शुरूआती कैरियर तो अपने आप में असफलताओं की लम्बी कहानी भरी हुई है, लेकिन डॉ किरोड़ी लाल ने कभी हिम्मत नहीं हारी। राजनीति के इस के शिखर पर बैठने के दौरान लगभग 40 साल की राजनीति में कई बार उन के स्वास्थ्य ने उनका साथ छोड़ा। कई बार ऐसा हुआ है जब डॉ साहब अस्पताल में भर्ती हुए और दुनिया भर से समर्थकों ने उनकी जिंदगी के लिए दुआएं कीं। इस सबसे जूझने के बाद भी आज अगर वह छात्र राजनीति से लेकर बड़े कद्दावर नेता और जनता के बीच तक हर तरफ सक्रिय हैं, तो इसके पीछे निश्चित तौर पर जननायक की जिजीविषा है।
इस सबसे जूझने के बाद भी आज अगर वे लोगो के बीच मे है तो ये जनता का उनके प्रति अटूट विश्वास का नतीजा है!इतनी तकलीफ होते हुए भी दलित,आदिवासी,गरीब,असहाय,महिला इत्यादि पर यदि कोई समस्या आती है तो सर्वप्रथम डॉ किरोड़ी लाल ही पहुचते है!
इनका उत्साह जनता के प्रति फिर भी उतना ही बना रहा और 1985 में हरिसिंह को हरा कर महुआ से प्रथम बार विधायक बने!यही से इनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हो चुकी थी!जनता के दिल मे अपनी जगह बनाने में शुरू से अग्रणी रहे है!कई बार विधायक बने 2 बार सांसद बने इसके साथ साथ भारतीय जनता पार्टी में खाद मंत्री रह चुके है!
1998-2003 तक बामनवास से विधायक रहे इस दौरान इन्हें लकवे की शिकायत थी जिसे लेकर वे अमेरिका तक गए लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी!
इन्होंने कांग्रेस में अपना हाथ आजमाने की कोशिश की यहां तक कि अपनी पत्नी गोलमा देवी को महुआ से चुनाव जीतवा कर कांग्रेस से खादी ग्रामोद्योग मंत्री तक का सफर करवाने में कामयाब रहे!लेकिन जल्द ही कांग्रेस से दूरी बना ली!
डॉ साहब अब तक लगभग 300 से ऊपर आंदोलन कर चुके है जिनमे दलित,आदिवासी,युवा,महिला एवम किसान,हर समाज के लिए किए गए संघर्ष शामिल है!
वे किसी भी व्यक्ति पर पीड़ा होते नही देख पाते है चाहे वो उनके कार्यक्षेत्र में हो अथवा नही!
जब कोई दीन दुखियों पर आंच आती है तो वे अपनी जान की परवाह किये बिना ही चल पड़ते है!डकैतों का आतंक हो या प्रसाशन की लापरवाही हर मुद्दे पर खड़े दिखाई पड़ते है!
डॉ साहब को हर छोटे बड़े कार्यक्रमो में बुलाया जाता है और लोग इन्हें पूरे मान सम्मान के साथ घोड़ी पर बिठाते है तो कोई जगह रुपयों से तोला जाता है!
ऐसे जन नायक किरोड़ी को जन्म देने वाले माँ बाप धन्य है!
जयसिंह नारेड़ा