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Showing posts from July, 2016

असली कार्यकर्ताओ से छिना हक़ पुरुषोत्तम ने

हक रक्षक दल (Haq Rakshak Dal-HRD) की स्थापना श्री देवेन्द्र सिंह मीणा उर्फ देवराज जी द्वारा ‘मीणा आदिवासियों’ के साथ किये जा रहे अन्याय और विभेद से व्यथित होकर और इसके खिलाफ आवाज उठाने के लिये ‘मीणा आदिवासियों’ को एकजुट करने के लिये व्हाट्सएप और फैसबुक पर  ‘पे-बैक टू सोसायटी’  नाम से ग्रुप और पेज बनाकर  ‘मीणा समाज’  के लोगों को जोड़ा। जिसमें अनेक युवाओं ने उत्साह दिखाया। जिनकी संख्या लगातार बढती गयी। गैर-मीणा आदिवासी भी इसमें शामिल हुए और सभी ने अपने विचार और भावनाओं को खुलकर व्यक्त किया। हक़ रक्षक दल प्रमुख चुने जाने पर श्री डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा ‘निरंकुश’ का दल से प्रमुख सदस्य श्री महेश मीणा द्वारा माल्यार्पण कर स्वागत किया गया   इसके अगले कदम के रूप में  27 जुलाई, 2014  को दौसा, राजस्थान में मीणा छात्रावास में ग्रुप के सदस्यों की बैठक रखी गयी। जिसमें सभी सदस्य पहली बार एक दूसरे से रूबरू मिले और सभी ने अपने-अपने विचार तथा अनुभव साझा किये। सभी ने लोगों के बीच जाकर सम...

डॉ किरोडी लाल मीणा को बदनाम करने का नया तरीका

समाज सेवकों के वेश में भावी मनुवादी जन प्रतिनिधि तैयार हो रहे हैं? समाज सेवकों के वेश में भावी मनुवादी जन प्रतिनिधि तैयार हो रहे हैं? डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' राजस्थान सरकार की पूर्ववर्ती कांग्रेसी और वर्तमान भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकार के प्राश्रय से राजस्थान में 'मीणा' जनजाति को आरक्षित वर्ग में से बाहर निकालने के दुराशय से एक सुनियोजित षड़यंत्र चल रहा है। जिसके तहत 'मीणा' जनजाति के बारे में भ्रम फैलाया जा रहा है की 'मीणा' और 'मीना' दो भिन्न जातियां हैं। 'मीना' को जनजाति और 'मीणा' को सामान्य जाति बताया जा रहा है। जिसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि शुरू में जारी अधिसूचना में एक सरकारी बाबू ने 'मीणा' जाती को अंग्रेजी में Mina लिख दिया। जिसे बाद में हिन्दी अनुवादक ने ‘मीना’ लिख दिया। इसके बाद से सरकारी बाबू सरकारी रिकार्ड में मीणा जनजाति को समानार्थी और पर्याय के रूप में (Meena/Mina) (मीणा/मीना) लिखते आये हैं। राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकारियों द्वारा 'मीणा' और 'मीना' दोनों नामों से ...

पुरुषोत्तम का षणयंत्र जो शशि और मनोज के कंधे पर बन्दूक रखकर चलाया

हक रक्षक दल की रैणी की सभा स्थगित, लेकिन क्यों? पढें और जानें। हक रक्षक दल की रैणी की सभा स्थगित, लेकिन क्यों? पढें और जानें। ============================================= बसपा के संस्थापक श्री कांशीराम जी ने बहुजन समाज के अग्रणी लोगों का आह्वान किया था कि वे  ‘समाज का कर्ज चुकायें।’  इस अवधारणा को उन्होंने  ‘पे-बैक टू सोसायटी’  नाम दिया था। इसी अवधारणा को आगे बढाने के लिये श्री देवराज मीणा ने अपने फेसबुक फ्रेण्ड्स को जोड़कर  ‘पे-बैक टू सोसायटी’  अर्थात्  पीबीएस  नामक वाट्स एप ग्रुप बनाकर, इस अवधारणा को पुनर्जीवित किया। जिसके लिये 27 जुलाई, 14 को दौसा में एक मीटिंग रखी गयी। इस आयोजन के तत्काल बाद ही, 27 जुलाई, 14 की मीटिंग में शामिल एक संगठन प्रमुख ने  पीबीएस  के लोगों को बरगला कर अपने संगठन में जुड़ने के लिये प्रलोभित करना /तोड़ना शुरू कर दिया। इसी दौरान अजा एवं अजजा संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्टीय स्तर पर सम्मानित विचार...