~~~~~~ ~आदिवासी तेरा शोषण~~~~~~ जिस आरक्षण के वृक्ष तले तुमने छाया और फल खाया है उसकी जड़ो मे दुश्मन ने तेजाब आज गिरवाया है! जिसके पैरो को तुम पुजो वह सिर पर अब चढ आया है वह स्वयं सामने नही आता,भीलो पे रंग चढाया है! आदिवासी तेरा शोषण सदियो से होता आया है!! -------------------------------------------------------- आदिवासी तुम राजा थे,अब रंको जैसा हाल किया संस्कृति तुम्हारी नष्ट करी,इतिहास तुम्हारा जला दिया! जौंक की तरह आदिवासी सदियो से तेरा खुन पिया संभूक ऋषि को मरवाया,एकलव्य का अगुंठा काट दिया! अब नया षणयन्त्र रचा मीना-मीणा मे भेद किया फिर भी तुम इनको आदर दो,यह समझ नही आया है! आदिवासी तेरा शोषण सदियो से होता आया है!! -------------------------------------------------------- अब तो जागो सोने वालो नही काम चलेगा सोने से! हल्दी क्या अपना रंग छोड़े क्या? लाख बार धोने से!! समय चूक पछताओगे ,क्या होगा फिर रोने से! आगे कैसे बढ पाओगे,यो दब-दब-दबके रहने से!! मत दुध पिलाओ सर्पो को,इसलिये तुम्हे चेताया है! आदिवासी तेरा शोषण सदियो से होता आया है!! -------------------------------...