प्रदर्शित करती है बाकी आप स्वयम समझदार हो
इस तरह की टिका टिप्पड़ी से बचकर शांत एवम प्रियतम बनकर अपनी बात रखनी जिससे ऐसा नही लगे कि दूसरे व्यक्ति को मेरी पोस्ट से कोई आपत्ति हो उसकी भावना को ठेस ना पहुचे! इस तरह की पोस्ट का कोई औचित्य नही है!

फेसबुक जैसे मंच पर आपको बहुत लोग फॉलो करते है उनमें मन मे आपके प्रति हींन भावना बढ़ रही होगी!ये मंच एक दूसरे के विचारों को आदान-प्रदान करने के लिए है ना कि आपसी विरोध पालने के लिए!

अपनी बात यही खत्म करता हु

शिक्षित बनो,समझदार बनो

मीना गीत संस्कृति छलावा या व्यापार

#मीणा_गीत_संस्कृति_छलावा_या_व्यापार दरअसल आजकल मीना गीत को संस्कृति का नाम दिया जाने लगा है इसी संस्कृति को गीतों का व्यापार भी कहा जा सकता ...