परीत का बदला,भाग-3 घोडल्या का शरीर अपने काबू में नही आ रहा था लग रहा था जैसे उसके ऊपर किसी आत्मा ने अपना कब्जा पा लिया हो जिसकी बजह से वह अपना नियंत्रण खो रहा हो! उसके शरीर की कपकपी लगातार बढ़ती ही जा रही जा रही थी!वह अपना आपा खो रहा था! ग्रामीण निवासी भक्त जन भोमिया बाबा के जय कार लगा रहे थे! शिवल्या पटेल भोमिया बाबा को शांति से आने का आग्रह करने लगे थे!शिवल्या पटेल ही भोमिया बाबा के आने पर लोगो की समस्या को बाबा को बताते थे और बाबा के द्वारा बताई गई बातों को दुखिया(पीड़ित) व्यक्ति को समझाते थे! शिवल्या पटेल ने थोड़े तेज स्वर ने कहा" पटेल थ्यारी काई समस्या है बाबा के सामने रख बाबा थ्यारी समस्या कु जड़ सु खत्म कर देगो!" इसी बीच मे भोमिया बाबा ने धीमे स्वर बदली हुई आवाज में कहा "आज किस्या याद कर लियो कुन पे विपदा आ गयी मैं तो छोटा सा देव हु!" गांव के सभी छोटे एवम बड़े लोग बाबा से उम्मीद लगाए बैठे थे उनकी उम्मीद भी जायज थी! शिवल्या पटेल ने बाबा को मानते हुए विनती स्वरूप में कहा" बाबा थ्यारा हाथ बहुत लंबा आप चाहे वो कर सकते है हम तो आपके सामने कीड़े मकोड़े है...