~~~प्यार की एक अजीब दास्ताँ~~~ शीतकाल का मौसम था!गांव के चारो ओर सरसो के पीले फूलो के खेत ऐसे दिखाई पड़ते जैसे कोई पिली चादर बिछाई गई हो!ऐसे मौसम में गांव में लोगो के चहरो पर एक अलग ही प्रसन्नता दे रही थी!सूर्य की किरण जैसे ही निकलती लोगो का चहल पहल बढ़ रही थी! इस गुलाबी मौसम को और ज्यादा सुन्दर बनाने वाला वेलेंगटाइन डे. यानी वह दिन जब उम्र की सीमाओ को तोडकर हर दिल रूमानी हो जाता है, वह भी आ रहा हैं। सभी को इस दिन का बेसबरी से इंतजार है और राजेश को भी, क्योकी इस बार मन मे थोडा संतोष है की हमेशा की तरह इस रूमानी मौसम मे भी वह अकेला नही था। उसके साथ इस बार वैलेंटाइन डे उसके साथ है! पहले वेलेनटाइन डे जितना नजदीक आता राजेश की टेंशन बढने लगती,उसका खून उतना ही ज्यादा खौलता ओर 14 फरवरी के दिन राजेश का गुस्सा और दुख दोनो अपने चरम पर होते।राजेश के इस गम का कारण था की इस दिन को प्रेम का दिन कहा जाता है प्रेमी-प्रेमीकाओ का दिन कहा जाता है और यही उसकी दुखती रग थी क्योकी प्रेमी तो वह था पर प्रेमिकाओं को मामले मे महाशय का बैलेंस जीरो था।राजेश साल भर भगवान से प्रार्थना करता की इस ...