#जाग_रहा_था_ख्यालों_में_सो_रहा_था_तन
जाग रहा था ख्यालो में सो रहा था तन,
गला रुन्द रहा था रो रहा था मन......!!
गला रुन्द रहा था रो रहा था मन......!!
जब निकलेगी किरणे तो देखेंगे अपने सपनो को,
पेट के लिए हमने मिट्टी में मिला दिया है तन मन को...!!
पेट के लिए हमने मिट्टी में मिला दिया है तन मन को...!!
जवान होती बेटी को देख पसीजता है मन,
दहेज के लिए दिन भर काम में झुकता है बूढा तन.....!!
दहेज के लिए दिन भर काम में झुकता है बूढा तन.....!!
माँ बैठी आंगन लगाए बड़ी बड़ी आस,
कब बरसेगा पानी कब भुजेगी प्यास....!!
कब बरसेगा पानी कब भुजेगी प्यास....!!
घर का काम निपटे भैस पानी झाड़ू पौछा का,
सारी रात रखवाली करते खेतो मे गाय रोजड़ों का..!!
सारी रात रखवाली करते खेतो मे गाय रोजड़ों का..!!
पाले बालक की तरह फसल को करना ब्याह बेटी का,
टूटते दिखते है सपने होते देख नुकसान रोटी(फसल) का...!!
टूटते दिखते है सपने होते देख नुकसान रोटी(फसल) का...!!
की मेहनत किसान ने लगाते दाम सेठ अपनी मर्जी से,
मिले दाम कम कैसे होगी बेटी की शादी उसकी मर्जी से..!!
मिले दाम कम कैसे होगी बेटी की शादी उसकी मर्जी से..!!
पाई पाई जोड़कर करता ब्याह अपनी गुड़िया का,
मिलते फिर ताने खूब सासु खसूट बुढ़िया का...!!
मिलते फिर ताने खूब सासु खसूट बुढ़िया का...!!
जागरूक होगा युवा तब होंगे खुशहाल परिवार,
समझेंगे भेद को फिर नही होगी बेटा बेटी में दीवार..!!
समझेंगे भेद को फिर नही होगी बेटा बेटी में दीवार..!!
लेखक:-
जयसिंह नारेङा
जयसिंह नारेङा