ग्रामीण निवासी भक्त जन भोमिया बाबा के जय कार लगा रहे थे!
शिवल्या पटेल भोमिया बाबा को शांति से आने का आग्रह करने लगे थे!शिवल्या पटेल ही भोमिया बाबा के आने पर लोगो की समस्या को बाबा को बताते थे और बाबा के द्वारा बताई गई बातों को दुखिया(पीड़ित) व्यक्ति को समझाते थे!
शिवल्या पटेल ने थोड़े तेज स्वर ने कहा" पटेल थ्यारी काई समस्या है बाबा के सामने रख बाबा थ्यारी समस्या कु जड़ सु खत्म कर देगो!"
इसी बीच मे भोमिया बाबा ने धीमे स्वर बदली हुई आवाज में कहा "आज किस्या याद कर लियो कुन पे विपदा आ गयी मैं तो छोटा सा देव हु!"
गांव के सभी छोटे एवम बड़े लोग बाबा से उम्मीद लगाए बैठे थे उनकी उम्मीद भी जायज थी!
शिवल्या पटेल ने बाबा को मानते हुए विनती स्वरूप में कहा" बाबा थ्यारा हाथ बहुत लंबा आप चाहे वो कर सकते है हम तो आपके सामने कीड़े मकोड़े है!"
शिवल्या पटेल में सभी से आग्रह करते हुए कहा" सभी एक एक करके बाबा के सामने अपनी बात रखे"!
"बाबा हमसे काई गलती होगी जो तेरा बालक न कु इतना परेसान कर रो है,सब जगह दिखा लिया कुछ फर्क ही को पड़ रहा,अब तेरी शरण मे आयो हु म्हारी लाज रख दे"! काका का गला रुन्दा हुआ प्रतीत हो रहा था उनकी आवाज में पुत्र का दुख छुपा हुआ था!
रामु काका जो इतने रुपये अपने बेटे पर खर्च कर चुके थे उन्होंने पुत्र ठीक होने की सुनते ही थोड़े खुशी जैसे भाव लेते हुए"बाबा आप जो कहोगे वो कर दूंगा पर छोरा कु सही कर दो आप कु तो सब पतो है कब सु परेसान है!
भोमिया बाबा ने हाथ आगे बढ़ाते हुए खांडा(तलवार) की तरफ इशारा किया ओर भभूत लाने का इशारा किया!
शिवल्या पटेल ने खांडा हाथ मे दे दी और भभूति रामु काका को दे दी!
भोमिया बाबा"पटेल या भभूत कु छोरा के 4 बार लगा दीज्यो ओर 2 दिन याकू थान पर परिक्रमा करवा लें जाना या ठीक हो जायेगो"!
रामु काका को संतुष्टि मिल गयी थी पर एक सवाल उनके मन मे अभी भी कुलबुला रहा था उन्होंने पूछना ही ठीक समझा" बाबा या छोरा के उपली है या डॉक्टर की बीमारी"!
भोमिया बाबा ने सोनू की तरफ देखते हुए कहा" ना उपली है ना डॉक्टर की या के तो घर की बीमारी है तेरो अहूत(घर का देवता) कर रहा है वाकू मैं देख लूंगा तू जो मैंने काम बतायो है वाकू कर या सही हो जायेगो!
जोर से सब ने भोमिया बाबा की जयकार लगाई!
सभी खुशी खुशी घर आ गए