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Showing posts from February, 2016

शेयर करो वरना.........

इसे “शेयर” करो वरना… आज का इंसान बहुत डरा हुआ है। हर ज़िन्दगी भीतर से कितनी सहमी हुई-सी है। बाहर चाहे कोई कितना भी खिलखिलाए लेकिन भीतर किसी-न-किसी जाने-पहचाने या अनजाने डर का हल्का या गहरा साया बना ही रहता है। हर इंसान को अपने भविष्य से डर लगता है। ऐसा लगता है जैसे कि हम मौत से भी अधिक अपने भविष्य से डरते हैं। असुरक्षा की भावना ने इस कदर हमारे अंतस में अपने पंजे गड़ा लिए हैं कि हम हर बात को लेकर भयभीत हैं। असुरक्षा की इस भावना के पीछे काफ़ी हद तक हमारी महत्त्वकांक्षाओं का हाथ भी है। अपनी ज़िन्दगी में हमें सब कुछ परफ़ेक्ट चाहिए –कोई बीमारी ना हो, कोई कलेश ना हो, कोई दुख ना हो, बहुत-सा धन मिले, बड़ा-सा घर हो, लम्बी-सी गाड़ी हो, जीवनसाथी सुंदर हो, बच्चे बड़े स्कूलों में पढ़े और फिर उन्हें भी बहुत-सा धन मिले… कमाल की बात यह है कि अगर ये सब मिल भी जाता है तो भी हमारा डर कम नहीं होता! तब हमें किसी और अनहोनी के होने या फिर कुछ ऐसा घट जाने का डर सताने लगता है जो हमारे नए-नए प्राप्त सुख में बाधा डाल दें! कुल मिलाकर बात यह कि चारों ओर हर इंसान डरा हुआ दिखता है। कुछ लोग इस डर को ज़ाहिर कर देते हैं कुछ छि...