संघर्ष की जीती जागती मिशाल:-किरोड़ी लाल छात्र राजनीति से लेकर एक बड़े कद्दावर नेता बनने तक का सफर अपने आप मे अनूठा हूं!जननायक बनने का सफर आसान भी नही रहा!सफलता से ज्यादा असफलताओ स सामना किया है डॉ साहब ने! शुरूआती कैरियर तो अपने आप में असफलताओं की लम्बी कहानी भरी हुई है, लेकिन डॉ किरोड़ी लाल ने कभी हिम्मत नहीं हारी। राजनीति के इस के शिखर पर बैठने के दौरान लगभग 40 साल की राजनीति में कई बार उन के स्वास्थ्य ने उनका साथ छोड़ा। कई बार ऐसा हुआ है जब डॉ साहब अस्पताल में भर्ती हुए और दुनिया भर से समर्थकों ने उनकी जिंदगी के लिए दुआएं कीं। इस सबसे जूझने के बाद भी आज अगर वह छात्र राजनीति से लेकर बड़े कद्दावर नेता और जनता के बीच तक हर तरफ सक्रिय हैं, तो इसके पीछे निश्चित तौर पर जननायक की जिजीविषा है। एक के बाद एक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना किसी के लिए भी आसान नहीं होता, डॉ साहब के लिए ये सिलसिला शुरू हुआ था सन् 1989 में सीमेंट फैक्ट्री आंदोलन में हुए लाठी चार्ज के दौरान। इस आंदोलन को करते वक्त डॉ साहब को लाठी चार्ज की बजह से सर में चोट लग गई थी।ऐसे में डॉ साहब ने इसकी ...