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Showing posts from June, 2017

अधूरी प्रेम कहानी-भाग-4

कविता बुक लेने अंदर गयी,मैं उसके पीछे पीछे ही अंदर तक पहुच गया! कविता बुक ढूंढ रही थी!मेरी तरफ उसने एक पल भी नही देखा,उसका ये बेरुखापन मुझे अंदर ही अंदर खाये जा रहा था! मैं बस उसे देखा ही जा रहा था वो किताब ढूढ़ने में व्यस्त थी! अब मेरे सब्र का बांध टूट चुका था,मैने कविता का हाथ पकड़ लिया जिसका उसने विरोध नही किया लेकिन मेरी तरफ से नजर हटा ली! "यार कविता मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही है मुझसे बात क्यो नही कर रही हो मुझे तेरा इस तरह का व्यवहार बिल्कुल रास नही आ रहा है" मैंने अपने रुन्दे हुए गले से अपनी बात कह दी! कविता ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नही दी और अपने काम मे व्यस्त रही! आखिर कब तक अपना सब्र रख पाता! मैंने कविता का हाथ पकड़ लिया इतने में ही अंकल ने आवाज लगा दी "बेटा कितनी देर लगाओगी हमे चलना भी है जल्दी आओ"! मेरी तरफ मुड़ते हुए कविता ने अलमारी में रखी गिफ्ट जो मैंने उसे पहली मुलाकात पर दी वो अपने बैग में रख ली ओर एक डायरी मुझे थमा दी! मैं डायरी खोलने ही वाला था कि मेरे हाथ कविता ने रोक लिए ये कहते हुए की"इस डायरी को तुम्हे जब भी टाइम मिले अकेले म...